अर्जुन चौटाला ने नशे की रोकथाम और अदित्य देवीलाल ने जोहड़ों की खुदाई में भ्रष्टाचार पर उठाए प्रश्न

चंडीगढ़, 27 मार्च। हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के ग्यारहवें दिन प्रश्नकाल के दौरान इनेलो विधायक दल के नेता अदित्य देवीलाल और अर्जुन चौटाला ने राज्य सरकार से महत्वपूर्ण मुद्दों पर जवाब मांगे। अदित्य देवीलाल ने मास्टर प्लान के तहत शैक्षणिक संस्थानों को अलॉट की गई जमीन के व्यावसायिक इस्तेमाल और अमृत सरोवर योजना में हुए भ्रष्टाचार पर सवाल उठाए, जबकि अर्जुन चौटाला ने नशे की रोकथाम और नशा मुक्ति केंद्रों की कार्यप्रणाली पर सरकार से जवाब मांगा।
मास्टर प्लान में शैक्षणिक संस्थानों की भूमि का व्यावसायिक उपयोग— अदित्य देवीलाल
अदित्य देवीलाल ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत सरकार से यह स्पष्ट करने की मांग की कि शैक्षणिक संस्थानों के लिए आवंटित भूमि को वाणिज्यिक और कॉमर्शियल उपयोग के लिए बिल्डरों को क्यों बेचा जा रहा है?
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि गुरुग्राम के सेक्टर-43 में मास्टर प्लान के तहत एक शिक्षण संस्थान के लिए आरक्षित भूमि को डीएलएफ को बेच दिया गया, जिसने वहां 190 करोड़ रुपये मूल्य के फ्लैट बेच दिए। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस शासनकाल में किसानों से कौड़ियों के भाव जमीन लेकर उसे रिलायंस को बेचा गया, और अब मौजूदा सरकार बड़े-बड़े बिल्डरों को जमीन दे रही है।
उन्होंने इस पर भी सवाल उठाया कि अब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बेटा भी गुरुग्राम में जमीन खरीद रहा है। आखिर, सरकार इस तरह से शैक्षणिक भूमि को व्यावसायिक उपयोग के लिए कैसे परिवर्तित कर रही है, और इसके लिए क्या नियम बनाए गए हैं?
अमृत सरोवर योजना में भ्रष्टाचार का मुद्दा— अदित्य देवीलाल
प्रश्नकाल के दौरान अमृत सरोवर योजना के तहत गांवों में खोदे गए जोहड़ों में हुए भ्रष्टाचार का मामला भी उठा। अदित्य देवीलाल ने कहा कि सरकार द्वारा जोहड़ों की खुदाई का मुख्य उद्देश्य उनका विस्तार करना और अधिक जल संग्रहण सुनिश्चित करना था, लेकिन भ्रष्टाचार के कारण यह योजना विफल हो रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि, “जिन जोहड़ों की मिट्टी बाहर निकालनी थी, उसे वहीं पर बरम पर डाल दिया गया, जिससे जोहड़ का आकार छोटा हो गया। इससे जल संरक्षण की बजाय पानी का संग्रहण और कम हो गया है।”
उन्होंने मांग की कि हर खोदे गए जोहड़ की रिपोर्ट में ग्राम पंचायत और स्थानीय लोगों की राय को शामिल किया जाए ताकि भ्रष्टाचार की सही तस्वीर सामने आ सके।
नशे की रोकथाम पर अर्जुन चौटाला का सरकार से सवाल

अर्जुन चौटाला ने राज्य में नशे की रोकथाम और नशा मुक्ति केंद्रों की कार्यप्रणाली को लेकर सरकार से कई गंभीर सवाल पूछे। उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि:
- जिलेवार नशा मुक्ति केंद्र कौन से प्रोटोकॉल का पालन करते हैं?
- क्या ये केंद्र NABH (National Accreditation Board for Hospitals & Healthcare Providers) और IRCA (Integrated Rehabilitation Centre for Addicts) की गाइडलाइंस के तहत संचालित होते हैं?
- सरकार किस आधार पर यह तय करती है कि कोई युवा नशा मुक्त हो चुका है?
- क्या नशा मुक्ति केंद्र से डिस्चार्ज होने के बाद युवाओं का फॉलोअप किया जाता है?
उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि कई मामलों में देखा गया है कि नशा मुक्ति केंद्र से बाहर आने के बाद युवाओं का कोई फॉलोअप नहीं होता, जिसके कारण वे दोबारा नशे की चपेट में आ जाते हैं।
उन्होंने सरकार से यह भी पूछा कि किस आधार पर किसी गांव को “नशा मुक्त” घोषित किया जाता है? कई जिलों को नशा मुक्त घोषित किए जाने के कुछ ही दिनों बाद वहां ओवरडोज के कारण युवाओं की मौत हो गई। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह सरकारी दबाव में लिया गया फैसला है?
उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार कई जिलों में नशे के सिर्फ 30-40 मामले दर्ज हैं, जबकि सिरसा जैसे जिले में 4500 से अधिक नशे के केस दर्ज हैं।
अर्जुन चौटाला ने स्वास्थ्य मंत्री से आग्रह किया कि वे स्वयं नशा मुक्ति केंद्रों का दौरा करें और इन केंद्रों में सुधार के लिए ठोस कदम उठाएं।
निष्कर्ष
बजट सत्र के ग्यारहवें दिन विपक्ष ने सरकार की नीतियों और उनके क्रियान्वयन पर गंभीर सवाल उठाए।
- अदित्य देवीलाल ने सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा कि शैक्षणिक संस्थानों के लिए आरक्षित भूमि को व्यावसायिक उपयोग के लिए क्यों बेचा जा रहा है और इसका नियम क्या है?
- उन्होंने अमृत सरोवर योजना में बड़े स्तर पर हुए भ्रष्टाचार की भी पोल खोली।
- अर्जुन चौटाला ने नशा मुक्ति केंद्रों की कार्यप्रणाली, फॉलोअप सिस्टम और सरकार की नशा मुक्त गांव घोषित करने की प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए।
अब देखना होगा कि सरकार इन मुद्दों पर क्या स्पष्टीकरण देती है और क्या ठोस कदम उठाती है।