मंत्रिमंडल ने ई-एचआरएमएस 2.0 के माध्यम से मानव संसाधनों के व्यवस्थित प्रबंधन के लिए हरियाणा मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली (प्रशासन) नीति, 2024 नामक मसौदा नीति को मंजूरी दी चंडीगढ़, 28 दिसंबर- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली (प्रशासन) नीति, 2024 नामक मसौदा नीति को मंजूरी दी गई। इस नीति का उद्देश्य कर्मचारियों की सेवाओं का सही उपयोग करना है। यह नीति हरियाणा सरकार के अधीन विभिन्न विभागों और संगठनों में कार्यरत सभी हरियाणा सरकार के कर्मचारियों पर लागू होगी, चाहे वे नियमित या अनुबंध के आधार पर काम कर रहे हों। ई-एचआरएमएस 2.0 विभागों/ऑर्गेनाइजेशन में कर्मचारियों के लिए प्लेसमेंट, स्थानांतरण/पोस्टिंग और सेवा की अन्य शर्तों के प्रबंधन के लिए सिंगल प्लेटफॉर्म के रूप में काम करेगा। मानव संसाधन विभाग यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होगा कि विभिन्न विभागों/संगठनों द्वारा ई-एच.आर.एम.एस. 2.0 पर केवल सही और विधिवत सत्यापित डेटा ही होस्ट किया जाए। ई-एच.आर.एम.एस. 2.0 पर होस्ट किए गए डेटा को दस्तावेजी साक्ष्य माना जाएगा, जिसकी एक प्रति संबंधित विभाग/ऑर्गेनाइजेशन के साथ-साथ मानव संसाधन विभाग के रिकॉर्ड में भी रखी जाएगी। हरियाणा मंत्रिमंडल ने पटौदी-हेली मंडी और फर्रुखनगर को मध्यम क्षमता वाले क्षेत्रों में अपग्रेड करने को दी मंजूरी चंडीगढ़, 28 दिसंबर – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में जिला गुरुग्राम के पटौदी-हेली मंडी और फर्रुखनगर के संभाव्यता क्षेत्रों को कम संभाव्यता क्षेत्र से मध्यम संभाव्यता क्षेत्र में अपग्रेड करने के लिए संशोधन को मंजूरी दी गई। वर्तमान में, पटौदी-हेली मंडी और फर्रुखनगर को पंजाब अनुसूचित सड़क नियंत्रित क्षेत्र अनियमित विकास प्रतिबंध नियम, 1965 (नियम 1965) की ‘अनुसूची-IV’ के अंतर्गत ‘कम संभावित क्षेत्र’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। ये नियम भूमि के उपयोग को परिवर्तित करने के उद्देश्य से संभावित क्षेत्र के आधार पर नियंत्रित क्षेत्रों में रूपांतरण शुल्क की दरों को रेखांकित करते हैं। संशोधन के साथ, पटौदी-हेली मंडी विकास योजना और फर्रुखनगर विकास योजना के अंतर्गत नियंत्रित क्षेत्रों को अब मध्यम क्षमता वाले क्षेत्रों के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा। यह परिवर्तन 1965 के नियमों की अनुसूची-IV में परिलक्षित होगा और हरियाणा अनुसूचित सड़कें और नियंत्रित क्षेत्र अनियमित विकास प्रतिबंध अधिनियम, 1963 के तहत लागू शुल्क और प्रभारों पर लागू होगा। इन क्षेत्रों को उन्नत करने का निर्णय इसलिए लिया गया है क्योंकि इनमें विकास की महत्वपूर्ण संभावनाएँ दिख रही हैं, जिसमें कॉलोनियों, संस्थानों, उद्योगों और गोदामों का विकास शामिल है। इस उन्नयन से क्षेत्र के आगे विकास की संभावनाएँ बढ़ेंगी और रूपांतरण शुल्क में वृद्धि के माध्यम से अधिक राजस्व प्राप्त होगा। हरियाणा मंत्रिमंडल ने नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग द्वारा पटौदी-हेली मंडी और फर्रुखनगर, जिला गुरुग्राम के संभावित क्षेत्रों को कम संभावित क्षेत्र से मध्यम संभावित क्षेत्र में संशोधित करने को मंजूरी दी चंडीगढ़, 28 दिसंबर- हरियाणा मंत्रिमंडल की आज यहां मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई बैठक में नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग द्वारा जिला गुरुग्राम के पटौदी-हेली मंडी और फर्रुखनगर संभावित