श्रीअवधूत आश्रम कुरुक्षेत्र में चल रहे गीता महायज्ञ में संत समाज एवं श्रद्धालु विश्व कल्याण के लिए डाल रहे आहुतियां।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र 7 दिसंबर : श्रीभगद्वगीता लोगों को ईश्वर के प्रति गहरी प्रतिबद्धता और पूर्ण प्रेम का अनुभव करने के लिए दिव्य गुण और पवित्रता प्राप्त करना सिखाती है। गीता में सम्पूर्ण वेदों का सार निहित है। गीता की महत्ता को शब्दों में वर्णन करना असम्भव है। यह स्वयं भगवान कृष्ण के मुखारविन्द से निकली है। यह विचार जर्मनी से आई इंजीनियर शिखा कुमारी ने धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय श्रीमदभगवदगीता जयंती समारोह-2024 के उपलक्ष्य में श्री अवधूत आश्रम में आयोजित सप्त दिवसीय गीता महायज्ञ में आए श्रद्धालुओं को अपना संदेश देते हुए व्यक्त किये।

उन्होंने कहा श्रीमद्भगवद्गीता भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व में सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला आध्यात्मिक ग्रन्थ है। विश्व की लगभग सभी भाषाओं में इसका अनुवाद हो चुका है। गीता में ज्ञानयोग, भक्तियोग, कर्मयोग व राजयोग के अतिरिक्त समत्वं योग, सन्यास योग, सांख्य योग, श्रद्धात्रय योग व मोक्ष का अद्भुत संगम है। गीता में कुल अठारह अध्याय हैं जिनमें कुल सात सौ श्लोकों का वर्णन किया गया है।

षडदर्शन साधुसमाज के मुख्यालय श्रीअवधूत आश्रम पिहोवा मार्ग नरकातारी कुरुक्षेत्र पर संत समाज द्वारा गीता महोत्सव पर विश्व कल्याण सुख शांति के लिए गीता महायज्ञ में आहुतियां डाली जा रही है। जिसमें संत महामंडल की अध्यक्ष महामंडलेश्वर 1008 स्वामी विद्यागिरि जी महाराज, षडदर्शन साधुसमाज के संरक्षक महंत बंशी पुरी जी महाराज के मार्गदर्शन में अध्यक्ष परमहंस ज्ञानेश्वर महाराज के सानिध्य में महंत गुरुभगत सिंह, महंत महेश मुनि,महंत ईश्वर दास,वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, डा. गार्गी ब्रह्मवादिनी, महंत सर्वेश्वरी गिरि,महंत जनार्दन दास, स्वामी राजेंद्र दास, प्रो. बाबा चेतन मुनि,महंत सुनील दास, महंत वासुदेवानंद गिरि,महंत विशाल दास, महंत स्नेह दास,महंत महेश्वरानंद,महंत अवध बिहारी,गोस्वामी किशोरी दास,महंत त्रिवेणी दास,महंत कनखल दास, महंत वासुदेवानंद गिरि,महंत तोता गिरी, डा. संजीव कुमारी, प्रो. श्याम लाल गुप्ता,शशि गुप्ता इत्यादि श्रद्धालु, संत महात्माओं ने यज्ञ में आहुतियां डाली।

गीता महायज्ञ में यज्ञाचार्य पण्डित सोमदत्त एवं आचार्य मनीष मिश्रा द्वारा प्रतिदिन प्रातः 9 बजे गीता पूजन के साथ प्रथम अध्याय से 18 वें अध्याय तक के 700 श्लोकों से संत समाज एवं श्रद्धालुओं द्वारा दिन में तीन बार आहुतियां डाली जा रही है।

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