चण्डीगढ़, सतीश भारद्वाज: पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय मंगलवार को नई साल में एक छोटे शीतकालीन अवकाश के बाद फिर से खुलेगा‌। जिसमें कुछ मामलों में न्याय के लिए लोगों करीब चार दशकों तक का इंतज़ार करना पड़ रहा है।
हाईकोर्ट के लंबित मामलों में 1986 में दायर की गई पाँच नियमित दूसरी अपीलें शामिल हैं, साथ ही बाद में दायर की गई “हजारों” अन्य अपीलें भी इनमें शामिल हैं। कुल मिलाकर, चौंका देने वाली 48,386 दूसरी अपीलें अभी भी लंबित हैं।

हाईकोर्ट में वर्तमान में अभी करीब 4,32,227 मामले लंबित हैं – “विरासत” मामलों से निपटने के लिए ठोस प्रयासों के बावजूद पिछले साल की तुलना में लगभग 8,843 मामले कम है।

वहीं लम्बित मामलों में 2,68,279 सिविल हैं, तथा 1,63,948 आपराधिक हैं, जो सीधे जीवन और स्वतंत्रता को प्रभावित करते हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इनमें से लगभग 85 प्रतिशत मामले एक साल से अधिक समय से अनसुलझे हैं।

वहीं न्यायाधीशों की 40 प्रतिशत कमी समस्या को और बढ़ा रही है। उच्च न्यायालय में वर्तमान में स्वीकृत 85 न्यायाधीशों की संख्या के मुकाबले 51 न्यायाधीश हैं। इस नए वर्ष में कम से कम तीन न्यायाधीश सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त करने पर सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

हालांकि उच्च न्यायालय का कॉलेजियम पंजाब और हरियाणा से नौ जिला और सत्र न्यायाधीशों के नामों की संस्तुति करने की प्रक्रिया में है, लेकिन इस प्रक्रिया में समय लगने की संभावना है।

वहीं हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रणाली लंबी और समय लेने वाली है। उच्च न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा संस्तुति के बाद राज्यों और राज्यपालों द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद,खुफिया ब्यूरो की रिपोर्ट के साथ नामों वाली फाइल सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक में पेश की जाती है।

वहीं पदोन्नति के लिए स्वीकृत नामों को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति वारंट पर हस्ताक्षर किए जाने से पहले केंद्रीय विधि मंत्रालय को भेजा जाता है। यदि प्राथमिकता के आधार पर नहीं लिया जाता है, तो पूरी प्रक्रिया में कई महीने लग सकते हैं।

राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड – लंबित मामलों की पहचान, प्रबंधन और उन्हें कम करने के लिए निगरानी उपकरण – से पता चलता है कि 65,165 लंबित मामले या कुल का 15 प्रतिशत एक वर्ष से कम की श्रेणी में आते हैं। अन्य 76,433 मामले या 18 प्रतिशत एक से तीन वर्षों से निर्णय की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

मिली जानकारी से पता चलता है कि 34,653 मामले, जो आठ प्रतिशत हैं, तीन से पांच वर्षों से लंबित हैं, जबकि 1,29,122 मामले या 30 प्रतिशत पांच से दस वर्षों से अनसुलझे हैं। 1,26,854 मामले या कुल का 29 प्रतिशत एक दशक से अधिक समय से लंबित हैं।

आखिरी बार न्यायाधीशों की नियुक्ति एक वर्ष से अधिक समय पहले हुई थी। ऐसा माना जा रहा है कि उच्च न्यायालय वर्तमान में बेंच में पदोन्नति के लिए अधिवक्ताओं के नामों पर विचार कर रहा है। हालांकि, न्यायाधीशों की पुरानी कमी को दूर करने की तत्काल आवश्यकता पहले कभी स्पष्ट नहीं हुई है,लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे जल्द न्याय अधर में लटका हुआ साफ नजर आ रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!