क्षेत्रों को कम संभावित क्षेत्र से मध्यम संभावित क्षेत्र में संशोधित करने को मंजूरी दी गई। पटौदी-हेली मंडी और फर्रुखनगर (जिला गुरुग्राम) के क्षेत्र वर्तमान में हरियाणा विकास और शहरी क्षेत्रों के विनियमन नियम, 1976 की ‘अनुसूची’ के अनुसार ‘कम क्षमता वाले क्षेत्र’ के अंतर्गत आते हैं, जिसमें विभिन्न संभावित क्षेत्र निर्धारित किए गए हैं जो निम्न, मध्यम, उच्च और अति संभावित क्षेत्र हैं। इस प्रकार यह देखा गया है कि ये क्षेत्र अब कॉलोनियों के विकास और संस्थानों, उद्योगों, गोदामों आदि जैसी अन्य गतिविधियों के लिए बहुत संभावित हो गए हैं। इसलिए, यह प्रस्ताव है कि पटौदी-हेली मंडी और फर्रुखनगर के क्षेत्रों को ‘कम क्षमता वाले क्षेत्र’ से ‘मध्यम क्षमता वाले क्षेत्र’ में अपग्रेड किया जा सकता है। इससे राज्य के खजाने में राजस्व में वृद्धि होगी। 1 अगस्त, 2024 को एक रेपरजेंटेशन प्राप्त हुई थी जिसमें कहा गया था कि फर्रुखनगर और पटौदी-हेली मंडी के क्षेत्र कम क्षमता वाले क्षेत्र की श्रेणी में आते हैं, और इसलिए, बहुत कम राजस्व प्राप्तियां प्राप्त होती हैं। अनुरोध किया गया कि इन क्षेत्रों की श्रेणी को उच्च क्षमता वाले क्षेत्र में अपग्रेड किया जाए ताकि बाहरी विकास शुल्क, आंतरिक विकास शुल्क, लाइसेंस शुल्क, रूपांतरण शुल्क आदि के रूप में राजस्व प्राप्तियों में सुधार हो सके। फर्रुखनगर और पटौदी-हेली मंडी कस्बे गुड़गांव-मानेसर अर्बन कॉम्प्लेक्स (जीएमयूसी) के हाइपर पोटेंशियल जोन के बहुत करीब स्थित हैं। रिलायंस के मॉडल इकोनॉमिक टाउनशिप, केएमपी एक्सप्रेसवे और तेजी से विकसित हो रहे रेलवे नेटवर्क के कारण फर्रुखनगर ने डेवलपर्स का बहुत ध्यान आकर्षित किया है। इसी तरह, पटौदी-हेली मंडी में भी एनएच-8 और केएमपी एक्सप्रेसवे के करीब होने के कारण विकास की बहुत संभावनाएं हैं। इसलिए, फर्रुखनगर और पटौदी-हेली मंडी संभावित क्षेत्रों को अपग्रेड करके, हरियाणा सरकार लाइसेंस शुल्क और बाहरी विकास शुल्क, रूपांतरण शुल्क आदि की दरों में वृद्धि के कारण डेवलपर्स से अधिक राजस्व प्राप्तियां एकत्र करने में सक्षम होगी। मंत्रिमंडल ने बाह्य विकास शुल्क (ईडीसी) की गणना के लिए इंडेक्सेशन मैकेनिज्म के संशोधन को मंजूरी दी ईडीसी दरों में हर साल 10 प्रतिशत की वृद्धि करने के प्रस्ताव को कैबिनेट की मिली मंजूरी चंडीगढ़, 28 दिसंबर – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य के विभिन्न संभावित क्षेत्रों के बाह्य विकास शुल्क (ईडीसी) की गणना के लिए इंडेक्सेशन मैकेनिज्म के संशोधन को मंजूरी दी गई। इंडेक्सेशन नीति वर्ष 2015 के लिए ईडीसी दरों पर आधारित थी और इनमें आज तक कोई वृद्धि नहीं की गई थी। इंडेक्सेशन नीति से पहले, ईडीसी दरों में हर साल 10 प्रतिशत की वृद्धि की जाती थी। तदनुसार, मंत्रिमंडल ने अब से हर साल ईडीसी दरों में 10 प्रतिशत की वृद्धि करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। मंत्रिमंडल ने भविष्य में इंडेक्सेशन दरों के निर्धारण के लिए आधार ईडीसी दरें तय करने के लिए एक परामर्शदाता की नियुक्ति को भी मंजूरी दी और जब तक आधार ईडीसी दरें निर्धारित नहीं हो जातीं, तब तक हर साल 1 अप्रैल से 10 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि प्रभावी रहेगी। इस मंजूरी से हरियाणा शहरी क्षेत्र विकास एवं विनियमन अधिनियम, 1975 की धारा 9ए के तहत नीति निर्देश जारी करने के साथ-साथ हरियाणा शहरी क्षेत्र विकास एवं विनियमन नियम, 1976 में संशोधन करने का मार्ग प्रशस्त