बच्चों के विकास हेतु क्रेच में उपलब्ध होंगी वांछित सुविधाएं क्रेच केंद्रों पर प्रति वर्ष लगभग साढ़े 12 लाख रूपए खर्च होने का अनुमान चंडीगढ़ , 28 जनवरी- हरियाणा की महिला एवं बाल विकास तथा सिंचाई मंत्री श्रुति चौधरी ने मुख्यमंत्री नायब सैनी का 324 क्रेच केन्द्रों का उद्घाटन करने पर आभार व्यक्त किया। कैबिनेट मंत्री श्रुति चौधरी ने कहा कि कहा कि कामकाजी महिलाओं को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के सभी जिलों में 6 महीने से लेकर 6 साल तक के बच्चों की देखभाल के लिए क्रेच खोले जा रहे हैं। क्रेच एक ऐसी सुविधा है, जहां कामकाजी महिलाएं अपने बच्चों को छोडक़र काम पर जा सकती हैं। के्रच में बच्चों को सुरक्षित और पौष्टिक भोजन मिलता है और उन्हें शैक्षिक गतिविधियां भी कराई जाती हैं। क्रेच की वजह से महिलाएं अपने केरियर को जारी रख सकती हैं और अपने बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी भी संभाल सकती हैं। क्रेच सुविधा से कामकाजी महिलाओं को मिलने वाली राहत का जिक्र करते हुए महिलाएं बाल विकास मंत्री श्रुति चौधरी ने कहा कि क्रेच से महिलाओं को अपने करियर और पारिवारिक जिम्मेदारियां को संतुलित करने में मदद मिलती है और निश्चित रूप से उनका तनाव भी कम होता है। उन्होंने कहा कि क्रेच एक ऐसा स्थान है जहां बच्चों का समग्र विकास होता है। सरकार के 100 दिन पूरे होने पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने 324 क्रेच केंद्रों का उद्घाटन किया है। इनमें भिवानी के 21, करनाल के 43, सोनीपत के 7, यमुनानगर के 33, पानीपत के 19, पंचकूला के 10, कैथल के 18, गुरुग्राम के 11, फरीदाबाद के 8, जींद के 19, अंबाला के 9, कुरुक्षेत्र के 13, नूंह के 4, महेंद्रगढ़ के 9, पलवल के 15, रेवाड़ी के 15, फतेहाबाद के 17, चरखी दादरी के 4, रोहतक के 7, झज्जर के 9, सिरसा के 15 व हिसार के 18 क्रेच शामिल है। श्रुति चौधरी ने बताया कि हरियाणा क्रेच केन्द्र (स्टैण्डलोन क्रेच) और आंगनवाडी-कम-क्रेच केंद्रों की कुल सालाना लागत लगभग साढ़े 12 लाख रुपये आएगी। महिला एवं बाल विकास विभाग हरियाणा ने मोबाइल क्रेच संगठन के साथ एक समझौता किया हुआ है ताकि आधुनिक सुविधाओं के साथ गुणवत्तापूर्ण क्रेच स्थापित किए जा सकें। इन शिशु गृहों का निर्माण, संरचना और प्रबंधन भी इस तरह से किया गया है जहां बच्चों को किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो। हर क्रेच में छ: महीने से लेकर छ: साल तक के अधिकतम 25 बच्चों की देखभाल की समुचित व्यवस्था की गई है, जहां 8 घंटे से लेकर जरूरत पड़ने पर 10 घंटे तक के लिए इन बच्चों को रखने का प्रावधान है। रसोई और शौचालय की अनिवार्यता रखी गई है। यहाँ पंखे और बिजली की सुविधा, पेयजल और साफ-सफाई आदि के साथ-2 पीने के पानी की पर्याप्त व्यवस्था के अलावा बच्चों के लिए सुरक्षा संबंधी एहतियातों और दिशा-निर्देशों का भी खास ध्यान दिया जाता है। सभी कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण, चाइल्ड फ्रेंडली बच्चों को वातावरण मिले साथ ही बच्चों के मुख्य विकास के सभी पहलुओं पर कैसे बेहतर तरीके से कार्य करना है इसमें मोबाइल क्रेच विभाग का पूरा सहयोग कर रहा है। कैबिनेट मंत्री श्रुति चौधरी ने कहा कि क्रेच नीति के तहत व बढ़ती उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग निरंतर इनकी संख्या बढ़ाने में लगा है। पूरे प्रदेश में 500 क्रेच खोलने की घोषणा की गई थी उसी के तहत 324 क्रेच का अब उद्घाटन किया गया जबकि 30 क्रेच पहले से ही संचालित है। ऐसे में 354 क्रेच महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से खोले जा चुके हैं। इसके लिए विभिन्न जिलों में क्रेच वर्कर , हेल्पर, सुपरवाइजर और सीडीपीओ के लिए भी प्रशिक्षण सत्रों का आयोजन किया जा रहा है ताकि प्रदेश सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य को जल्द पूरा किया जा सके। Post navigation देश के विकास में उद्योगों का अहम योगदान- उद्योग, पर्यावरण एवं वन मंत्री राव नरबीर सिंह हरियाणा में वरिष्ठ एच.सी.एस.(H.C.S. ) अधिकारियों के साथ हो रहा सौतेला व्यवहार