वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र : श्री दुर्गा देवी मन्दिर पिपली कुरुक्षेत्र के पीठाधीश और समर्थगुरु मैत्री संघ हिमाचल के जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ. मिश्रा ने बताया कि समर्थगुरु धाम के संस्थापक समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया द्वारा रचित ग्रंथ श्री सिद्धार्थ रामायण’ है। जिसमें पूर्ण अध्यात्म समाहित है। रामकथा द्वारा भगवान राम के जीवन और साधना सूत्रों से निर्गुण ब्रह्म के रहस्यो का समन्वय,सरल भाषा में है। सनातन धर्म को मानने वाले सनातनी के घर में इसकी प्रति होनी ही चाहिए जिसे समर्थगुरु धाम मुरथल गैलेरिया से प्राप्त कर सकते है।

भगवान राम विष्णु के अवतार हैं। वे सनातन धर्म एवं सनातन संस्कृति के आधार हैं। वे सत्यम् शिवम् सुन्दरम् के त्रिवेणी हैं। वे युग पुरुष हैं जिन्होंने त्रेतायुग में आसुरी शक्तियों को परास्त कर सत्धर्म की स्थापना की। राम नवमी के पावन अवसर पर श्री सिद्धार्थ रामायण ग्रंथ का विमोचन किया गया। समर्थगुरु ने बताया कि 28 वर्ष पूर्व राम नवमी के दिन अमरकंटक में सबसे पहली नाद दीक्षा साधकों को दी गई थी। हर घर में ‘श्री सिद्धार्थ रामायण’ होनी चाहिए। जो भी ओशो ने कहा, जो भी संतों ने कहा,वो सब का सार ‘श्री सिद्धार्थ रामायण’ में है। यह रामायण वाल्मीकि रामायण की तरह केवल कथा नहीं है,तुलसी रामायण की तरह कथा के साथ-साथ थोड़ा उसमें तत्त्व तो है,लेकिन इसमें पूरा अध्यात्म है।

इसी अवसर पर समर्थगुरु धाम के केंद्रीय संयोजक आचार्य दर्शन जी धर्म चक्र सत्संग क्रमांक 188 के अन्तर्गत श्री सिद्धार्थ रामायण का प्रथम भाव अनुवाद किया। जिसे हजारों साधकों ने जूम ऑनलाइन और फेसबुक के द्वारा श्रद्धा और भक्ति भावना से श्रवण किया।

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