पंचकूला, 12 मई । शहर के लोगों को आने वाले दिनों में एक नई मुसीबत से जूझने वाले हैं। पंचकूला शहर के लोगों को अच्छी तरह याद होगा कि 1999 से लेकर 2005 तक कांग्रेस घास से जूझना पड़ा था तथा इस जहरीली घास ने शहर की हर मुख्य सड़कें, पार्कों के आसपास, खाली प्लाटों, बरसाती नालों के आसपास पूरा कब्जा कर लिया था तथा आम जनता व पशुओं के लिए भी बड़ी मुश्किल आन पड़ी थी, क्योंकि इस घास से चर्म रोग फैलने लगा था। वही नई मुसीबत भांग का पौधा जिसका साइंटिफिक नाम कैनाबिस सटिवा है।

पंचकूला व आसपास के सभी क्षेत्रों के लोगों के लिए एक नई मुसीबत पिछले कई महीनों से पांव पसार रही है तथा इस साल लोक डाउन की स्थिति के कारण नगर निगम, हुड्डा विभाग तथा पार्क विकास समितियों द्वारा इस ओर ध्यान नही देने के कारण यह नई मुसीबत भांग का पौधा जिसका साइंटिफिक नाम कैनाबिस सटिवा है। इस वक्त भांग के पौधे ने सारे शहर को विशेषकर खाली प्लाटों, नालों, सड़कों के किनारों, पार्कों के साथ मार्केट में खाली पड़ी जगह को अपने कब्जे में ले लिया है तथा भांग की यह खरपतवार इस वक्त पूरे शबाब पर है तथा पौधों के फूल निकल आए हैं और जल्दी ही बीज बनकर पक जाएंगी। भांग के पौधों के पत्तों को शहर के बहुत सारे युवक जो नशे के आदी है। उन को पीसकर चूर्ण बनाकर सिगरेट में भरकर व पेपर बनाकर पीते हुए व नशे के रूप में प्रयोग करते हुए हर वक्त देखे जा सकते हैं। अगर इस वक्त भांग के पौधों को तुरंत नष्ट नहीं किया गया तो बीज आने पर इस पौधे के करोड़ों बीज सारे शहर और आसपास के क्षेत्र को आने वाले दिनों में भयंकर रूप से चपेट में ले लेंगे।

पंचकूला जजपा के शहरी जिला प्रधान ओपी सिहाग ने जिला प्रशासन व नगर निगम प्रशासन से अपील की इस लोक डाउन कि स्थिति में भांग के पौधे को खत्म करने के लिए अलग से मजदूरों को लगाकर तथा मशीनरी लगा कर कार्य किया जाए ताकि मजदूरों को पलायन से रोककर रोजगार मुहैया कराया जा सके और शहर की आबोहवा ठीक रहे,सुंदरता बरकरार रहे तथा युवकों को नशे की गर्त में जाने से बचाया जा सके।

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