नया जिला पाटोदी नामकरण को लेकर हो चुकी कई बार बड़ी पंचायत सरकारी सिस्टम में मानेसर को जिला बनाने की चर्चा हो रही अधिक गर्म इसी बीच में ग्रेटर गुरुग्राम के नाम से जिला बनाने की पैरवी हो गई आरंभ फतह सिंह उजाला पटौदी। लोकसभा चुनाव के समय से गर्म हुआ हरियाणा प्रदेश में नए जिले बनाने का सिलसिला विधानसभा चुनाव के बाद भी ठंड के मौसम में और अधिक गर्म होता जा रहा है । हरियाणा प्रदेश में नए जिले बनाया जाना प्रस्तावित है। इन प्रस्तावित जिलों में अलग-अलग नाम भी लिए जा रहे हैं । इसी प्रकार से नया जिला बनाने के लिए पटौदी के नाम को लेकर असमंजस बना हुआ है। जब से नए जिले बनाने की चर्चा चली है ,जिला गुरुग्राम में मानेसर का नाम नए जिले के रूप में अधिक लिया जा रहा है। यह सिलसिला मौजूदा समय भी भी बना हुआ है। अतीत में जब मानेसर को जिला बनाने की चर्चा गर्म हुई तो सर्व समाज के द्वारा महापंचायत बुलाकर पटौदी को ही जिला और जिला मुख्यालय बनाने की मांग जबरदस्त तरीके से की गई। सत्ता पक्ष और विपक्ष के अलावा क्षेत्र के चुने हुए जनप्रतिनिधियों और बुद्धिजीवी वर्ग के द्वारा जिला बनाए जाने को लेकर अपने-अपने विचार और तर्क पंचायत में रखे जाते आ रहे हैं। राजनीति सहित राजनेताओं को लेकर आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला भी चला आ रहा है । मानेसर को जिला बनाने के विरोध में पटौदी रामलीला मैदान में पटौदी नामकरण पर जिला बनाने की महापंचायत में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के बेहद करीब महामंडलेश्वर धर्मदेव के द्वारा डंके की चोट पर दावा किया गया था कि हरियाणा प्रदेश में यदि कोई नया जिला बनेगा तो सबसे पहला नाम पाटोदी जिला ही होगा। इसके बाद में विधानसभा चुनाव से पहले 10 अगस्त को जाटोली अनाज मंडी में सीएम सैनी की रैली के मंच पर भी महामंडलेश्वर धर्मदेव ने यह है डंके की चोट पर कहा पटौदी को जिला बनाने की घोषणा मंच पर की जाए ? तो वह हरियाणा के सभी 22 जिलों में पहुंचकर भाजपा के पक्ष में प्रचार भी करेंगे। लेकिन सीएम नायब सैनी के द्वारा पटौदी को जिला बनाने की मांग पर ने तो अपने पत्ते खोले गए और नहीं इस बात पर तवज्जो दी गई। अब एक बार फिर से हैट्रिक वाली भाजपा सरकार के कार्यकाल में हरियाणा प्रदेश में जिले बनाने की प्रक्रिया तेजी से आरंभ की जा चुकी है । जिस कमेटी के रिकमेंडेशन पर नए जिले बनाए जाएंगे अथवा घोषणा की जाएगी। उस कमेटी की दो महत्वपूर्ण बैठक भी हो चुकी है । इसी बीच में पटौदी से अलग एक बार फिर से मानेसर को ही जिला बनाने की अटकलें का बाजार राजनीतिक गलियारों सहित सरकारी सिस्टम में भी चर्चा के केंद्र में है । इस पूरे प्रकरण में पटौदी के पूर्व विधायक सत्य प्रकाश का साफ-साफ दावा है कि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने पटौदी को जिला बनाने अथवा बनवाने की सभी आधिकारिक औपचारिकताएं पुरी की हुई है। राजनीतिक लोगों का कहना है कि यदि यह बात सही है तो फिर मानेसर को जिला बनाने की सरकारी सिस्टम में चर्चा क्यों और किसके कहने पर चल रही है ? जबकि पूर्व विधायक सत्य प्रकाश के द्वारा लिखा गया पत्र में कहा गया है पटौदी फरुखनगर धारूहेड़ा और तावडू को मिलाकर ग्रेटर गुरुग्राम के नाम से नया जिला बनाकर इसका मुख्यालय पटौदी में ही रखा जाए। बीते संडे को भी जिला मानेसर बने या जिला पाटोदी बनाया जाए ? इस मुद्दे को लेकर सर्व समाज की पंचायत में कहा गया कि हक मांगने से नहीं छीनने से मिलते हैं । हक के लिए संघर्ष के रास्ते पर भी चलना होगा । राजनेताओं को और पॉलिटिकल पार्टियों को वोट मानेसर से भी लेना है वोट पटौदी से भी लेना है । इस पूरे मामले में अपने चुने हुए जनप्रतिनिधियों से भी मुलाकात की जाए। इसी बीच में पटौदी विधानसभा क्षेत्र में ही शामिल फरुखनगर क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों से ग्रेटर गुरुग्राम के नाम से जिला बनाने की पैरवी की जाने लगी है। इस क्षेत्र के सत्ता पक्ष से जुड़े लोगों सहित अन्य प्रबुद्ध लोगों का अपना ही तर्क है, इनका कहना है कि आज के समय में गुड़गांव अथवा गुरुग्राम शहर का नाम इंटरनेशनल लेवल पर एक ब्रांड बन चुका है। मानेसर या फिर पटौदी के नाम से जिला बनाया भी जाता है, तो उसका उतना हर दृष्टिकोण अथवा हर पैमाने पर लाभ नहीं मिल सकेगा। जितना लाभ ग्रेटर गुरुग्राम के नाम से बनाए जाने वाले जिला के नाम से मिल सकेगा। कहा तो यहां तक जा रहा है कि नया ग्रेटर गुरुग्राम जिला का मुख्यालय के केएमपी के पास कहीं भी उचित और पर्याप्त स्थान देखकर बनाया जाना चाहिए। बहरहाल मानेसर पटौदी और ग्रेटर गुरुग्राम के नाम से जिला बनाए जाने को लेकर एक अलग ही प्रकार की विचारधारा और तर्क माहौल में तैरने लगे हैं। दूसरी तरफ हरियाणा में नगर निगम नगर परिषद और नगर पालिकाओं के चुनाव कभी भी घोषित हो सकते हैं। ऐसे में आचार संहिता लगने पर नया जिला बनाने का मामला और अधिक लंबा खींचा जाने से भी इनकार नहीं किया जा सकता। Post navigation पटौदी जाटोली मंडी नगर परिषद …. पहला अध्यक्ष बनने के दावेदारों के चेहरे एक ही झटके में हो गए बे-नूर ?