हिसार: हरियाणा सरकार द्वारा हाल ही में प्रस्तुत हरियाणा शव का सम्मानजनक निपटान विधेयक को लेकर प्रदेश में तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं। हरियाणा कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट के अध्यक्ष एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने इस विधेयक को जनता के मौलिक अधिकारों पर हमला करार दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह विधेयक लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन करता है और शांतिपूर्ण धरने व प्रदर्शन के अधिकार को समाप्त करने का षड्यंत्र है।
लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन
एडवोकेट खोवाल ने कहा कि धरना-प्रदर्शन करना प्रत्येक नागरिक का संवैधानिक अधिकार है। सरकार इस विधेयक के माध्यम से लोगों की आवाज दबाने और जनसत्ता को कमजोर करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि यदि यह विधेयक पारित हो जाता है, तो कोई भी व्यक्ति या समूह किसी शव के साथ प्रदर्शन नहीं कर पाएगा, चाहे वह न्याय की गुहार लगाने वाला पीड़ित परिवार ही क्यों न हो। इतना ही नहीं, धरने या प्रदर्शन करने पर छह महीने से तीन साल तक की सजा और एक लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
पीड़ितों के लिए न्याय की राह होगी कठिन
एडवोकेट खोवाल ने कहा कि जब किसी गरीब या असहाय व्यक्ति की हत्या हो जाती है और न्याय नहीं मिलता, तब परिजन मजबूरीवश शव के साथ प्रदर्शन कर न्याय की माँग करते हैं। यह विधेयक पारित होने के बाद, इस प्रकार के विरोध प्रदर्शन पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी। उन्होंने कहा कि कई बार प्रभावशाली लोग हत्या के मामलों को दबाने की कोशिश करते हैं, ऐसे में परिजनों के पास धरने और प्रदर्शन के अलावा न्याय की गुहार लगाने का कोई विकल्प नहीं बचता।
सरकार का तानाशाही रवैया
एडवोकेट खोवाल ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस विधेयक के जरिए भाजपा सरकार जनता में डर का माहौल बनाना चाहती है ताकि लोग सरकार की नीतियों का विरोध करने से घबराएँ। उन्होंने कहा कि कई बार अनशन के दौरान अनशनकारी की मृत्यु हो जाती है, ऐसी स्थिति में परिजन यदि न्याय की माँग के लिए शव के साथ धरना देना चाहें, तो भी यह विधेयक उन्हें इसकी अनुमति नहीं देगा। यह स्पष्ट रूप से लोकतंत्र के सिद्धांतों के विपरीत है।
प्रशासनिक लापरवाही और जनता की पीड़ा
उन्होंने कहा कि आजकल बिना धरना-प्रदर्शन के न तो पुलिस कोई कार्रवाई करती है और न ही पीड़ितों को न्याय मिलता है। सरकार के संरक्षण में पल रहे असामाजिक तत्व प्रशासन को दबाव में रखते हैं, जिसके चलते कई गंभीर मामलों में भी अपराधियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। जब न्याय के सभी द्वार बंद हो जाते हैं, तो जनता मजबूरी में सड़कों पर उतरती है।
सरकार को कानून व्यवस्था सुधारने पर ध्यान देना चाहिए
एडवोकेट खोवाल ने कहा कि यदि सरकार वास्तव में जनता की चिंता करती है, तो उसे सबसे पहले कानून व्यवस्था सुधारनी चाहिए। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पीड़ितों को समय पर न्याय मिले ताकि उन्हें धरने और प्रदर्शन का सहारा ही न लेना पड़े। लेकिन, सरकार ऐसा करने के बजाय जनता की आवाज को दबाने के लिए तानाशाही कानून बना रही है।
निष्कर्ष
हरियाणा कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया है और इसे जनता के मौलिक अधिकारों पर हमला बताया है। एडवोकेट खोवाल ने कहा कि भाजपा सरकार इस विधेयक को लाकर लोगों को दबाने और उनके संवैधानिक अधिकारों को छीनने की कोशिश कर रही है। उन्होंने सरकार से इस विधेयक को वापस लेने की माँग की और जनता से लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए एकजुट होने का आह्वान किया।