-सेकेंडरी शिक्षा निदेशायल ने आरटीआई के जवाब में दी जानकारी नहीं की गई कानूनी कार्रवाई

-हाई कोर्ट में शपथ पत्र देकर बिना मान्यता चल रहे स्कूल बंद कराना भूली सरकार

चंडीगढ, 28 दिसंबर। हरियाणा में बिना मान्यता के चल रहे करीब साढे चार हजार निजी स्कूलों के संबंध में हरियाणा सरकार पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में शपथ पत्र देकर इन्हें बंद कराना ही भूल गई है। दरअसल यह खुलासा जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मांगी गई जानकारी से हुआ है।

स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि 2017 में संगठन सहित अन्य की तरफ से पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में जनहित याचिका लगाई गई थी। हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से इस मामले में जवाब मांगा था। जिस पर हरियाणा सरकार की तरफ से 20 फरवरी 2024 को शपथ पत्र देकर यह कहा था कि शिक्षा सत्र 20224-25 में किसी भी बिना मान्यता के स्कूल को नहीं चलने दिया जाएगा। अगर कोई स्कूल बिना मान्यता के संचालित किया जाता है तो उस पर कानूनी कार्रवाई कराई जाएगी।

बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि उसने 3 अप्रैल 2024 को सेकेंडरी शिक्षा निदेशालय से जनसूचना अधिकार अनिधियम 2005 के तहत कुछ बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी। जिसमें यह पूछा गया था कि प्रदेश भर में चल रहे बिना मान्यता प्राप्त स्कूलों पर अब तक क्या कार्रवाई की है, इसके जवाब में शिक्षा निदेशालय ने कहा कि कोई कार्रवाई नहीं की है। इससे साफ जाहिर है कि सरकार और अधिकारियों के संरक्षण में ही बिना मान्यता स्कूल धडल्ले से चल रहे हैं, जिन्हें न तो बंद कराया है न ही इनके खिलाफ कोई कार्रवाई हुई है। बृजपाल सिंह परमार ने कहा कि सरकार ने हाई कोर्ट में शपथ पत्र देने के बाद भी बिना मान्यता वाले स्कूलों पर कार्रवाई नहीं कर न्यायालय के आदेशों की अवमानना की है। बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि संगठन इस मामले में न्यायालय को गुमराह करने और बिना मान्यता वाले स्कूलों पर कार्रवाई कराने के लिए फिर से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा।

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