19 ब्लॉक्स व 2,30,000 एकड़ से अधिक भूमि में धान बोने पर लगाया बैन’’. ‘‘हुक्मनामा न मानने पर किसान से MSP पर नहीं होगी धान की खरीद’’. ‘‘भाजपा-जजपा सरकार बनी ‘किसान की दुश्मन’

कुमारी शैलजा व रणदीप सिंह सुरजेवाला का बयान

किसान की दुश्मन बनी खट्टर सरकार ने कल 9 मई, 2020 को एक नया तानाशाही हुक्मनामा जारी कर दिया। इसके साथ साथ एक इश्तिहार भी जारी किया (Annexure A1 व Annexure A2)

सरकार के ‘मेरा जल, मेरी विरासत’ स्कीम के नाम से जारी किए गए इस हुक्मनामे की शर्तें हैं:-

1. प्रदेश के 19 ब्लॉक्स में किसान धान की खेती नहीं कर सकता। इनमें से 8 ब्लॉक्स विशेषतः चिन्हित किए गए हैं – सीवन व गुहला (जिला कैथल), पीपली, शाहबाद, बबैन, इस्माईलाबाद (जिला कुरुक्षेत्र), रतिया (जिला फतेहाबाद) व सिरसा (जिला सिरसा)। कुल चिन्हित की गई भूमि 1,79,951 हेक्टेयर या 4,44,667 एकड़ है, जिसमें से 50 प्रतिशत पर यानि 2,22,334 एकड़ पर धान की खेती पर रोक लगा दी गई है।

2. उपरोक्त 19 ब्लॉक्स में अगर किसान ने 50 प्रतिशत से अधिक भूमि में धान की खेती की, तो किसान को सरकार की सब तरह की सब्सिडी से इंकार होगा व किसान का धान भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदा जाएगा (Clause vii, Annexure A1)

3. प्रदेश के 26 ब्लॉक में पंचायती भूमि पर धान की खेती पर रोक लगा दी गई है। इसमें से 18 ब्लॉक सरकार द्वारा जारी की गई 23अप्रैल, 2020 की चिट्ठी (Annexure A3) व 9 मई, 2020 के इश्तिहार (Annexure A2) में चिन्हित कर दिए गए हैं – असंध (जिला करनाल), पुंडरी, सीवन, गुहला (जिला कैथल), नरवाना (जिला जींद), थानेसर, बबैन, शाहबाद, पेहवा, पीपली, इस्माईलाबाद (जिला कुरुक्षेत्र), अंबाला-1, साहा (जिला अंबाला), रादौर (जिला यमुनानगर), गन्नौर (जिला सोनपत), रतिया, फतेहाबाद (जिला फतेहाबाद), सिरसा (जिला सिरसा)।

पिछले साल भी खट्टर सरकार ने धान की फसल की जगह मक्का पैदा करने के लिए ‘जल ही जीवन’ स्कीम 7 ब्लॉक चिन्हित कर शुरू की थी (Annexure A4)। 7 चिन्हित किए गए ब्लॉक थे – असंध, पुंडरी, नरवाना, थानेसर, अंबाला-1, रादौर व गन्नौर। इन इलाकों में धान की जगह मक्का की खेती करने के लिए 2000 रु. प्रति एकड़ कैश, 766 रु. प्रति एकड़ बीमा प्रीमियम व हाईब्रिड सीड देने का वादा किया था व 50,000 हेक्टेयर यानि 1,37,000 एकड़ में धान की बजाए मक्का की खेती होनी थी। परंतु न तो किसान को प्रति एकड़ मुआवज़ा मिला, न बीमा हुआ, हाईब्रिड सीड फेल हो गया और पूरी स्कीम केवल एक कागजी पुलिंदा बनकर रह गई। 

खट्टर सरकार के बदलते बोल, बदलते रंग व अजब कहानी देखिए। ‘जल ही जीवन’ स्कीम में चिन्हित 7 ब्लॉक (जिनके नाम ऊपर दिए गए हैं) छोड़कर तथा नाम बदलकर ‘मेरा पानी, मेरी विरासत’ के नाम से एक नई स्कीम 19 नए ब्लॉक में चालू कर दी। आज तक यह बताया ही नहीं कि पिछली स्कीम का क्या हुआ व 1,37,000 एकड़ में से कितनी भूमि धान से मक्का में तब्दील हुई। और नई स्कीम लागू करने का तरीका तो पूरी तरह निर्दयतापूर्ण, तानाशाही व गैरकानूनी है।

भूजल का संरक्षण आवश्यक है पर भूजल संरक्षण के नाम पर किसान के मुंह का निवाला छीन लेना कदापि मंजूर नहीं किया जा सकता। वो भी एक ऐसी खट्टर सरकार के द्वारा जिन्होंने बनी बनाई ‘दादूपुर नलवी रिचार्ज नहर परियोजना’ की भी तालाबंदी कर दी तथा पूरे उत्तरी हरियाणा के किसान को न भरपाई होने वाला नुकसान पहुंचाया। एक तरफ तो खट्टर सरकार 400 करोड़ से अधिक लागत से बनी दादूपुर नलवी रिचार्ज नहर परियोजना को बंद करती है, तो दूसरी ओर गिरते भूजल की दुहाई दे किसान के मुंह का निवाला छीनती है। यह अपनेआप में किसान विरोधी चेहरे को उजागर करता है। 

भाजपा-जजपा सरकार जवाब दे:-1. 19 ब्लॉक के किसानों की रोजी रोटी छीन धान की खेती पर रोक क्यों लगाई जा रही है? क्या इस साल 50 प्रतिशत से अधिक धान बीजने पर लगाई गई पाबंदी अगले साल तक बढ़कर 100 प्रतिशत हो जाएगी? ऐसे में किसान क्या करेगा? 2. क्या खट्टर सरकार द्वारा 19 ब्लॉक के धान पैदा करने वाले किसानों की फसल को MSP पर न खरीदने का निर्णय तानाशाहीपूर्ण नहीं?3. 26 ब्लॉक में पंचायत की जमीन पर किसान द्वारा धान की खेती पर रोक लगाने के अलावा क्या कोई और विकल्प नहीं?4. क्या खट्टर सरकार द्वारा दादूपुर नलवी रिचार्ज नहर परियोजना को बंद करने के निरंकुश निर्णय की सजा अब उत्तरी हरियाणा का किसान भुगत रहा है?5. पिछले साल की ‘जल ही जीवन’ स्कीम पूरी तरह से फेल हो जाने के बाद इस साल ‘मेरा पानी, मेरी विरासत’ स्कीम कैसे कामयाब होगी? क्या ये दोनों स्कीम किसान को पीड़ा देकर तजुर्बा करने का खट्टर सरकार का हथियार हैं, ताकि खरीद फसलों में धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य न देना पड़े?

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