हेड़ाहेड़ी गौशाला में मंगलवार को तीन दिवसीय रूद्र यज्ञ का समापन पूर्ण आहुति अर्पित करने के लिए अनगिनत श्रद्धालु और साधु पहुंचे विकलांग गोधन की सेवा के लिए विख्यात हेड़ाहेड़ी विकलांग गौशाला फतह सिंह उजाला पटौदी । विकलांग , अपंग, लाचार और बेबस गोधन की सेवा के लिए देश की आरंभिक गौशाला में शामिल रही। पटौदी क्षेत्र के गांव हेड़ाहेड़ी की विकलांग गौशाला में तीन दिवसीय विशाल रूद्र यज्ञ का आयोजन किया गया। रविवार को आरंभ हुए इस धार्मिक अनुष्ठान का समापन मंगलवार को हवन कुंड में विधि विधान और मंत्र चरण के बीच सभी देवताओं को साक्षी मानकर अर्पित की गई । इस विशाल धार्मिक अनुष्ठान का समापन पूर्णाहुति और महा आरती के साथ हुआ । इस मौके पर विकलांग गौशाला के संचालक महंत राजगिरी महाराज ने कहा हवन यज्ञ में आहुतियां अर्पित किया जाने से मानव मन के साथ-साथ प्रकृति का भी शुद्धिकरण होता है । उन्होंने कहा हवन यज्ञ इत्यादि अनादि काल से चली आ रही ऋषि मुनियों के द्वारा जगत कल्याण के लिए एक अनुष्ठान प्रक्रिया है । विभिन्न देवी देवताओं का आह्वान करके योग्य और अनुभवी आचार्य की देखरेख में हवन यज्ञ में यजमान और श्रद्धालुओं के द्वारा आहुतियां अर्पित की जाती है। हवन यज्ञ में अर्पित की जाने वाली आहुतियां में विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक जड़ी बूटियां का मिश्रण और विभिन्न प्रकार के रोग विनाशक पेड़ पौधों के अंश भी मौजूद रहते हैं। शुद्ध घी के साथ में हवन यज्ञ में अर्पित की गई आहुति से जो भी सुगंध अथवा धुआं प्रकृति में फैला है। उसकी संपूर्ण जगत को और जगत प्राणियों को लाभ मिलता है। मंगलवार को सुबह गौशाला परिसर में विकलांग गौशाला हेड़ाहेड़ी के संचालक महंत राजगिरी के मार्गदर्शन में विधि विधान और मंत्र चरण के बीच हवन कुंड में पूर्ण आहुतियां अर्पित की गई । इस मौके पर हरियाणा प्रदेश के विभिन्न जिलों और आसपास के राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु तथा साधु संत भी मौजूद रहे । महंत राजगिरी ने बताया इस प्रकार के विशाल रूद्र यज्ञ का मुख्य उद्देश्य जगत का कल्याण करना और सभी जीवो के मंगलकारी जीवन की कामना करना है । निस्वार्थ भाव से जीव कल्याण के लिए किया गया कार्य का परमार्थ महादेव की कृपा से अवश्य प्राप्त होता है। तीन दिवसीय इस रूद्र यज्ञ में पहुंचने वाले सभी श्रद्धालु जनों को निश्चित रूप से गौ माता साधु संतों के साथ-साथ सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा । उन्होंने कहा भारतीय सनातन संस्कृति को अनादि काल तक बचाए रखने के लिए सबसे अधिक जरूरत आज गाय के संरक्षण और गाय के संवर्धन की है । गाय के विषय में जितना भी बताया जाए और जितना भी इसका हमारे जन जीवन में प्रभाव है, उसको बताया जाना आसान काम नहीं है। यज्ञ हवन की समाप्ति के उपरांत सभी श्रद्धालु भक्तों और साधु संतों के लिए विशाल भंडारा का आयोजन किया गया। इस भंडारा में विभिन्न स्थानों से पहुंचे हुए संत और साधु जनों को भंडारे का प्रसाद ग्रहण करवा कर महंत राजगिरी के द्वारा सनातन परंपरा के मुताबिक विदा किया गया। यहां पहुंचे साधु संतों के द्वारा भी गाय की सेवा किया जाने का आह्वान किया। इसके साथ ही साधु संतों के द्वारा भारतीय सनातन संस्कृति को आने वाली युवा पीढ़ी तक पहुंचने का भी आह्वान किया गया। जगत कल्याण की कामना को लेकर मंगलवार को तीन दिवसीय विशाल रूद्र यज्ञ का समापन के मौके पर आयोजन महंत राजगिरी के द्वारा अपना शुभाशीष प्रदान किया गया। Post navigation नकली पुलिस के शक में असली पुलिस पिटी और आरोपी हमलावर गिरफ्तार यह कैसी पारदर्शिता…… निर्वाचन विभाग ने मृतकों को 2025 में भी बना दिया मतदाता