चंडीगढ़, 10 अप्रैल । पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने निजी स्कूलों की मनमानी के लिए प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि प्रदेशभर से अभिभावकों की कई शिकायतें सामने आ रही हैं। उनका कहना है कि स्कूल प्रबंधन उनसे विभिन्न प्रकार के अवैध शुल्क वसूल कर रहा है। इतना ही नहीं, किताबों के नाम पर भी उनसे कई गुना ज्यादा पैसे वसूले जा रहे हैं। स्कूल प्रबंधन द्वारा अभिभावकों पर कुछ चयनित दुकानों से ही किताबें लेने के लिए दबाव डाला जाता है। वह दुकानदार अभिभावकों से 6 गुना तक ज्यादा रेट चार्ज कर रहे हैं।

अभिभावकों का कहना है कि एनसीईआरटी की किताबें आमतौर पर 650 रुपये में आ जाती हैं। लेकिन इन्हीं किताबों के उनसे लगभग ₹4000 वसूले जा रहे हैं। इसके अलावा भी ₹2500 से लेकर ₹3000 तक की अतिरिक्त किताबें खरीदनी पड़ रही हैं।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि प्रदेश की बीजेपी सरकार को निजी स्कूलों की मनमानी पर कार्रवाई करनी चाहिए। लेकिन ऐसा करने की बजाए सरकार खुद पूरे शिक्षा तंत्र को निजी हाथों में सौंपने के लिए कार्य कर रही है। सरकार द्वारा नए स्कूल बनाने की बजाय, पहले से मौजूद स्कूलों को बंद किया जा रहा है। सरकारी स्कूलों में टीचर्स की भर्ती पर अघोषित रोक लगा रखी है। पूरे 10 साल में भाजपा कार्यकाल के दौरान जेबीटी की एक भी भर्ती नहीं हुई। शिक्षा विभाग में लगभग 50000 पद खाली पड़े हुए हैं।

हुड्डा ने कहा कि सरकार लगातार ऐसी स्कीम लॉन्च कर रही है, जिससे अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों की बजाय प्राइवेट स्कूलों में दाखिला करवाने को मजबूर हो जाएं। बीजेपी की नीति गरीब, किसान, दलित और पिछड़े वर्ग के बच्चों को सस्ती और गुणवत्तापरक शिक्षा से वंचित करना है। इसीलिए विधानसभा में मुद्दा उठाए जाने के बावजूद सरकार ने निजी स्कूलों की मनमानी के मामले में कोई कार्रवाई नहीं की।

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