एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

भ्रष्टाचार वैश्विक स्तर पर एक गंभीर समस्या है, जो प्रशासनिक व्यवस्थाओं और विकास योजनाओं में दीमक की तरह काम करता है। यह न केवल आम नागरिकों को प्रभावित करता है, बल्कि देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति में भी बाधा डालता है। भारत में “नया भारत” और “आत्मनिर्भर भारत” की परिकल्पना को साकार करने के लिए भ्रष्टाचार पर शून्य सहिष्णुता (Zero Tolerance) अपनाना अनिवार्य है।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य

विश्व स्तर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ न्यायपालिका और प्रशासनिक संस्थाएं सख्त होती जा रही हैं। उदाहरण के तौर पर, हाल ही में फ्रांस के सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी को भ्रष्टाचार और प्रभाव के दुरुपयोग के मामले में दोषी ठहराया। यह संदेश है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई में अब कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

भारत की चुनौती और दृष्टिकोण

भारत में भ्रष्टाचार कई योजनाओं और नीतियों की सफलता में बाधा बनता है। 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य के लिए यह आवश्यक है कि पारदर्शी प्रशासनिक व्यवस्था और नागरिक सहभागिता को प्राथमिकता दी जाए।

सरकारी प्रयास

  1. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 2018: 1988 के अधिनियम में संशोधन कर रिश्वत लेने और देने दोनों को अपराध घोषित किया गया।
  2. विशेष जांच दल (SIT): काले धन की जांच के लिए गठित की गई।
  3. लोकपाल की स्थापना: भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए लोकपाल को सशक्त बनाया गया।
  4. पारदर्शिता और जवाबदेही: सरकारी फैसलों को सार्वजनिक करने और कानूनों को सरल बनाने की दिशा में काम किया गया।

नागरिकों की भूमिका

नागरिक सहभागिता भ्रष्टाचार को मिटाने में महत्वपूर्ण है। आम जनता को जागरूक होकर रिश्वत देने और लेने की प्रवृत्ति को समाप्त करना होगा।

चुनौतियां और समाधान

भ्रष्टाचार के “दीमक” को मिटाने के लिए एक सुदृढ़ रणनीति आवश्यक है।

  • प्रशासनिक सख्ती: सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार पर कड़ी नजर रखी जाए।
  • पारदर्शिता: सभी प्रक्रियाओं को डिजिटल और सार्वजनिक किया जाए।
  • प्रेरक नेतृत्व: नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों को भ्रष्टाचार मुक्त व्यवहार का उदाहरण बनना होगा।

निष्कर्ष

भ्रष्टाचार सिर्फ भारत का ही नहीं, बल्कि वैश्विक समस्या है। इसे खत्म करने के लिए पारदर्शी प्रशासन, कड़े कानून और जागरूक नागरिकों की भागीदारी आवश्यक है। अगर हम अब ठोस कदम उठाएं, तो 2047 तक एक सशक्त और भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना साकार किया जा सकता है।

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