हरियाणा चुनाव परिणाम आये लगभग तीन माह हो गए है, लेकिन अभी तक न तो प्रदेश में चुनावीे हार कीे जवाबदेही तय हो पाई है और न ही विपक्ष का नेता चुना गया है और न ही प्रदेश संगठन में बदलाव हुआ। ऐसी स्थिति में कांग्रेस कैसे मजबूत होगी : विद्रोही 2 जनवरी 2025 – कांग्रेस द्वारा शुक्रवार 3 जनवरी 2025 से देशव्यापी जय बापू, जय भीम, जय संविधान अभियान शुरू करने को स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने बहुत ही सराहनीय सकारात्मक, रचनात्मक पहल बताते हुए कहा कि अब कांग्रेस नेतृत्व को साथ-साथ पार्टी के संगठन में व्यापक बदलाव व जवाबदेही तय करने पर भी तत्काल निर्णय लेने होंंगे। विद्रोही ने कहा कि जब तक कांग्रेस तत्काल निर्णय लेने, जवाबदेही तय करने व संगठन में बदलाव की सकारात्मक पहल नही करेगी, तब तक कांग्रेस को वे अपेक्षित परिणाम नही मिलेंंगे जो उसका लक्ष्य है। लोकसभा चुनाव बाद कांग्रेस-इंडिया गठबबंधन को मोदी-भाजपा-संघ सरकार की फासिस्ट, जनविविरोधी नीतियों के खिलाफ लडने मेेें जो पहल मिली थी, वह तभी बरकरार रह सकती है तब कांग्रेस यथास्थितिवादी सोच व पार्टी के संगठनात्मक मुद्दों को ठंडे बस्ते में डालने कीे गलती करने की बजाय तत्काल निर्णय लेकर स्पष्ट सोच के साथ आक्रमक रूख अपनाकर सडकों पर जनमुद्दों के लिए लगातार लडती रहेगी। केवल कहने मात्र व कार्यक्रम तय करके मीडिया, सोशल मीडिया में माहौल बनाने से कुछ नही होने वाला। विद्रोही ने कहा कि लोकसभा चुनावों के बाद जम्मू-कश्मीर व झारखंड में नेशनल कान्फ्रैस-कांग्रेस व झारखंड मुक्त मोर्चा, इंडिया गठबंधन ने विधानसभा चुनाव जीते। वहीं हरियाणा में कांग्रेस ने अपनेेे अति-आत्मविश्वास, गुटबाजी व नेताओं की निजी महत्वकांक्षा की लडाई ने जीती बाजी हारकर हरियाणा की आम जनता को निराश भी किया। महाराष्ट्र में महाविकास अघाडीे की विधानसभा चुनाव मेें हार नेे इंडिया गठबंधन की एकता को हिला दिया जो गठबंधन व सहयोगी दलों कीेे अलग-अलग बोलियों से सबको दिख रहा है। मोदी-भाजपा-संघ सरकार लोकसभा चुनावों में जहां कमजोर होने के बाद भी अपनी कमजोरीे को एकजुटता के चलतेे मजबूत कर रही है, वहीं कांग्रेस-इंडिया गठबंधन की आपसी एकजुटता कमजोर हो रहीे है, जो बडी चिंता का विषय है। विद्रोही ने कहा कि जब तक कांग्रेस मजबूत नही होगीे, तब तक इंडिया गठबंधन-विपक्ष भी मजबूत नही होगा। कांग्रेस तभी मजबूत होगी, जब वह तत्काल निर्णय लेेगी। हरियाणा चुनाव परिणाम आये लगभग तीन माह हो गए है, लेकिन अभी तक न तो प्रदेश में चुनावीे हार कीे जवाबदेही तय हो पाई है और न ही विपक्ष का नेता चुना गया है और न ही प्रदेश संगठन में बदलाव हुआ। ऐसी स्थिति में कांग्रेस कैसे मजबूत होगी। यदि कांग्रेस का नेतृत्व यही ढुलमुल रवैया रहा तो इंडिया गठबंधन में भी बिखराव होगा, साथ में जनता को मोह भी कांग्रेस से भंग होगा। कांग्रेस नेतृत्व जब तक अपनी कथनी-करनी एक नही करती, तब तक आमजन उस पर क्यों और किसलिए विश्वास करेगा? जब तक इस कटु सत्य को समझकर कांग्रेस यथास्थितिवाद से बाहर नही निकलेगी, तब तक मोदी-भाजपा-संघ को सत्ता से बाहर करना एक मुंगेरीलाल का हसीन सपना बनकर रह जायेगा। विद्रोही ने कांग्रेस नेतृत्व से आग्रह किया कि वे 11 साल से हरियाणा में संगठन नियुक्तिया न करने की अपनी गलती को सुधारकर एक माह के अंदर-अंदर हरियाणा मेें जो बदलाव करना है, वह करे। वहीं प्रदेश, जिला, ब्लॉक स्तर के पदाधिकारियों की नियुक्ति करे, इसमें जितनी देरी होगी, उतना ही काग्रेस कमजोर होगी और जनसमर्थन का नुकसान भी होगा। Post navigation नो डिटेंशन पॉलिसी : पास/फेल की बजाय समग्र विकास/जीवन कौशल की नीतियां बनाएं किसानों की मांगों से पल्ला झाड़कर राज्य सरकारों के पाले में गेंद डालना चाहती केंद्र सरकार–कुमारी सैलजा