– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं भारतीय नारी शक्ति का सम्मान और उसका समग्र विकास सदियों से भारतीय समाज का हिस्सा रहा है। आज’s युग में जब भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा गया है, तो यह और भी आवश्यक हो जाता है कि नारी शक्ति को कार्यबल में भागीदारी दिलाने के लिए विशेष योजनाएं बनाई जाएं। भारतीय महिलाओं का योगदान ऐतिहासिक रूप से अतुलनीय रहा है, और अब वक्त है कि उनके कौशल और प्रतिभा को भारत के विकास का प्रमुख इंजन बनाया जाए। नारी शक्ति: एक सशक्त आधार भारत की नारी शक्ति का वैश्विक स्तर पर सम्मान होता है। आदि-अनादि काल से भारतीय नारी की कहानियां देवताओं तक को प्रेरणा देने वाली रही हैं। चाहे झांसी की रानी लक्ष्मीबाई हों, सावित्रीबाई फुले हों, या कल्पना चावला और कमला हैरिस जैसी आधुनिक महिलाएं, भारतीय महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी कुशलता और दृढ़ता का परिचय दिया है। सरकार ने 2047 तक भारत को $30 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। “द नज इंस्टीट्यूट” की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए 40 करोड़ अतिरिक्त महिलाओं को श्रमबल में जोड़ने की आवश्यकता होगी। यह तभी संभव है जब महिला श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) को वर्तमान 37 प्रतिशत से बढ़ाकर 70 प्रतिशत किया जाए। नारी कार्यबल का महत्व महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सशक्त भागीदारी से श्रेष्ठ परिणाम दिए हैं। चाहे कॉरपोरेट क्षेत्र हो, चिकित्सा, शिक्षा, न्यायपालिका, या अन्य कोई क्षेत्र, नारी कार्यबल अपनी जिम्मेदारी, ईमानदारी और दक्षता में अग्रणी रहा है। कई सर्वेक्षण और ग्राउंड रिपोर्टिंग इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि नारी कार्यबल अधिक सशक्त, नियमित और जिम्मेदार होता है। नेतृत्व क्षमता में महिलाओं की विशेषता: महिलाओं में नेतृत्व की उत्कृष्ट क्षमता होती है। वे न केवल प्रबंधन में निपुण होती हैं, बल्कि अपने सहयोगियों को प्रेरित करने का अद्वितीय गुण भी रखती हैं। कल्पना चावला, कमला हैरिस, और इंदिरा गांधी जैसे उदाहरण यह साबित करते हैं कि महिलाएं नेतृत्व में भी पुरुषों के समान या उनसे बेहतर प्रदर्शन कर सकती हैं। बजट 2025 में अपेक्षित योजनाएं विशेष आर्थिक प्रोत्साहन योजनाएं: – महिलाओं को व्यवसाय शुरू करने के लिए कम ब्याज दर पर ऋण प्रदान करना। – महिला श्रमिकों के लिए कर में छूट और विशेष प्रोत्साहन। उच्च कौशल विकास कार्यक्रम: – महिलाओं के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम, जो उन्हें उद्योग की नई तकनीकों और प्रक्रियाओं में दक्ष बनाएं। – आईटी, फिनटेक, स्वास्थ्य सेवा, और अन्य उच्च मांग वाले क्षेत्रों में कौशल विकास। आरक्षण से आगे बढ़कर समान अवसर: – कार्यबल में महिलाओं को आरक्षण की आवश्यकता से हटकर उनके कौशल और क्षमता के आधार पर अवसर देना। – सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में नेतृत्व भूमिकाओं के लिए महिलाओं को प्राथमिकता। कार्यस्थल पर सुधार: – महिलाओं के लिए कार्यस्थल को सुरक्षित और समावेशी बनाना। – मातृत्व अवकाश, स्वास्थ्य सुविधाएं, और कार्य-जीवन संतुलन सुनिश्चित करना। ग्रामीण महिलाओं के लिए विशेष योजनाएं: – ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण और आर्थिक सहायता। – कृषि और कुटीर उद्योग में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए समर्थन। नारी शक्ति की वैश्विक सफलता भारत की महिलाएं वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान बना रही हैं। अंतरिक्ष विज्ञान, राजनीति, खेल, और व्यापार जैसे क्षेत्रों में उनकी उपलब्धियां प्रेरणादायक हैं। 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी): लैंगिक समानता और सभी महिलाओं व लड़कियों का सशक्तीकरण सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) में प्रमुख स्थान रखता है। जलवायु संकट प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण, और समावेशी विकास में महिलाओं की भागीदारी महत्वपूर्ण है। सामाजिक मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता अभी भी समाज के एक बड़े हिस्से में महिलाओं को उनके मूल अधिकारों से वंचित रखा जाता है। महिलाओं को मात्र परिवार तक सीमित करने की मानसिकता को बदलने की आवश्यकता है। जब तक समाज महिलाओं को समान अधिकार और अवसर नहीं देगा, तब तक राष्ट्र का समग्र विकास संभव नहीं होगा। निष्कर्ष बजट 2025 में नारी शक्ति को कार्यबल में चिन्हित कर उनकी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं और स्कीमें लाना समय की मांग है। भारतीय कौशल नारी “सब पर भारी” थीम को वास्तविकता में बदलने के लिए महिलाओं को कार्यबल का प्रमुख इंजन बनाना होगा। यदि हम अपनी योजनाओं में महिलाओं को केंद्र में रखेंगे, तो न केवल भारत का आर्थिक विकास तेज होगा, बल्कि सामाजिक समृद्धि और समानता का एक नया युग भी शुरू होगा। -संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यम सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र Post navigation अम्बाला और सोनीपत नगर निगमों के रिक्त हुए मेयर पद का उपचुनाव कराने पर फंसा कानूनी पेच आओ, नव वर्ष पर संकल्प लें ……. विकसित भारत बनाने का