26 फ़रवरी 2025 को महाशिवरात्रि के स्नान के साथ महाकुंभ आयोजन का समापन होगा
-श्रद्धालुओं का आंकड़ा 70 करोड़ पार होने की संभावना
– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

प्रयागराज महाकुंभ 2025 न केवल एक आध्यात्मिक आयोजन है, बल्कि यह वैश्विक शोध का भी विषय बन चुका है। दुनिया के प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, आईआईएम, एम्स सहित 20 से अधिक शिक्षण संस्थानों ने इस आयोजन पर अध्ययन प्रारंभ कर दिया है।
महाकुंभ का वैश्विक प्रभाव
इस आयोजन के विशाल स्वरूप को देखकर संपूर्ण विश्व आश्चर्यचकित है। अनुमान है कि लगभग 70 करोड़ श्रद्धालु इस महाकुंभ में पवित्र डुबकी लगाकर धार्मिकता की अनुभूति करेंगे। यह न केवल आध्यात्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
महाकुंभ पर शोध और अध्ययन

महाकुंभ के दौरान कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर शोध किए जा रहे हैं।
- आर्थिक प्रभाव: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स इस आयोजन के आर्थिक प्रभाव का विश्लेषण कर रहा है।
- पर्यावरणीय अध्ययन: बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन महाकुंभ के पर्यावरणीय प्रभाव का अध्ययन कर रहा है।
- भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा: आईआईटी कानपुर डिजिटल तकनीकों के उपयोग और भीड़ प्रबंधन की रणनीतियों का विश्लेषण कर रहा है।
- स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन: एम्स आपातकालीन चिकित्सा प्रतिक्रिया और स्वास्थ्य प्रणाली की तैयारी पर शोध कर रहा है।
- भोजन और जल आपूर्ति: हार्वर्ड विश्वविद्यालय भोजन वितरण प्रणाली और पेयजल प्रबंधन पर अध्ययन कर रहा है।
महाकुंभ की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता
महाकुंभ मेला हर 12 वर्षों में प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में आयोजित किया जाता है। इसका उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है और यह समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश से जुड़ा हुआ है। पवित्र नदियों में स्नान करने से मोक्ष प्राप्ति का विश्वास हिंदू धर्म में प्रचलित है।
प्रयागराज में विशाल व्यवस्थाएं

महाकुंभ 2025 के आयोजन को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए प्रशासन ने अनेक सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं।
- 150,000 से अधिक टेंट तीर्थयात्रियों के लिए लगाए गए हैं।
- सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
- शटल बसें, ई-रिक्शा और विशेष परिवहन व्यवस्थाएं लागू की गई हैं।
चुनौतियां और प्रशासन की भूमिका
महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन में कुछ समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं, जैसे जाम, अफवाहों का प्रसार और अत्यधिक भीड़। प्रशासन ने 34 सोशल मीडिया अकाउंट्स पर एफआईआर दर्ज की है, जो महाकुंभ के नाम पर भ्रामक जानकारियां फैला रहे थे।
निष्कर्ष
महाकुंभ 2025 केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक, पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक अध्ययन का भी एक अनूठा अवसर है। यह आयोजन भारत की सांस्कृतिक धरोहर और वैज्ञानिक शोध के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बना हुआ है। 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के स्नान के साथ इस महाकुंभ का समापन होगा, और इस ऐतिहासिक आयोजन का प्रभाव आने वाले वर्षों तक बना रहेगा।
-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र