भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। आज मुख्यमंत्री ने कबीर कुटीर पर प्रदेश से आए ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। उस मुलाकात में मुख्यमंत्री ने ब्राह्मणों की मांग सुनीं और ब्राह्मणों के साथ रहने का वचन दिया। इस सम्मेलन में लगभग 400 ब्राह्मण उपस्थित थे, जो मुख्यमंत्री के निमंत्रण पर उनके आवास कबीर कुटीर चंडीगढ़ पहुंचे थे।

प्रश्न यह है कि क्या हरियाणा में 400 ही ब्राह्मणों के प्रतिनिधि हैं? हम गुरुग्राम में निवास करते हैं, गुरुग्राम में ब्राह्मणों की 31 संस्थाएं हैं लेकिन गुरुग्राम से उस सम्मेलन में 3 ब्राह्मणों की प्रतिभागिता रही।

इस सम्मेलन में जिले सिंह, मोहन लाल बड़ौली, राज्यमंत्री गौरव गौतम भी उपस्थित थे लेकिन चर्चा यह रही कि रामबिलास शर्मा, अरविंद शर्मा, कार्तिकेय शर्मा, शक्तिरानी शर्मा आदि-आदि की उपस्थिति नदारद रही।

गुरुग्राम से इस सम्मेलन में सम्मिलित हुए योगेश कौशिक से बात हुई तो उन्होंने बताया कि सभी ब्राह्मण बड़े उत्साह के साथ माननीय मुख्यमंत्री के बुलावे पर उनके आवास कबीर कुटीर पहुंचे। मुख्यमंत्री ने सभी के लिए जलपान की व्यवस्था कर रखी थी, जिसकी ब्राह्मणों ने तारीफ की और चटकारे लेकर हलवे का आनंद लिया। उसके पश्चात माननीय मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में शब्दों से ब्राह्मणों के योगदान की भूरी-भूरी प्रशंसा की। इससे ब्राह्मण गदगद हो उठे लेकिन समाज की मांगों का प्रश्न है, उसमें मुख्यमंत्री ने शब्दों की ऐसी कलाकारी की जिसके अनुसार सबकुछ दे दिया और कुछ भी न देकर निराश किया।

उन्होंने कहा कि आशा है कि मुख्यमंत्री महोदय ब्राह्मण समाज को इस प्रकार निराश नहीं करेंगे और अपने वादों और शब्दों की कलाकारी की अपेक्षा धरातल पर यर्थात रूप से लागू करेंगे ताकि ब्राह्मण समाज निराश होने की अपेक्षा भविष्य में भाजपा के साथ जुड़ा रह सके। पार्टी और सरकार को मजबूती प्रदान करता रहे।

कुछ ब्राह्मणों ने नाम न लेने की शर्त पर बताया कि कबीर कुटीर हम गए थे और कबीर का कहना है कि

कबीरा खड़ा बाजार में मांगे सबकी खैर, ना काहू से दोस्ती और न काहू से बैर

परंतु यहां ऐसा कुछ नजर आया नहीं। मुख्यमंत्री के भाषण में ब्राह्मणों के बारे में तो कम बोला गया लेकिन राजनैतिक बातें अधिक की गईं, जिसमें विपक्षी पार्टियों के ऊपर आरोप और लांछन लगाए गए।ऐसे में याद आया कबीर का दोहा

कबीरा तेरी झोंपड़ी गलकटियन के पास, करेगा सो भरेगा तू क्यों भए उदास

तो इसके अनुसार हम भी सुनते रहे और यही सोचते रहे कि हमें अपना कार्य करना है जो जैसा करेगा, वैसा भरेगा। एक व्यक्ति ने तो यहां तक कह दिया कि अभी सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया था। अत: सरकार को अपने आचरण को गीता संदेश के अनुसार करना चाहिए।

इन सब बातों को देखते हुए मन में विचार आया कि सनातन धर्म की बात करें तो ब्राह्मणों का वैसे ही उच्च स्थान है। वह याचक नहीं देने वाले होते हैं। फिर इस सम्मेलन में अनुमान के अनुसार अधिकांश पहले ही भाजपा से जुड़े हुए व्यक्ति हैं। कांग्रेस, आप या अन्य दलों से जुड़ा कोई व्यक्ति इस ब्राह्मण सम्मेलन में नजर आया नहीं। ऐसे में आप विचार करिये कि मुख्यमंत्री का दावा कि ब्राह्मण उनके साथ हैं, कितना उचित है?

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