अगर मतदान में N.O.T.A को पड़े सर्वाधिक वोट, तो दोबारा होगा चुनाव जिसमें पिछले सभी प्रत्याशी नहीं लड़ सकेंगे चुनाव – एडवोकेट हेमंत

चंडीगढ़ – हरियाणा प्रदेश के कुल 33 नगर निकायों ( 8 नगर निगमों, 4 नगरपालिका परिषदों एवं 21 नगरपालिका समितियों ) के आम चुनाव एवं अम्बाला और सोनीपत नगर निगमों के मेयर पद उपचुनाव. 1 नगरपालिका परिषद एवं 2 नगरपालिका समितियों के अध्यक्ष पद का उपचुनाव एवं 3 नगरपालिका समितियों में 1-1 वार्ड सदस्यों (पार्षदों) के उपचुनाव के लिए 2 मार्च ( पानीपत नगर निगम के लिए 9 मार्च) को मतदान निर्धारित है जबकि 12 मार्च को मतगणना होगी.

इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट और म्यूनिसिपल कानून जानकार हेमंत कुमार (9416887788) जो प्रदेश की अम्बाला नगर निगम के मतदाता भी है, ने एक रोचक परंतु अत्यंत महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि 2 मार्च के म्युनिसिपल चुनाव में

हर मतदाता हर ई.वी.एम. (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) पर दिए गए N.O.T.A. (नन ऑफ़ द अबाव- अर्थात उपरोक्त में से कोई भी नहीं) विकल्प को हलका न समझे. अगर मतदाता चाहें तो वह इस N.O.T.A. विकल्प द्वारा मौजूदा सभी उम्मीदवारों को रिजेक्ट कर उस वार्ड या समस्त निकाय क्षेत्र में ताज़ा चुनाव भी करवा सकते हैं.

इस संबंध में उन्होंने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि नवंबर, 2018 के बाद हरियाणा निर्वाचन आयोग द्वारा प्रदेश में नगर निकायों के जितने भी चुनाव करवाये गए हैं उनमें मतदान के दौरान प्रयुक्त होने वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ई.वी.एम.) में न केवल नोटा –N.O.T.A. (नन ऑफ़ द अबाव- अर्थात उपरोक्त में से कोई भी नहीं) का बटन/विकल्प दिया गया है बल्कि इसी के साथ आयोग ने उसके द्वारा जारी एक आदेश से यह भी व्यवस्था लागू कर रखी है कि चुनावों में N.O.T.A. को एक फिक्शनल इलेक्शन कैंडिडेट (कल्पित चुनावी प्रत्याशी) माना जाएगा एवं उसके पक्ष में पड़ी वोटों को रिकॉर्ड पर लिया जाएगा.

हरियाणा चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर भी प्रदेश के जिन नगर निकायों में चुनाव है, उनमें चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के नाम और चुनाव-चिन्ह के साथ N.O.T.A. विकल्प को भी प्रत्याशी तौर पर दर्शाया जा रहा है.

22 नवंबर 2018 को हरियाणा के तत्कालीन राज्य निर्वाचन आयुक्त डॉ. दलीप सिंह द्वारा जारी आदेशानुसार ऐसी व्यवस्था तत्काल प्रभाव से प्रदेश में सभी स्थानीय चुनावों पर लागू की गई. महाराष्ट्र, दिल्ली और पुडुचेरी में भी ऐसी व्यवस्था लागू है.

हेमंत ने बताया कि उपरोक्त व्यवस्था में अगर किसी चुनावी क्षेत्र में (अर्थात नगर निगम / नगरपालिका परिषद/ नगरपालिका समिति के मेयर या अध्यक्ष के सम्बन्ध में पूरे निकाय क्षेत्र में एवं वार्ड सदस्य के सम्बन्ध में प्रासंगिक वार्ड में अगर N.O.T.A. के पक्ष में डाले गए वोट एवं किसी प्रत्याशी को डाले गए वोट सर्वाधिक अर्थात शेष उम्मीदवारों को व्यक्तिगत प्राप्त वोटों से अधिक हालांकि दोनों को‌ प्राप्त आपस में बराबर हैं, तो ऐसी स्थिति में उस सर्वाधिक वोट लेने वाले प्रत्याशी को (न कि N.O.T.A. को) उस चुनावी क्षेत्र से विजयी घोषित कर दिया जाएगा.

परन्तु अगर N.O.T.A. के पक्ष में डाले गए वोट उस चुनावी क्षेत्र में चुनाव लड़ रहे सभी प्रत्याशियों को व्यक्तिगत तौर पर प्राप्त वोटों से अधिक हैं, तो उस परिस्थिति में किसी भी प्रत्याशी को उस वार्ड से निर्वाचित घोषित नहीं किया जाएगा एवं संबंधित रिटर्निंग आफिसर द्वारा इस सम्बन्ध में निर्वाचन आयोग को सूचित किया जाएगा एवं आयोग द्वारा उस चुनावी क्षेत्र में वह चुनाव पूर्णतया रद्द कर दोबारा चुनाव करवाया जाएगा जिसमें हालांकि उन सभी पिछले प्रत्याशियों को ताजा चुनाव नहीं लड़ने दिया जाएगा जिन्होंने पिछले चुनाव, जो रद्द कर दिया गया, में मतगणना में NOTA को प्राप्त हुए वोटों से कम वोट प्राप्त किए थे.

इसका सीधा अर्थ यह है कि दोबारा करवाए जाने वाले चुनाव में सभी प्रत्याशी नए ही होंगे एवं पिछले सभी उम्मीदवार उस नगर निकाय क्षेत्र/वार्ड में दोबारा चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य माने जायेंगे.

हेमंत ने आगे बताया कि हरियाणा निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आदेश में आगे यह उल्लेख किया गया है कि अगर ताजा चुनाव की मतगणना में भी NOTA के पक्ष में सर्वाधिक वोट पड़ते हैं, तो ऐसी परिस्थिति में तीसरी बार ताजा चुनाव नही करवाया जाएगा एवं NOTA के बाद सर्वाधिक वोट हासिल करने वाले दूसरे नंबर के प्रत्याशी को उस चुनाव में विजयी घोषित कर दिया जाएगा.

सनद रहे कि सुप्रीम कोर्ट के तीन जज बेंच द्वारा सितम्बर 2013 में दिए गए एक निर्णय – पी.यू.सी.एल. बनाम भारत सरकार में देश की सर्वोच्च अदालत ने चुनावों में NOTA के विकल्प का प्रावधान डालने बारे भारतीय चुनाव आयोग को निर्देश तो दिया था परन्तु उसमे ऐसा कुछ नही था जैसा हरियाणा निर्वाचन आयोग ने व्यवस्था लागू कर रखी है.

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