हरियाणा में किसी भी पार्टी सरकार के शासन में फसलों का मौसम प्रकृति की मार से इतना भारी नुकसान नही हुआ, जितना नुकसान 2014-2024 के बीच हुआ है : विद्रोही प्रकृति पर तो किसी भी सरकार का वश नही चलता लेकिन सरकारे ईमानदारी से किसानों को उनकी नष्ट फसलों का मुआवजा तो किसानों को दिलवाकर अपने संवैद्यानिक कर्तव्य को निभा सकती है : विद्रोही 4 जनवरी 2025 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि अहीरवाल क्षेत्र में भारी बरसात, ओलावृष्टि से गेंहू, सरसों, सब्जियों, फलों, बागों की खेती को हुए नकसान का जायजा लेने के लिए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की विशेष गिरदावरी करवाने की घोषणा के बाद भी इस क्षेत्र में विशेष गिरदावरी के आदेश न आना बहुत ही चिंताजनक स्थिति है। विद्रोही ने कहा कि जब फसल खराबे की विशेष गिरदावरी करवाने के आदेश आने में भी ऐसी अनावश्यक देरी हो रही है, तब सहज अनुमान लगा ले कि कैसी गिरदावरी होगी और कैसा फसल मुआवजा मिलेगा। हरियाणा में विगत दस सालों से बीमा कम्पनियां व भाजपा सरकार नष्ट फसलों के मुआवजे पर किसानों को ठगती आ रही है। भाजपा सरकार व बीमा कम्पनियोंं की आपसी मिलीभगत सेेे पहले तो नष्ट फसलों की गिरदावरी ईमानदारी से नही होती और होती भी है तो मुठ्ठीभर फसल नुकसान दिखाकर बीमा कम्पनियों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। विगत दस सालों सेे अहीरवाल में लगातार हर साल खरीफ व रबी फसलों के सीजन में दो से चार पांच बार तक वर्षा, ओलावृष्टि, आंधी, सर्दी से भारी नुकसान होता आ रहा है, फिर भी किसानों से जितनी राशी फसल बीमा प्रीमियम के नाम से ली गई है, उसका लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा ही किसान को मुआवजे के रूप में मिला है बाकि पैसा भाजपा व बीमा कम्पनियां मिलकर हडप गई। विद्रोही ने कहा कि हरियाणा में किसी भी पार्टी सरकार के शासन में फसलों का मौसम प्रकृति की मार से इतना भारी नुकसान नही हुआ, जितना नुकसान 2014-2024 के बीच हुआ है। 2014 से पूर्व किसी सरकार ने पांच साल के कार्यकाल में मुश्किल से एक-दो बार फसलों का नुकसान वर्षा, ओलावृष्टि, ठंड, आंधी, तूफान से होता था लेकिन प्रकृति ऐसी रूठी कि वर्ष 2014 से 2024 के बीच रबी व खरीफ फसल का ऐसा एक भी सीजन नही गुजरा जिसमें दो से चार बार एक-एक सीजन में फसल नुकसान न हुआ हो। प्रकृति पर तो किसी भी सरकार का वश नही चलता लेकिन सरकारे ईमानदारी से किसानों को उनकी नष्ट फसलों का मुआवजा तो किसानों को दिलवाकर अपने संवैद्यानिक कर्तव्य को निभा सकती, लेकिन दुर्भाग्य से किसान विरोधी मानसिकता वाली भाजपा अपने इस संवैद्यानिक कर्तव्य को ईमानदारी से निभाने की बजाय बीमा कम्पनियों से मिलकर किसानों के साथ विगत दस सालों सेे छल करती आ रही है। विद्रोही ने मांग की कि मुख्यमंत्री अपनीे कथनी-करनी एक करे और पारदर्शिता, निष्पक्षता व ईमानदारी से अहीरवाल में भारी वर्षा,े ओलावृष्टि से नष्ट हुई गेंहू, सरसों, सब्जी फसलों व फलो एवं बाग की खेती को हुए नुकसान की तत्काल विशेषे गिरदावरी करवाकर एक माह के अंदर-अंदर किसानों को प्रति एकड 50 हजार रूपये का मुआवजा दिलवाने की व्यवस्था करें। Post navigation पिता का पजामा पेंट या धोती फटी है,तो हमारी ब्रांडेड पहनी चीजों पर गर्व नहीं शर्म होनी चाहिए ….. राष्ट्र सेवा में बाधक बनता सिविल सेवकों में बढ़ता तनाव