कहा-एमएसपी निर्धारित करना केंद्र की जिम्मेदारी, केंद्र ही देगा एमएसपी को कानूनी दर्जा

चंडीगढ़, 02 जनवरी। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि केंद्र सरकार शुरू से किसानों को गुमराह करती आ रही है। किसानों की मांगों पर अगर उसने गंभीरता से विचार किया होता तो आज देश के अन्नदाता को मांगों को लेकर धरने और अनशन पर न बैठना पड़ता। उन्होंने कहा कि एमएसपी का निर्धारण करना केंद्र की ही जिम्मेदारी होती है, वहीं एमएसपी को कानूनी दर्जा दे सकती है, केंद्र अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकता, एमएसपी मामले में केंद्र राज्य सरकारों को पाले में गेंद डालकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ना चाहती है पर किसान इस बार चुप बैठने वाला नहीं हैं।

मीडिया को जारी बयान में सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि किसानों की समस्याओं का समाधान, किसान कल्याण और एमएसपी के निर्धारण में केंद्र की अहम भूमिका होती है, किसान समय समय पर अपनी मांगों को लेकर संघर्ष करता आया है और आज भी वह एमएसपी को कानूनी दर्जा दिलाने के लिए आंदोलनरत है पर केंद्र सरकार है कि उसकी कोई सुनवाई नहीं कर रही है। जब आंदोलन बड़ा रूप लेता है तो केंद्र सरकार झूठे आश्वासन देकर आंदोलन को समाप्त कराने का प्रयास करती है पर देश का किसान अब केंद्र के झांसे में आने वाला नहीं हैं। कृषि के जानकार मानते है कि एमएसपी का निर्धारण केंद्र करता है और इसे कानूनी दर्जा भी केंद्र सरकार ही दे सकती है। उन्होंने कहा कि अब केंद्र सरकार ने एमएसपी की गेंद राज्य सरकारों के पाले में डालकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेना चाहती है।

उन्होंनें कहा कि अगस्त माह में हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार ने 24 फसलों को एमएसपी पर खरीदने की घोषणा की थी, इतना ही नहीं प्रदेश सरकार ने 24 फसलों की खरीद एमएसपी को लेकर 19 दिसंबर को अधिसूचना भी जारी की। जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें है अब कांग्रेस शासित राज्यों पर उंगली पर उंगली उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार जिन 24 फसलों को एमएसपी पर खरीदने की बात कर रही है उनमें से अधिकतर फसले हरियाणा में होती ही नहीं है, सरकार खुद ही अपना गुणगान कर अपनी पीठ स्वयं ही थपथपा रही है। प्रदेश में और केंद्र में भाजपा की सरकारें है फिर भी दोनों सरकारें अलग अलग राप अलाप रही है। सच तो यह हैं कि एमएसपी के नाम पर केंद्र किसानों को उलझा रहा है।

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