
गुरुग्राम, 21 मार्च 2025 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से प्रदेश पर कुल कितना कर्ज है, इस पर एक विस्तृत श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस श्वेत पत्र में आंतरिक कर्ज, सभी देनदारियां, पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज के कर्ज, स्मॉल सेविंग्स व पेंडिंग बिलों का पूरा विवरण होना चाहिए ताकि प्रदेश के नागरिकों को हरियाणा की वास्तविक आर्थिक स्थिति की स्पष्ट जानकारी मिल सके।
विद्रोही ने कहा कि हरियाणा की वित्तीय स्थिति को लेकर सरकार की गोपनीयता से विपक्ष के आरोपों को बल मिलता है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार पिछले दस वर्षों में हरियाणा को भारी कर्ज तले दबा चुकी है और इसकी सही जानकारी जनता से छिपाने का असफल प्रयास कर रही है।
क्या कहता है विपक्ष?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हाल ही में एक प्रेसवार्ता में आंकड़े प्रस्तुत करते हुए दावा किया कि हरियाणा पर इस समय 516007 करोड़ रुपये का कर्ज है। उनके अनुसार:
- 352819 करोड़ रुपये का आंतरिक कर्ज है।
- 68995 करोड़ रुपये का कर्ज पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज पर है, जिसका उल्लेख बजट 2025 में मुख्यमंत्री ने विधानसभा में किया है।
- 48000 करोड़ रुपये की नागरिकों की स्मॉल सेविंग्स देनदारी है।
- 46193 करोड़ रुपये की लायबिलिटीज हैं।
- पेंडिंग बिल आदि को मिलाकर हरियाणा पर कुल 516007 करोड़ रुपये का कर्ज व देनदारियां हैं।
हुड्डा ने यह भी सवाल उठाया कि यदि 2013-14 में हरियाणा पर मात्र 70,000 करोड़ रुपये का कर्ज था, तो यह सात गुना बढ़कर 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक कैसे हो गया? उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने सत्ता के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के चलते सरकारी खजाने को बुरी तरह लूटा और प्रदेश को आर्थिक रूप से खोखला कर दिया।
विद्रोही की मांग:
वेदप्रकाश विद्रोही ने सरकार से स्पष्ट रूप से यह मांग की कि मुख्यमंत्री बिना किसी ना-नुकुर के हरियाणा के आंतरिक कर्ज, पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज के कर्ज व अन्य सभी देनदारियों का विस्तृत विवरण जनता के सामने प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि यह हरियाणा के नागरिकों का संवैधानिक अधिकार है कि उन्हें प्रदेश की आर्थिक स्थिति की सही जानकारी मिले। उन्होंने कहा कि यदि सरकार पारदर्शिता में विश्वास रखती है, तो उसे तुरंत श्वेत पत्र जारी करना चाहिए।
प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर बढ़ते सवालों के बीच अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी इस मांग पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और क्या सरकार इन आंकड़ों को सार्वजनिक करेगी या नहीं।