-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

वर्तमान प्रौद्योगिकी युग में डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण बिल (डीपीडीपी) 2023 डेटा सुरक्षा में मील का पत्थर साबित होने जा रहा है। 18 फरवरी 2025 तक इस अधिनियम के मसौदा नियमों पर सार्वजनिक परामर्श आमंत्रित किया गया है।

डेटा सुरक्षा की जरूरत और डीपीडीपी की अहमियत

डिजिटल पर्सनल डेटा आज के तकनीकी युग में अत्यंत महत्वपूर्ण है। मोबाइल एप्स के उपयोग और ऑनलाइन सेवाओं के माध्यम से हम विभिन्न प्रकार के डेटा एक्सेस की अनुमति देते हैं। यह डेटा, जैसे कैमरा, गैलरी, कॉन्टैक्ट्स, और जीपीएस लोकेशन, अगर असुरक्षित हो, तो इसका दुरुपयोग संभावित है।

डीपीडीपी 2023 और इसके साथ प्रस्तावित नियमावली 2025 इस तरह के डेटा दुरुपयोग को रोकने के लिए ठोस ढांचा तैयार करते हैं। यह कानून न केवल डेटा की गोपनीयता सुनिश्चित करेगा, बल्कि डेटा सुरक्षा उल्लंघनों पर भी नियंत्रण लगाएगा।

डिजिटल पर्सनल डाटा संरक्षण नियमावली 2025 के मुख्य प्रावधान

1. सूचना और सहमति

  • डेटा फिड्यूशियरी की जिम्मेदारी: डेटा फिड्यूशियरी (डाटा मैनेज करने वाली संस्था) को डेटा संग्रहण से पहले उपयोगकर्ता को यह बताना होगा कि डेटा क्यों और कैसे उपयोग किया जाएगा।
  • स्पष्ट सहमति: डेटा एकत्र करने के लिए उपयोगकर्ता की स्पष्ट सहमति आवश्यक होगी।
  • सहमति वापस लेने का अधिकार: उपयोगकर्ता अपनी सहमति आसानी से वापस ले सकते हैं।
  • कंसेंट मैनेजर: कंसेंट मैनेजमेंट के लिए 2 करोड़ रुपये की नेट वर्थ वाला भारत में रजिस्टर्ड कंसेंट मैनेजर नियुक्त किया जाएगा।

2. डेटा संग्रहण और सुरक्षा

  • कम से कम डेटा संग्रहण: कंपनियां केवल आवश्यक डेटा एकत्र करेंगी।
  • सुरक्षा उपाय: एन्क्रिप्शन, एक्सेस कंट्रोल, और डेटा बैकअप जैसे सुरक्षा उपाय लागू होंगे।
  • डेटा का हटाना: डेटा का उपयोग पूरा होने के बाद उसे डिलीट करना अनिवार्य होगा।

3. बच्चों का डेटा

  • अभिभावकों की सहमति: बच्चों के डेटा प्रोसेसिंग के लिए माता-पिता या कानूनी अभिभावक की सहमति आवश्यक होगी।
  • प्राइवेसी नियम: बच्चों की पहचान और सुरक्षा के लिए अतिरिक्त नियम लागू होंगे।

4. डेटा उल्लंघन और क्रॉस-बॉर्डर डेटा ट्रांसफर

  • उल्लंघन की सूचना: डेटा उल्लंघन की स्थिति में प्रभावित व्यक्तियों और डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड को सूचित करना अनिवार्य होगा।
  • क्रॉस-बॉर्डर डेटा ट्रांसफर: केवल केंद्रीय सरकार की अनुमति के बाद ही डेटा का स्थानांतरण होगा।

5. सिग्निफिकेंट डेटा फिड्यूशियरी (SDF)

  • विशेष दायित्व: भारी मात्रा में डेटा हैंडल करने वाले SDF को वार्षिक ऑडिट और डेटा प्रोटेक्शन इम्पैक्ट असेसमेंट करना होगा।

6. डेटा प्रिंसिपल्स के अधिकार

  • डाटा एक्सेस और मिटाने का अधिकार: उपयोगकर्ता अपने डेटा तक पहुंचने और उसे मिटाने का अधिकार रखेंगे।
  • स्पष्ट प्रक्रिया: डेटा फिड्यूशियरी को शिकायत समाधान की प्रक्रिया सुनिश्चित करनी होगी।

7. राज्य की जिम्मेदारियां और प्रवर्तन

  • डिजिटल डेटा उपयोग: राज्य को डेटा का सुरक्षित और उद्देश्यपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करना होगा।
  • डेटा कलेक्शन बोर्ड: उल्लंघनों की जांच और सजा देने के लिए डेटा कलेक्शन बोर्ड की स्थापना की जाएगी।

उल्लंघन पर भारी जुर्माना

डीपीडीपी कानून के उल्लंघन पर 50 करोड़ रुपये से लेकर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। यह नियम उपयोगकर्ताओं को अपने डेटा के प्रति अधिक सतर्क और जागरूक बनाएंगे।

निष्कर्ष

डिजिटल पर्सनल डाटा संरक्षण अधिनियम 2023 और नियमावली 2025 डेटा सुरक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम है। यह कानून उपयोगकर्ताओं को अपने डेटा की सुरक्षा और पारदर्शिता के अधिकार प्रदान करता है।

सरकार ने मसौदा नियमों पर सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए 18 फरवरी 2025 तक का समय दिया है। यह समय है जब हम डेटा गोपनीयता और सुरक्षा के महत्व को समझते हुए अपनी प्रतिक्रिया साझा करें और डिजिटल युग में सुरक्षा सुनिश्चित करें।

-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

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