गुडग़ांव, 4 जनवरी (अशोक):  जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु सुनिश्चित है। मनुष्य जीवन और मृत्यु के चक्र को यदि सही तरह से समझ ले तो काफी हद तक उसकी परेशानियां दूर हो सकती हैं। 5 तत्वों से बना यह शरीर परमात्मा की दी हुई अमूल्य धरोहर है। उक्त उद्गार वक्ताओं ने प्रसिद्ध रंगकर्मी व हरियाणा कला परिषद के पूर्व निदेशक प्रो. संजय भसीन के भाई शुभचिंतक भसीन की शनिवार को न्यू कालोनी स्थित गीता भवन में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में व्यक्त किए।

गत पहली जनवरी को उनका निधन हो गया था। वक्ताओं व भजनोपदेशकों ने कहा कि जन्म और मृत्यु के संबंध में प्राचीनकाल से अनेक भ्रांतियां लोक परंपरा के रूप में प्रचलित हैं। आज तक जीवन-मृत्यु के सत्य को ठीक से इसलिए नहीं समझा गया कि विज्ञान ने प्रत्यक्ष प्रमाण के आधार पर निष्कर्ष निकालने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि संसार में सब कुछ प्रत्यक्ष नहीं है, अप्रत्यक्ष भी सृष्टि का अंग है। सृष्टि प्रत्यक्ष और परोक्ष, दोनों शक्तियों से निर्मित है। जो प्रत्यक्ष है उसे अणु कहते हैं और जो अप्रत्यक्ष है उसे विभु कहते हैं। सृष्टि में दोनों महत्वपूर्ण हैं। जैसे शरीर अणुओं से निर्मित है तो प्राण विभु है। इसलिए प्राणतत्व को समझना विज्ञान की समझ से बाहर की चीज है। यही कारण है कि जन्म और मृत्यु को अभी तक विज्ञान नहीं समझ सका है।

वक्ताओं ने दिवंगत आत्मा से संबंधित कई संस्मरण भी श्रद्धांजलि सभा मेें साझा किए। सभी ने उनके व्यक्तित्व की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह बड़े ही मिलनसार व्यक्ति थे। समाज व समुदाय सेे भी उनका बड़ा लगाव रहा। भजनों के माध्यम  सेे भी उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। शहर की विभिन्न सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं, विभिन्न राजनेतिक दलों केे नेताओं व कार्यकर्ताओं, रंगकर्मियों व शहर के गणमान्य व्यक्तियों ने उनकेे चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धासुमन अर्पित किए और शोक संतप्त परिवार को सांत्वना भी दी।

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