भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक गुरुग्राम। हरियाणा में राज्यसभा सदस्य कृष्णलाल पंवार के विधानसभा चुनाव जीतने के कारण रिक्त हुई राज्यसभा सीट के लिए अनेक दावेदार थे और सबमें होड़ लगी हुई थी। ऐसे में नॉमिनेशन की अंतिम तारीख 10 दिसंबर है। 9 दिसंबर को जब प्रधानमंत्री पानीपत में एलआईसी की बीमा सखी योजना का शुभारंभ करने आए थे, उसी दिन रेखा शर्मा का नाम राज्यसभा सदस्य के लिए भाजपा की ओर से घोषित हो गया। हरियाणा के अनेक दिग्गजों की आशाओं पर बर्फ गिर गई। उन नेताओं के बारे में बात तो बाद में करेंगे, पहले रेखा शर्मा के बारे में जान लें। रेखा शर्मा तीन कार्यकाल अर्थात 9 वर्ष राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रही हैं। पंचकूला इनका निवास स्थान है। 2024 में हुए विधानसभा चुनाव में भी वह विधानसभा टिकट की दौड़ में थीं परंतु कभी उन्होंने इसका अधिक प्रचार नहीं किया और वह संतुष्ट नजर आती थीं। जब वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरियाणा के प्रभारी थे तबसे इनका नरेंद्र मोदी से परिचय है। इसका कारण यह है कि वह तब प्रदेश प्रभारी के साथ कार्यालय में कार्यरत थीं। अब आते हैं हरियाणा के संभावित उम्मीदवारों पर। कभी यह चर्चा होती थी कि यह सीट पिछड़े वर्ग के राज्यसभा सांसद के रिक्त होने से खाली हुई है, इसलिए पिछड़े वर्ग के ही किसी व्यक्ति को सांसद के रूप में राज्यसभा भेजा जाएगा, जिनमें सुधा यादव, सुनीता दुग्गल, बनवारी लाल, सत्यप्रकाश जरावता आदि-आदि के नाम चर्चा में रहे। इसके अतिरिक्त यह भी चर्चा रही कि भाजपा के साथ जाट साथ नहीं आ पा रहे हैं, इस कारण जाटों को अपने पक्ष में करने के लिए किसी जाट उम्मीदवार को भेजा जाएगा, जिसमें ओमप्रकाश धनखड़, कैप्टन अभिमन्यु आदि के नाम अधिक चर्चा में रहे। कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए कुलदीप बिश्नोई भी आश्वस्त नजर आते थे कि वह राज्यसभा के सदस्य होने का गौरव पा सकेंगे। समाचार मिलते रहते थे कि वह लगातार दिल्ली जाकर भाजपा के शीर्ष नेताओं से मुलाकात करते रहे हैं लेकिन उनका नाम भी नहीं आया। वर्तमान में चौ. भजनलाल के परिवार के पास अब कोई पद रह नहीं गया। भजन लाल के पोते और कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई भी अपना चुनाव हार गए और अब दूसरी या तीसरी बार कुलदीप बिश्नोई का भी नाम नहीं आया है। सोशल मीडिया पर यह भी चर्चित रहा कि यदि इन्हें राज्यसभा नहीं भेजा गया तो ये फिर कांग्रेस में जा सकते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केंद्र सरकार में मंत्री मनोहर लाल खट्टर और नायब सैनी के नाम से यह समाचार भी लगातार चर्चा में रहे कि संजय भाटिया को राज्यसभा भेजा जाएगा, क्योंकि उन्होंने मनोहर लाल खट्टर के लिए अपनी लोकसभा सीट का त्याग किया था। इन बातों से चर्चा यह भी चलने लगी है कि अब पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का हरियाणा की राजनीति से वर्चस्व घट रहा है। उपरोक्त नामों के अतिरिक्त भी अनेक नाम लाइन में थे, जिनमें रामबिलास शर्मा, मोहनलाल बड़ौली, मनीष ग्रोवर आदि-आदि नाम सम्मिलित थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले सदा ही अप्रत्याशित रहे हैं। उनके फैसलों ने सदा सभी को चौंकाया है और वर्तमान में यह निर्णय भी सभी को चौंकाने वाला है, क्योंकि रेखा शर्मा का नाम कहीं भी चर्चा में नहीं था। यह दर्शाता है कि प्रधानमंत्री मोदी के निर्णय उनके मन में ही होते हैं, उसकी जानकारी उनके विशेष हर वक्त साथ रहने वाले लोगों को भी नहीं होती है, जिसका प्रमाण है कि पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल जो वर्तमान में मंत्री बन उनके साथ हैं और उसके पूर्व भी जब वह प्रभारी थे तब मनोहर लाल संगठन मंत्री थे और तभी से ही राजनीति क्षेत्रों में उनकी दोस्ती की चर्चाएं होती रही हैं और वर्तमान में उन्हें भी इसका कोई आभास नहीं था। सच है कि वास्तव में मोदी अपने आपमें अलग व्यक्तित्व रखते हैं। रेखा शर्मा के राज्यसभा सदस्य के नामांकन के लिए नाम तय होने के पश्चात किसी भाजपाई की कोई प्रतिक्रिया सामने आई नहीं है और न ही किसी ने इस फैसले का स्वागत करने की प्रतिक्रिया दी है, न विरोध करने की और न ही आश्र्चयचकित होने की। ये जो दसियों उम्मीदवार राज्यसभा के लिए लाइन में लगे हुए थे, निश्चित है कि ये सभी भाजपा में उच्च स्थान रखते हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में इनकी प्रतिक्रियाएं क्या आती हैं, क्योंकि ऐसा लगता है कि कुछ का तो इसके पश्चात राजनैतिक भविष्य ही समाप्त हो सकता है, जिनमें पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु और पूर्व मंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ के नाम लिए जा सकते हैं, क्योंकि ये दोनों पिछले समय में अपने विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि पार्टी की नजर में भी उनकी उपयोगिता नहीं रही है। इसी प्रकार भाजपा के अध्यक्ष रहे और 2014 को अपनीअध्यक्षता में प्रथम बार हरियाणा में अपनी सरकार बनवाने वाले पूर्व मंत्री रामबिलास शर्मा का नाम भी आता है। जब उन्हें उनकी सीट से टिकट नहीं मिली थी तो उन्होंने विरोध प्रदर्शित किया था। उसके पश्चात यह लगने लगा था कि उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी लेकिन नहीं हुआ। बस देखना होगा कि आने वाले समय में क्या होगा? Post navigation हरियाणा में नगर निकायों के अध्यक्ष पद को भरने हेतु कानूनी प्रावधान में सामान्य वर्ग का उल्लेख भारतीय संविधान के अनुरूप नहीं विगत दस सालों में जब प्रधानमंत्री मोदी हरियाणा आये, हरियाणावासियों को जुमलेबाजी की बौछार मिली : विद्रोही