
चंडीगढ़/नई दिल्ली,रेवाड़ी, 20 मार्च 2025: पंजाब के शम्भू और खनौरी बॉर्डर पर पिछले 13 महीनों से जारी किसान धरने को हटाने के लिए की गई पुलिस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने इसे “किसान विरोधी मानसिकता की पराकाष्ठा” करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने केंद्र की मोदी-भाजपा सरकार के इशारे पर पुलिस बल और बुलडोजर का इस्तेमाल कर धरनारत किसानों के टेंट उखाड़े और कई किसान नेताओं को गिरफ्तार किया।
विद्रोही ने कहा कि हरियाणा में भाजपा सरकार किसानों को दिल्ली जाने से रोक रही है, जबकि पंजाब में भगवंत मान सरकार पुलिसिया दमन के जरिए किसानों के विरोध प्रदर्शन को खत्म कर रही है। उन्होंने इसे साफ संकेत बताया कि भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) किसानों के विरोध में एक जैसी नीति पर काम कर रही हैं।
किसानों पर पुलिसिया कार्रवाई की निंदा
विद्रोही ने बताया कि चंडीगढ़ में किसानों और केंद्र सरकार के बीच बातचीत के बाद जब किसान नेता मोहाली पहुंचे, तो पंजाब पुलिस ने वहां किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल, रणधीर सिंह पंधेर समेत अन्य नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। इसके तुरंत बाद, पुलिस और बुलडोजरों के जरिए शम्भू और खनौरी बॉर्डर पर धरना दे रहे किसानों को हटाने की कार्रवाई की गई।
“केजरीवाल-भगवंत मान सरकार भाजपा के इशारे पर कर रही है काम”
विद्रोही ने कहा कि जब मोदी सरकार ने तीन कृषि कानून लागू किए थे, तब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सबसे पहले उन्हें लागू करने की अधिसूचना जारी की थी। अब, दिल्ली में चुनाव हारने और भ्रष्टाचार के आरोपों से बचने के लिए केजरीवाल ने मोदी सरकार को खुश करने के लिए पंजाब की सत्ता का दुरुपयोग कर किसानों के खिलाफ दमन किया।
“किसान विरोधी ताकतों को सत्ता से बाहर करना जरूरी”
विद्रोही ने सवाल किया कि जब हरियाणा की भाजपा सरकार पंजाब के किसानों को दिल्ली जाने से रोक रही है और पंजाब की “आप” सरकार किसानों को अपने ही प्रदेश में धरना देने नहीं दे रही, तो किसान अपनी आवाज कहां उठाएं? उन्होंने किसानों और मेहनतकश जनता से मोदी-भाजपा-संघ और केजरीवाल-भगवंत मान की किसान विरोधी राजनीति को पहचानने और इन्हें सत्ता से बाहर करने का आह्वान किया।
“संवैधानिक अधिकारों पर हमला बर्दाश्त नहीं”
विद्रोही ने इस कार्रवाई को लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों पर सीधा हमला बताया और कहा कि किसानों को अपने हक की लड़ाई लड़ने से रोकना लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा है। उन्होंने देशभर के किसानों से एकजुट होकर इन “किसान विरोधी ताकतों” के खिलाफ संघर्ष तेज करने का आह्वान किया।