गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज2 मार्च को संपन्न हुए गुरुग्राम नगर निगम चुनावों में आचार संहिता के उल्लंघन पर जिला निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार और नगर निगम के नोडल अधिकारी बलप्रीत सिंह की चुप्पी प्रशासनिक लापरवाही को उजागर कर रही है। चुनाव प्रचार के दौरान अवैध बैनर, होर्डिंग्स, पोस्टर और अन्य प्रचार सामग्री से शहर को बदरंग किया गया, लेकिन अधिकारियों ने सिर्फ खानापूर्ति कर मामले को नजरअंदाज कर दिया।

चुनाव आयोग के निर्देशों की खुली अवहेलना

सूत्रों के अनुसार, राज्य चुनाव आयोग के सख्त निर्देशों के बावजूद राजनीतिक दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों ने सरकारी संपत्तियों पर अवैध प्रचार सामग्री लगाई। स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तर, सड़क, दिशानिर्देश बोर्ड, पार्क, ग्रीन बेल्ट, बिजली के खंभे, सार्वजनिक चौपाल और सामुदायिक भवनों तक को नहीं बख्शा गया।

हालांकि, नोडल अधिकारी बलप्रीत सिंह ने कुछ स्थानों से प्रचार सामग्री हटाने का नाटक किया, लेकिन जहां लगातार शिकायतें मिल रही थीं, वहां राजनीतिक दबाव के कारण कोई कार्रवाई नहीं हुई।

शिकायतें अनसुनी, प्रशासनिक तंत्र फेल

  • जागरूक नागरिकों ने लोकेशन और तस्वीरों सहित चुनाव आयोग, जिला प्रशासन और राज्य चुनाव आयोग को शिकायतें भेजीं।
  • राज्य चुनाव आयोग से जिला निर्वाचन अधिकारी को लिखित निर्देश भी मिले, लेकिन फाइलें सरकारी दफ्तरों में घूमती रहीं।
  • जब नागरिकों ने जिला निर्वाचन अधिकारी को फोन किया, तो उन्होंने अपना मोबाइल वॉइसमेल पर डाल दिया, ताकि किसी की शिकायत न सुनी जाए।

निगम कर्मियों पर भ्रष्टाचार के आरोप

  • निगम के इंफोर्समेंट विंग के कर्मचारियों पर आरोप है कि उन्होंने पैसे लेकर अवैध होर्डिंग्स और बैनर हटाने से इनकार कर दिया।
  • कई पूर्व पार्षदों ने निगम की अवैध संपत्तियों को चुनावी दफ्तर में बदल दिया, जहां शराब और कबाब की महफिलें भी जमती रहीं।
  • स्थानीय पुलिस की शह पर ये गतिविधियां चलती रहीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

मेयर प्रत्याशियों ने भी सरकार को लगाया चूना

  • पार्षद उम्मीदवार ही नहीं, बल्कि मेयर पद के प्रत्याशियों ने भी आचार संहिता का खुला उल्लंघन किया।
  • नगर निगम द्वारा ठेके पर दिए गए यूनिपोल (जहां विज्ञापन से सरकारी राजस्व आता है) पर भाजपा के मेयर उम्मीदवारों के बैनर-पोस्टर सबसे ज्यादा दिखे।
  • इससे सरकार को भारी आर्थिक नुकसान हुआ, क्योंकि निगम को इन विज्ञापन स्थलों से मिलने वाला राजस्व प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशियों के प्रचार में स्वाहा हो गया।

प्रशासन की चुप्पी पर उठते सवाल

गुरुग्राम में चुनाव आयोग के आदेशों की अनदेखी और प्रशासन की निष्क्रियता ने साफ कर दिया कि चुनावी अनियमितताओं पर कोई नियंत्रण नहीं है। चुनावों के बाद भी अवैध बैनर-पोस्टर नहीं हटाए गए, जिससे साफ जाहिर होता है कि प्रशासनिक अमला केवल राजनीतिक दबाव में काम कर रहा है।

अब देखना यह होगा कि राज्य चुनाव आयोग और सरकार इस मामले में कोई कड़ा कदम उठाएंगे या फिर यह अनियमितता हर चुनाव का हिस्सा बनी रहेगी?

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