हरियाणा म्युनिसिपल कानून, 1973 की धारा 13-ए में प्रॉपर्टी टैक्स बकाया होना अयोग्यता नहीं

हालांकि हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 8 में निगम के प्रति किसी भी प्रकार की धनराशि देय होना अयोग्यता

चंडीगढ़ – आज 11 फरवरी से हरियाणा प्रदेश के कुल 33 नगर निकायों ( 8 नगर निगमों – नामत: फरीदाबाद, गुरुग्राम, हिसार, करनाल, मानेसर, पानीपत, रोहतक और यमुनानगर, 4 नगरपालिका परिषदों – अम्बाला सदर, पटौदी-जाटौली मंडी, सिरसा और थानेसर एवं 21 नगरपालिका समितियों ) के आम चुनाव एवं अम्बाला और सोनीपत नगर निगमों के मेयर पद उपचुनाव, सोहना नगरपालिका परिषद, इस्माईलाबाद और असंध नगरपालिका समितियों के अध्यक्ष पद के उपचुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया आरम्भ हो गई है जो अगले सोमवार 17 फरवरी तक चलेगी. मतदान 2 मार्च 2025 ( पानीपत नगर निगम के लिए 9 मार्च) जबकि मतगणना 12 मार्च 2025 को होगी.इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट एडवोकेट और म्युनिसिपल कानून जानकार हेमंत कुमार ने बताया कि हरियाणा म्युनिसिपल कानून, 1973, जो प्रदेश की सभी नगरपालिका परिषदों (म्युनिसिपल कौंसिल) और नगरपालिका समितियों (म्युनिसिपल कमेटी) पर लागू होता है की धारा 13 ए में उक्त नगर निकायों के अध्यक्ष और वार्ड सदस्यों ( जिन्हें आम भाषा में पार्षद कहा जाता है हालांकि पार्षद शब्द म्युनिसिपल कानून में नहीं है) का चुनाव लड़ने बारे विभिन्न अयोग्यताओं सम्बन्धी उल्लेख किए गए हैं जिसके अनुसार 21 वर्ष से कम आयु वाला व्यक्ति निकाय चुनाव नहीं लड़ सकता है. इसके अतिरिक्त अगर किसी व्यक्ति को अदालत द्वारा किसी क्रिमिनल (फौज़दारी ) केस में दस वर्ष की जेल की सजा हो चुकी हो अथवा उसके विरूद्ध ऐसे किसी आपराधिक मामले में चार्जेज फ्रेम (आरोप तय ) किये गए हैं जिसमें उसे दोषी साबित होने पर कम से कम दस वर्ष का कारवास हो सकता है, वह भी निकाय अध्यक्ष या वार्ड सदस्य का चुनाव नहीं लड़ सकता है.

इसके अतिरिक्त नगर निकाय अध्यक्ष और वार्ड सदस्यों का निर्वाचन लड़ने वालों के लिए न्यूनतम मेट्रिक (दसवीं ) पास होना आवश्यक है. अनुसूचित जाति (एस.सी. ) वर्ग के पुरुष और हर वर्ग की महिला के लिए हालांकि कम से कम आठवीं पास होना आवश्यक है. वहीं वार्डों से चुनाव लड़ने वाली अनुसूचित जाति वर्ग की महिला उम्मीदवार के लिए पांचवी पास होना ही पर्याप्त है. पिछड़ी जाति (बीसी ) के पुरुष/महिला के उम्मीदवार के लिए कोई रियायत नहीं है एवं उन पर सामान्य वर्ग के प्रत्याशी के तौर पर ही योग्यता का पैमाना लागू होंगे

हेमंत ने बताया कि इसके अतिरिक्त अगर किसी व्यक्ति कि प्राथमिक कृषि कोपरेटिव ( सहकारी) सोसाइटी, जिला केंद्रीय कोआपरेटिव बैंक या जिला प्राथमिक सहकारी कृषि ग्रामीण विकास बैंक के प्रति किसी प्रकार के भुगतान की देनदारी है, तो वह भी नगर निकाय अध्यक्ष और वार्ड सदस्य का चुनाव नहीं लड़ सकता है. इसी प्रकार बिजली बिलो का भुगतान न करने वाला व्यक्ति भी उक्त चुनाव नहीं लड़ सकेगा. इसके अतिरिक्त अगर भावी उम्मीदवार यह स्वत: घोषणा करने में असफल रहता है कि उसके घर/निवास स्थान पर कार्यशील टॉयलेट (शौचालय ) है, तब भी उसे उक्त चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य होगा.

हेमंत ने एक रोचक परन्तु महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि हरियाणा म्युनिसिपल कानून, 1973 की उपरोक्त धारा 13 ए में ऐसा उल्लेख नहीं किया गया है कि नगर निकाय अध्यक्ष और वार्ड सदस्य का चुनाव लड़ने वाले भावी उम्मीदवार के लिए नगर निकाय द्वारा प्रतिवर्ष अपने क्षेत्राधिकार में स्थित मकानों, दुकानों, प्लाटों आदि पर लगाये जाने वाले प्रॉपर्टी टैक्स (सम्पत्ति कर) का देनदारी/ बकाया नहीं होना चाहिए जैसे कि बिजली बिलों और कोआपरेटिव बैंक आदि के सम्बन्ध में किया गया है. इसका अर्थ यही निकलता है कि अगर किसी व्यक्ति का वर्षो से प्रॉपर्टी टैक्स बकाया है या दूसरे शब्दों में वह प्रॉपर्टी टैक्स डिफाल्टर है, तो वह भी नगर निकाय चुनाव लड़ सकता है.

हालांकि हेमंत ने बताया कि हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 जो प्रदेश की सभी नगर निगमों पर लागू है, की धारा 8, जो नगर निगम चुनाव लड़ने बारे विभिन्न अयोग्यताओं से सम्बंधित है, में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि अगर नगर निगम द्वारा किसी व्यक्ति को निगम के प्रति किसी भी प्रकार की देय धनराशि का भुगतान करने बारे नोटिस दिया जाता है और वह तीन माह में ऐसा नहीं करता है, तो वह व्यक्ति नगर निगम में मेयर या निगम सदस्य का चुनाव नहीं लड़ सकता है.

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