– श्रीमति पर्ल चौधरी
वरिष्ठ नेत्री, हरियाणा प्रदेश कांग्रेस

हरियाणा सरकार ने हाल ही में सम्पन्न हुए बजट सत्र 2025-26 के वार्षिक बजट में एक नया विभाग गठित करने की घोषणा की—भविष्य विभाग ( डिपार्टमेन्ट ऑफ़ फ्यूचर)। सुनने में यह जितना भविष्यवादी लगता है, हकीकत में उतना ही व्यंग्यात्मक प्रतीत होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि अब हरियाणा की भाजपा सरकार ने मान लिया है कि इंसानी बुद्धि अतीत की पगडंडियों में खो चुकी है—पुरानी सभ्यताओं की कब्रें खोदने में आमजन को पुरातन विचारों के फावड़ों के साथ व्यस्त कर दिया गया है—और अब समय आ गया है कि भविष्य की बागडोर मशीनों को सौंप दी जाए।

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी द्वारा पेश यह पहल सत्ता के उच्च पदों पर आसीन सरकारी बाबुओं की टेक्नोलॉजी से हुई हालिया भेंट का नतीजा लगती है। मानो उन्होंने पहली बार ChatGPT खोला दो सवाल पूछे और निर्णय ले लिया कि आने वाले समय में नीति निर्माण से लेकर प्रशासन तक, सब कुछ कृत्रिम बुद्धिमत्ता ही संभालेगी।

आज जब चारों तरफ नफरत का माहौल अपनी जड़ें मजबूत करता दिख रहा है तब भारतवासियों को मानवीय संवेदनाओं, नैतिक विवेक और ज़मीनी समझ की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है, ऐसे में सरकार को सामाजिक भाईचारे को प्रगाढ़ करने के लिए भरपूर प्रयास करना चाहिए। समाज का हर वर्ग संवैधानिक मानदंडों के अंतर्गत अपने अपने सामाजिक परिवेश और धार्मिक विचारों के अनुसार त्योहार मनाने के लिए आजाद होना चाहिए।

यह सोचने वाली बात है कि क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वह कर पाएगा जो वर्षों से लोक सेवक भी नहीं कर पाए? या यह सिर्फ एक और ‘दिखावटी नवाचार’ है, जो ज़मीनी मुद्दों जैसे बेरोजगारी, मंहगाई, भ्रष्टाचार, महिला सशक्तिकरण, प्रदूषण, पेयजल इत्यदि से ध्यान भटकाने का साधन भर है?

जब इंसान अतीत में उलझा हो, तो भविष्य को मशीनों के हवाले कर देना शायद आसान रास्ता लगे। लेकिन यह याद रखना ज़रूरी है—मशीनें न सवाल करती हैं, न संवेदनाएँ समझती हैं, और न ही लोकतंत्र का मर्म।

‘भविष्य विभाग’ सच में हमें आगे ले जाएगा, या फिर यह भविष्य को एक ऐसी दिशा में मोड़ देगा जहाँ इंसान तो होंगे, पर इंसानियत नहीं—यह आने वाला समय ही बताएगा।

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