-कांग्रेस भवन में दी गई राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि

गुरुग्राम। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की पुण्यतिथि पर गुरुवार को यहां कमान सराय स्थित कांग्रेस भवन में उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। कांग्रेस कार्यकर्ताओं, नेताओं ने एकजुट होकर राष्ट्रपिता की तस्वीर के समक्ष पुष्पांजलि करते हुए उन्हें नमन किया।

इस अवसर पर वरिष्ठ नेता पंकज डावर, पर्ल चौधरी, पंकज भारद्वाज,राम किशन सैन,जगमोहन सरपंच,सूबे सिंह यादव एडवोकेट,बीर सिंह नंबरदार,मोहन लाल सैनी,सुनील प्रकाश,हरकेश प्रधान,राजीव यादव,मनोज आहूजा,कुलदीप सिंह मोलाहेड़ा, रमन वर्मा, राजेश यादव, सूबे सिंह बहलपा,मोहिंद्र सिंह, खेम चंद किराड़, ओमप्रकाश खरेरा,अनिल, राजेश चेयरमैन, रविंद्र, सुभाष नंबरदार मंडावर, अनिल कुमार, अशोक रोहिल्ला, दीप भारद्वाज, हबीर्रहमान, राजेश आदि नेताओं, कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपिता को पुष्पांजलि देते हुए उनका स्मरण किया।

अपने संबोधन में वरिष्ठ नेता पंकज डावर ने कहा कि आजादी के आंदोलन के वे महान नेता था। अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए उन्होंने देश को आजादी दिलाने में अपनी अहम भूमिका निभाई। बापू जी ने आजादी की लड़ाई में भारतीयों को एकजुट किया। भारत में प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद वह इंग्लैंड गए, लेकिन बाद में वापस भारत आ गए। राष्ट्रपिता ने दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की और वहां अप्रवासी अधिकारों की रक्षा के लिए सत्याग्रह किया।

पंकज डावर ने कहा कि आजादी के लिए गांधी जी ने कई आंदोलन किए। इसमें सत्याग्रह और खिलाफत आंदोलन, नमक सत्याग्रह, डांडी यात्रा आंदोलन काफी प्रसिद्ध हुए।

राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि देते हुए पटौदी विधानसभा से प्रत्याशी रही कांग्रेस नेत्री पर्ल चौधरी ने कहा कि गांधी जी ने देश की आजादी की लड़ाई में अहिंसा की सिद्धांत अपनाया। देश आजाद होने के बाद गांधी जी ने भारतीय समाज के साथ सामाजिक और आर्थिक सुधार के लिए काम किया। हिन्दू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया। उन्होंने सच्चाई, संयम और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। चौधरी ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी द्वारा देश पर किए गए उपकार को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

इस अवसर पर कांग्रेस नेता व पीसीसी सदस्य पंकज भारद्वाज ने कहा कि आजादी की लड़ाई में गांधी जी ने अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया था। उनके लिए सादगी पूर्ण जीवन ही बेहतर था। गांधी जी का जीवन एक साधक के रूप में भी मशहूर है। एक धोती में पदयात्रा, आश्रमों में जीवन व्यतीत करने वाले गांधी भारतीयों के लिए पिता तुल्य हो गए। लोग उन्हें प्रेम व आदरपूर्वक बापू कहकर पुकारने लगे।

भारद्वाज ने बताया कि महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहने का स्रोत पहली बार सुभाष चंद्र बोस ने दिया था। सुभाष चंद्र बोस ने गांधी जी को राष्ट्रपिता कहकर सम्मानित किया था। ऐसा इसलिए कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता थे। उसके बाद से राष्ट्रपिता का उपयोग गांधी जी के सम्मान में आम तौर से किया जाने लगा।

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