पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के निधन की खबर से देश-विदेश से अश्रुपूर्ण श्रृद्धाजंलियों का सैलाब उमड़ा-7 दिन का राष्ट्रीय शोक- सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द दिवंगत पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को सैल्यूट- देश को आपूर्णिय छति-दिवंगत आत्मा की शांति के लिए अंतिम अरदास – एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया- वैश्विक स्तरपर 26 दिसंबर 2024 को रात्रि करीब 10 बजे दुनियाँ का सबसे अलग अभूतपूर्व छवि के धनी, बेदांग व पारदर्शी व्यक्तित्व के रूप में प्रतिष्ठित व्यक्तियों में से एक भारतीय पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन की खबर सुनकर पूरी दुनियाँ आवक रह गई। एम्स से जारी बुलेटिन के अनुसार रात्रि 9.51 बजे उनका निधन हुआ जो रात्रि 8.02 को एम्स में भर्ती हुए थे परंतु डॉक्टरों के भूतपूर्व प्रयास के बावजूद उन्हें नहीं बचाया जा सका जो कि 92 वर्ष की उम्रदराज अस्वस्थता की बीमारी से ग्रस्त थे। निधन की सूचना प्राप्त होते ही राष्ट्रपति से लेकर उपराष्ट्रपति व प्रधानमंत्री से लेकर पूरे केंद्रीय मंत्रियों व विपक्षी पार्टियों से लेकर आम आदमीयों तक का श्रृद्धाजंलियों का सैलाब उमड़ पड़ा सरकार ने भी तत्परता दिखाते हुए सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द करते हुए 7 दोनों का राष्ट्रीय शोक की घोषणा करने में देर नहीं लगाई व 28 सितंबर सुबह 11 बजे केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर शोक प्रस्ताव पारित करने की खबरें आ रही है, तो कांग्रेस ने भी अपने सभी कार्यक्रम 7 दिनों के लिए रद्द कर दिए हैं। इधर तेलंगाना सरकार सहित कुछ ने सरकारी कार्यालय व शैक्षणिक संस्थाएं शुक्रवार 27 दिसंबर 2024 को बंद रखने व 7 दोनों का राष्ट्रीय शोक मनाने का आदेश पारित किया है। उनके पार्थिव शरीर को 3 जनपद उनके निवास स्थान पर लाया गया है। उधर स्वास्थ्य मंत्री व एम्स के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा भी सबसे पहले एम्स पहुंचे हुए पूरी प्रक्रियाओं की देखरेख की व पारिवारिक सदस्यों से परामर्श के बाद पार्थिव शरीर को उनके 3 जनपद रोड रवाना किया गया क्योंकि पूर्व पीएम के निधन से देश को अपूर्णिय क्षति हुई है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, दिवंगत पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को सैल्यूट,देश को अपूर्णिय छति- दिवंगत आत्मा की शांति के लिए अंतिम अरदास। साथियों बात अगर हम पूर्व पीएम के निधन की करें तो, आर्थिक सुधारों के प्रणेता पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का बृहस्पतिवार रात यहां निधन हो गया। वह 92 वर्ष के थे। एम्स दिल्ली ने सिंह के निधन की घोषणा की, उन्हें गंभीर हालत में रात करीब साढ़े आठ बजे आपातकालीन वार्ड में भर्ती कराया गया था।पूर्व पीएम के निधन की जानकारी देते हुए एम्स अस्पताल ने बयान जारी किया है।अस्पताल ने कहा कि उन्हें 26 दिसंबर की शाम को ही उस वक्त लाया गया, जब वह घर में बेहोश होकर गिर गए थे। उन्हें घर पर ही प्राथमिक इलाज दिया गया और फिर एम्स कीइमरजेंसी में लाया गया। उन्हें सभी प्रयासों के बाद भी बचाया नहीं जा सका और रात को 9:51 पर उनका निधन हो गया। वह लंबे समय से आयु जनित बीमारियों से जूझ रहे थे। एक अर्थशास्त्री से लेकर देश के प्रधानमंत्री के पद पर आसीन होकर उन्होंने देश की सेवा की थी. रिजर्व बैंक के गवर्नर जैसे पद पर रहे डॉ मनमोहन सिंह केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में आर्थिक संकट से जूझते देश को नई आर्थिक नीति का उपहार दिया और प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए उदारवादी आर्थिक नीति को बढ़ावा दिया और देश की अर्थव्यवस्था को नई उड़ान दी। साथियों बात अगर हम पूर्व पीएम के साधारण पारिवारिक बैकग्राउंड व शिक्षण करियर की करें तो, वे साल 2004 से 2014 तक भारत के पीएम रहे। वह पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और पीएम नरेंद्र मोदी के बाद चौथे सबसे लंबे समय तक इस पद पर रहें, डॉ मनमोहन सिंह भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री थे। वो जवाहरलाल नेहरू के बाद पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद फिर से चुने जाने वाले पहले प्रधान मंत्री भी थे. डॉ मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को गाह, पंजाब, ब्रिटिश भारत (अब पंजाब, पाकिस्तान) में एक सिख परिवार में गुरमुख सिंह और अमृत कौर के घर हुआ था. जब वह बहुत छोटे थे, तब उनकी मां की मृत्यु हो गई थी,उनकी नानी ने उनका पालन-पोषण किया और वह उनसे बहुत करीब थी। साल 1947 में विभाजन के समय उनका परिवार भारत आ गया था, भारत के विभाजन के बाद, उनका परिवार हल्द्वानी, भारत में चला गया,1948 में वे अमृतसर चले गए, जहां उन्होंने हिंदू कॉलेज, अमृतसर में अध्ययन किया, उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, फिर होशियारपुर में अर्थशास्त्र का अध्ययन किया और 1952 और 1954 में क्रमशः स्नातक और मास्टर डिग्री प्राप्त की, अपने शैक्षणिक जीवन में प्रथम स्थान पर रहे।उन्होंने 1957 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अपना अर्थशास्त्र ट्रिपोस पूरा किया. वे सेंट जॉन्स कॉलेज के सदस्य थे.डी फिल. पूरा करने के बाद सिंह भारत लौट आए। वे 1957 से 1959 तक पंजाब विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के वरिष्ठ व्याख्याता रहे। साल 1959 और 1963 के दौरान,उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र में रीडर के रूप में काम किया और 1963 से 1965 तक वे वहाँ अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे।1966 से 1969 तक यूएनसीटीएडी में किया था कामवे 1966 से 1969 तक व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के लिए काम करने चले गए, बाद में, अर्थशास्त्री के रूप में सिंह की प्रतिभा को मान्यता देते हुए ललित नारायण मिश्रा ने उन्हें विदेश व्यापार मंत्रालय का सलाहकार नियुक्त किया।1969 से 1971 तक, सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय के दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रोफेसर रहे ऑक्सफोर्ड से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद डॉ मनमोहन सिंह ने 1966-1969 के दौरान संयुक्त राष्ट्र के लिए काम किया, इसके बाद उन्होंने अपना नौकरशाही करियर तब शुरू किया जब ललित नारायण मिश्रा ने उन्हें वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में सलाहकार के रूप में नियुक्त किया।देश के कई महत्वपूर्ण पदों पर किया था काम 1970 और 1980 के दशक के दौरान मनमोहन सिंह ने भारत सरकार में कई प्रमुख पदों पर कार्य किया, जैसे कि मुख्य आर्थिक सलाहकार (1972-1976), रिजर्व बैंक के गवर्नर (1982-1985) और योजना आयोग के प्रमुख (1985- 1987)1972 में, सिंह वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बने और 1976 में वे वित्त मंत्रालय में सचिव 1980- 1982 में वे योजना आयोग में थे, और 1982 में, उन्हें तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के अधीन भारतीय रिजर्व बैंक का गवर्नर नियुक्त किया गया और 1985 तक इस पद पर रहे.वे 1985 से 1987 तक योजना आयोग (भारत) के उपाध्यक्ष बने. योजना आयोग में अपने कार्यकाल के बाद, वे 1987 से नवंबर 1990 तक जिनेवा, स्विट्जरलैंड में मुख्यालय वाले एक स्वतंत्र आर्थिक नीति थिंक टैंक, साउथ कमीशन के महासचिव थे। मनमोहन सिंह नवंबर 1990 में जिनेवा से भारत लौट आए और चंद्रशेखर के कार्यकाल के दौरान आर्थिक मामलों पर भारत के प्रधान मंत्री के सलाहकार के रूप में पद संभाला।मार्च 1991 में, वे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष बने.पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में बने थे वित्त मंत्रीसाल 1991 में, जब भारत एक गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था, नव निर्वाचित प्रधान मंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने गैर-राजनीतिक सिंह को वित्त मंत्री के रूप में अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया, हालांकि ये उपाय संकट को टालने में सफल साबित हुए और वैश्विक स्तर पर सुधारवादी अर्थशास्त्री के रूप में मनमोहन सिंह की प्रतिष्ठा को बढ़ाया, लेकिन 1996 के आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा। जून 1991 में, तत्कालीन भारत के प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिंह राव ने सिंह को अपना वित्त मंत्री चुना.साल 2004 में बने देश के प्रधानमंत्री इसके बाद, 1998-2004 की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान सिंह राज्यसभा (भारत की संसद के ऊपरी सदन) में विपक्ष के नेता थे। 