दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में हरियाणा चुनाव आयुक्त ने फरवरी में दो चरणों में हरियाणा नगर निकाय चुनाव करवाने की बकायदा प्रैसवार्ता करके घोषणा की थी : विद्रोही पंचायती राज एक्ट व शहरी चुनावों के लिए बने नगर निकाय एक्ट के अनुसार चुनाव करवाने की बजाय हरियाणा चुनाव आयुक्त भाजपा की सुविधा को ध्यान में रखकर चुनाव करवाते है : विद्रोही हरियाणा में कई नगर निकायों के कार्यकाल को खत्म हुए एक से साढ़े तीन साल होने पर भी किसी न किसी बहाने चुनाव नही करवा जा रहे जो कानून, नियमों का खुला उल्लंघन है : विद्रोही 10 जनवरी 2025 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि जिस तरह चुनाव आयोग मोदी-भाजपा का तोता बनकर भारत की निष्पक्ष-स्वतंत्र चुनाव प्रणाली को कलंकित कर रहा है, उसी तरह हरियाणा में नगर निकायों व पंचायती चुनाव करवाने वाला हरियाणा चुनाव आयुक्त भी कानून, संविधान, नियमों के अनुसार चलने की बजाय भाजपा की बीन पर नाचता है। विद्रोही ने कहा कि दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में हरियाणा चुनाव आयुक्त ने फरवरी में दो चरणों में हरियाणा नगर निकाय चुनाव करवाने की बकायदा प्रैसवार्ता करके घोषणा की थी, लेकिन चुनाव आयोग द्वारा दिल्ली विधानसभा चुनाव 5 फरवरी को करवाने की घोषणा के साथ ही यही चुनाव आयुक्त अपनी बात से मुकर कर कह रहे है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद नगर निकाय चुनाव होंगे। सवाल उठता है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव घोषणा के बाद ऐसा क्या हो गया कि हरियाणा चुनाव आयुक्त को नगर निकाय चुनाव करवाने की अपनी दिसम्बर में की गई घोषणा से पलटना पडा। साफ है कि हरियाणा भाजपा के नेता दिल्ली विधानसभा चुनाव में व्यस्त रहेंगे, इसलिए भाजपा के आदेश पर हरियाणा चुनाव आयुक्त नगर निकाय चुनाव करवाने की अपनी पूर्व घोषणा से पलटी मार गए। विद्रोही ने कहा कि वे पहले ही आरोप लगा रहे थे कि वे पंचायती राज एक्ट व शहरी चुनावों के लिए बने नगर निकाय एक्ट के अनुसार चुनाव करवाने की बजाय हरियाणा चुनाव आयुक्त भाजपा की सुविधा को ध्यान में रखकर चुनाव करवाते है। तभी हरियाणा में कई नगर निकायों के कार्यकाल को खत्म हुए एक से साढ़े तीन साल होने पर भी किसी न किसी बहाने चुनाव नही करवा जा रहे जो कानून, नियमों का खुला उल्लंघन है। नगर निकाय चुनाव यह कहकर आगे किये गए कि मतदाता सूचियां नही बनी है, वार्डबंदी पूरी नही हुर्ह है। सवाल उठता है कि क्या नगर निकाय चुनावों की घोषणा करते समय चुनाव आयुक्त को यह तक मालूम नही था कि मतदाता सूचियां अधूरी है, वार्डबंदी नही हुई है? ऐसा नकारा व्यक्ति चुनाव आयुक्त हो तो वह कैसा और कितना निष्पक्ष-स्वतंत्र नगर निकाय चुनाव करवाएगा, बताना भी बेमानी है। विद्रोही ने कहा कि भारत के लोकतंत्र को मोदी-भाजपा-संघ अपना बंधुआ बनाकर सुनियोजित ढंग से देश पर संघी फासीजम थोप रहे है और लोकतंत्र, संविधान की रक्षा करने वाली संवैद्यानिक संस्थाएं संघी दास बनकर अपनी जिम्मेदारी, जवाबदेही से भागकर लोकतंत्र को कुचलने का औजार बनती जा रही है। Post navigation साइबर सुरक्षा में देशभर में अग्रणी हरियाणा पुलिसः साइबर अपराध नियंत्रण में किए उल्लेखनीय कार्य आरटीएस आयोग ने पार्क के खराब रखरखाव से नाराज अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के दिए आदेश