हरियाणा नगरपालिका कानून, 1973  की  धारा 10 (5 ) और हरियाणा नगर निगम कानून, 1994  की धारा 11 (5 )  में हुए ताज़ा संशोधन में जनरल केटेगरी ( सामान्य वर्ग) का  उल्लेख सहीं नहीं — एडवोकेट

भारत देश   में कोई भी पद सामान्य वर्ग हेतु आरक्षित नहीं हो सकता  बल्कि वह ओपन / अनारक्षित होता है जिस पर किसी भी वर्ग/जाति का योग्य उम्मीदवार भी चुनाव लड़ सकता है – एडवोकेट 

चंडीगढ़  –  हाल ही  में 3 दिसम्बर को हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) कानून, 2024 और हरियाणा नगर निगम (संशोधन) कानून, 2024, जिन्हें गत माह नव-गठित  15वीं  हरियाणा विधानसभा के प्रथम सत्र में सदन द्वारा पारित किया गया था, को  राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय की स्वीकृति प्राप्त हो गई जिसके बाद उक्त दोनों संशोधन कानूनों की गजट नोटिफिकेशन 6 दिसम्बर को  प्रकाशित  कर दी गयी है. हालांकि उपरोक्त  दोनों संशोधन कानून 16 अगस्त 2024 से प्रभावी माने जायेगे क्योंकि उसी दिन इन दोनों संशोधन कानूनों को राज्यपाल द्वारा अध्यादेश के तौर पर प्रख्यापित (जारी)  किया गया था. 

बहरहाल, उक्त दोनों संशोधन कानूनों के लागू होने से   हरियाणा में  आगामी कुछ सप्ताह में  तीनो प्रकार के नगर निकायों में अर्थात – नगरपालिका समितियों (म्युनिसिपल कमेटी), नगरपालिका परिषद (म्युनिसिपल कौंसिल ) और नगर निगमों (म्युनिसिपल कारपोरेशन)   के निर्धारित   आम चुनाव में  न केवल नगर निकाय के  वार्डों  बल्कि नगरपालिका/नगर परिषद अध्यक्ष (प्रधान) एवं नगर निगम मेयर के पदों में  पिछड़ा वर्ग (ब्लाक ए) और पिछड़ा वर्ग (ब्लाक बी ) के व्यक्तियों के लिए भी  आरक्षण करने का प्रावधान किया गया है. 

इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया  कि हालांकि वर्ष 2022 से पहले भी नगर निकायों के पदों में  पिछड़ा वर्ग के व्यक्तियों के लिए आरक्षण का प्रावधान था परन्तु उस वर्ष सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के बाद प्रदेश सरकार को राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग गठित कर उसके द्वारा प्रदेश की स्थानीय  संस्थाओं में  पिछड़ा वर्ग के आरक्षण की आवश्यकता और अनुपात बारे  सौंपी गयी  रिपोर्ट के आधार पर सर्वप्रथम  उसी वर्ष पिछड़ा  वर्ग (ब्लाक ए) के लिए  और अब ताज़ा तौर पर पिछड़ा वर्ग (ब्लाक बी ) के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया  है. सनद रहे कि जून, 2022

में प्रदेश की 28 नगरपालिका समितियों और 18 नगर परिषदों के आम चुनाव बिना पिछड़ा वर्ग का आरक्षण किये राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा  कराये गये थे. 

बहरहाल, ताज़ा लागू हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) कानून, 2024 द्वारा हरियाणा नगरपालिका कानून, 1973 की धारा 10(5) को  और हरियाणा नगर निगम (संशोधन) कानून, 2024  द्वारा 

हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 11(5) को बदलकर  प्रावधान किया गया है कि नगर पालिका / नगर परिषद  के अध्यक्ष और नगर निगम मेयर के पद सामान्य वर्ग (जनरल केटेगरी), अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग (ब्लाक ए) और पिछड़ा वर्ग (ब्लाक बी ) और महिलाओं  में से रोटेशन एवं लॉट्स (ड्रा ) से निर्धारण कर भरे जायेंगे. 

 हेमंत  ने बताया  कि हरियाणा संभवत: देश का इकलौता राज्य होगा जहाँ की शहरी स्थानीय निकायों अर्थात नगर निगमों,  नगर परिषदों और नगर पालिकाओं के मेयर / अध्यक्ष  के  पद को भरने हेतु कानूनी प्रावधान में   सामान्य वर्ग के व्यक्तियों का  एक प्रकार  से आरक्षण का उल्लेख किया गया है.

उन्होंने   बताया कि हालांकि भारत के संविधान के  अनुच्छेद 243 टी  के खंड चार और छ:  के अनुसार   हर राज्य विधानसभा द्वारा  अपने प्रदेश की  म्युनिसिपेलिटीस (नगर निकायों ) के चेयरपर्सन  पदों पर  अनुसूचित जाति   (एस.सी.), अनुसूचित जनजाति (एस.टी.), पिछड़े वर्ग (बीसी) और  महिलाओ के आरक्षण से  संबधित कानूनी प्रावधान किया जा सकता है.   चूँकि उक्त  अनुच्छेद में  जनरल/सामान्य वर्ग हेतु  आरक्षण का उल्लेख ही नहीं है इसलिए हरियाणा नगरपालिका कानून, 1973  की   धारा 10 (5 ) और हरियाणा नगर निगम कानून, 1994  की धारा 11 (5 ) में सम्बंधित नगर निकायों के अध्यक्ष/मेयर पदों को भरने हेतु   सामान्य वर्ग  का उल्लेख पूर्णतः असंवैधानिक है और इसे तत्काल कानून संशोधन करवा कर हटा देना चाहिए. गौरतलब  है कि हमारे   देश   में कोई भी पद सामान्य वर्ग हेतु आरक्षित नहीं हो सकता  बल्कि वह ओपन / अनारक्षित होता है जिस पर न  केवल सामान्य वर्ग का  व्यक्ति  बल्कि किसी भी वर्ग/जाति का योग्य व्यक्ति  भी चुनाव लड़ सकता है.

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