2004 में जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सत्ता में आई, तो इसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अप्रत्याशित रूप से प्रधानमंत्री पद सिंह को सौंप दिया. उनके पहले मंत्रालय ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, विशिष्ट पहचान प्राधिकरण, ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और सूचना का अधिकार अधिनियम सहित कई प्रमुख कानून और परियोजनाएं क्रियान्वित कीं।2008 में, संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एक ऐतिहासिक असैन्य परमाणु समझौते के विरोध के कारण वाम मोर्चा दलों द्वारा अपना समर्थन वापस लेने के बाद मनमोहन सिंह की सरकार लगभग गिर गई थी। उनके कार्यकाल के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ अपना कार्यकाल समाप्त होने के बाद, उन्होंने 2014 के भारतीय आम चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री पद की दौड़ से बाहर होने का विकल्प चुना। मनमोहन सिंह कभी भी लोकसभा के सदस्य नहीं रहे, लेकिन उन्होंने 1991 से 2019 तक असम राज्य और 2019 से 2024 तक राजस्थान का प्रतिनिधित्व करते हुए राज्यसभा के सदस्य के रूप में कार्य किया. मनमोहन सिंह ने 1958 में गुरशरण कौर से शादी की,उनकी तीन बेटियां हैं। साथियों बात अगर हम पूर्व पीएम के राजनीतिक घटनाक्रम की करें तो,1991-अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स और पुनर्निर्माण और विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय बैंक के लिए भारतके राज्यपाल।1991 केंद्रीय वित्त मंत्री और बाद में राज्यसभा के लिए चुने गए1990 : आर्थिक मामलों पर भारत के प्रधान मंत्री के सलाहकार।1987: महासचिव और आयुक्त, दक्षिण आयोग जिनेवा।1985 : उपाध्यक्ष, योजना आयोग।1985 : अध्यक्ष, भारतीय आर्थिक संघ।1983 : सदस्य, प्रधानमंत्री को आर्थिक सलाहकार परिषद।1982 : भारत के लिए वैकल्पिक गवर्नर, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स, आईएमएफ।1982 : गवर्नर, भारतीय रिजर्व बैंक।1980 :अध्यक्ष, भारत- जापान संयुक्त अध्ययन समिति की भारत समिति।1980 : सदस्य-सचिव, योजना आयोग।1976 : सचिव, वित्त मंत्रालय (आर्थिक मामलों का विभाग), भारत सरकार। सदस्य, वित्त परमाणु ऊर्जा आयोग 1991 : अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स और पुनर्निर्माण और विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय बैंक के लिए भारत के राज्यपाल।1991 : केंद्रीय वित्त मंत्री और बाद में राज्यसभा के लिए चुने गए।1990 : आर्थिक मामलों पर भारत के प्रधान मंत्री के सलाहकार।1987 : महासचिव और आयुक्त, दक्षिण आयोग, जिनेवा।1985 : उपाध्यक्ष, योजना आयोग।1985 : अध्यक्ष, भारतीय आर्थिक संघ।1983 : सदस्य, प्रधान मंत्री को आर्थिक सलाहकार परिषद।1982 : भारत के लिए वैकल्पिक गवर्नर, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स, आईएमएफ।1982 : गवर्नर, भारतीय रिजर्व बैंक।1980 : अध्यक्ष, भारत- जापान संयुक्त अध्ययन समिति की भारत समिति।1980 : सदस्य -सचिव, योजना आयोग।1976 : सचिव, वित्त मंत्रालय (आर्थिक मामलों का विभाग), भारत सरकार। सदस्य, वित्त, परमाणु ऊर्जा आयोग।1972 : मुख्य आर्थिक सलाहकार, वित्त मंत्रालय, भारत।1971 : आर्थिक सलाहकार, विदेश व्यापार मंत्रालय, भारत। पूर्व इतिहास1966: उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के लिए काम किया। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि मनमोहन सिंह का निधन- प्रोफेसर से योजना आयोग अध्यक्ष आरबीआई गवर्नर तक- वित्त मंत्री से प्रधानमंत्री तक निर्विवाद पारदर्शी नेतृत्व,पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के निधन की खबर से देश-विदेश से अश्रुपूर्ण श्रृद्धाजंलियों का सैलाब उमड़ा-7 दिन का राष्ट्रीय शोक- सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द।दिवंगत पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को सैल्यूट- देश को आपूर्णिय छति-दिवंगत आत्मा की शांति के लिए अंतिम अरदास Post navigation अमर शहीद उद्यम सिंह की 125वीं जयंती पर श्रद्धासुमन अर्पित पूर्वप्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन भारतीय राजनीति, देश, समाज, कांग्रेस के लिए अपूर्णिय क्षति है : विद्रोही