होगा। उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री, लोक निर्माण (भवन एवं सड़क) मंत्री, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री तथा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री वाली मंत्रिमंडलीय उप-समिति की सिफारिशों पर इंडेक्सेशन मैकेनिज्म के तहत ईडीसी की दरें तय की गई थीं। वर्ष 2018 में सरकार ने गुरुग्राम और रोहतक सर्कल की ईडीसी दरों के निर्धारण का कार्य आईआईटी दिल्ली और फरीदाबाद, पंचकूला और हिसार सर्कल के लिए आईआईटी रुड़की को सौंपा था। हालांकि, दोनों संस्थानों ने ईडीसी दरों के निर्धारण का कार्य करने से इनकार कर दिया, जिसके कारण आज तक वही इंडेक्सेशन नीति और ईडीसी दरें जारी रहीं। पंचकूला महानगर विकास प्राधिकरण अधिनियम, 2021 (2021 का अधिनियम 23) में संशोधन को मंजूरी दी गई चंडीगढ़, 28 दिसंबर – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में पंचकूला महानगर विकास प्राधिकरण अधिनियम, 2021 (2021 का अधिनियम 23) में संशोधन को मंजूरी दी गई। नए अधिनियम को पंचकूला महानगर विकास प्राधिकरण (संशोधन) अधिनियम, 2024 कहा जाएगा। हरियाणा नई राजधानी (परिधि) नियंत्रण अधिनियम, 1952 (1953 का पंजाब अधिनियम 1) की शक्तियों का प्रयोग मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा करने के लिए 2021 के मूल अधिनियम-23 में सक्षम प्रावधान करने तथा नगर परिषद, कालका की सीमा के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र के संबंध में उपयुक्त धाराओं और खंडों में प्रासंगिक प्रविष्टियां करने के लिए संशोधन किया जाना आवश्यक है। पंचकूला महानगर विकास प्राधिकरण अधिनियम, 2021 की धारा 15 हरियाणा अनुसूचित सडक़ और नियंत्रित क्षेत्र अनियमित विकास प्रतिबंध अधिनियम, 1963 (1963 का पंजाब अधिनियम 41) के तहत प्रदत्त शक्तियों के अनुसार निदेशक, नगर एवं ग्राम नियोजन, हरियाणा की शक्तियों का प्रयोग करने के लिए प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को समर्थ बनाती है परन्तु जैसाकि प्राधिकरण का अधिकांश क्षेत्र हरियाणा नई राजधानी (परिधि) नियंत्रण अधिनियम, 1952 (1953 का पंजाब अधिनियम 1) के तहत घोषित नियंत्रित क्षेत्र का हिस्सा है, इसलिए 1953 के अधिनियम-1 प्रावधानों के तहत प्रदत्त निदेशक, नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग, चंडीगढ़ की शक्तियों का प्रयोग भी प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा किया जाना आवश्यक है। इसके अलावा, मूल अधिनियम में केवल नगर निगम, पंचकूला का उल्लेख है जबकि नगर परिषद, कालका की सीमा के भीतर स्थित क्षेत्र भी प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में आता है। पंचकूला महानगर विकास प्राधिकरण की स्थापना पीएमडीए अधिनियम, 2021 के तहत की गई थी, जिसका उद्देश्य पंचकूला महानगर क्षेत्र में निरंतर, सतत और संतुलित विकास को बढ़ावा देना है। प्राधिकरण के उद्देश्यों में जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि करना और निवासियों के लिए उचित जीवन स्तर प्रदान करना, एकीकृत और समन्वित योजना सुनिश्चित करना, बुनियादी ढांचे का विकास, शहरी सुविधाओं का प्रावधान, गतिशीलता प्रबंधन, शहरी पर्यावरण, सामाजिक, आर्थिक और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना शामिल है। Post navigation ओलावृष्टि से फसलों को हुए नुकसान की गिरदावरी करवाकर किसानों को जल्द मुआवजा दें सरकार: कुमारी सैलजा 2 : मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक मैं हुए कुछ निर्णय ……