मानव के जीवन में दुखों का कारण स्वयं उसका अपना व्यवहार है : संजीव कृष्ण ठाकुर भागवत कथा श्रवण करने दूर दूर से पहुंच रहे हैं श्रद्धालु। वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक कुरुक्षेत्र, 7 दिसम्बर : देश के विभिन्न राज्यों में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी के सान्निध्य में गीता जयंती महोत्सव 2024 के अवसर पर श्री जयराम विद्यापीठ में भागवत पुराण की कथा के अवसर पर तीसरे दिन व्यासपीठ से वृन्दावन मथुरा से विख्यात कथावाचक संजीव कृष्ण ठाकुर ने कहा कि मानव के जीवन में दुखों का कारण स्वयं उसका अपना स्वभाव है और मानव को अपनी जीवन शैली के स्वभाव को सुधारना कठिन कार्य करना है। तीसरे दिन की कथा प्रारंभ से पूर्व परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी एवं ट्रस्टियों ने श्रद्धाभाव के साथ व्यासपीठ को नमन कर पूजन किया। कथा वाचक संजीव कृष्ण ठाकुर ने कहा कि कहा कि कोई भी कार्य बुद्धि व शक्ति के बगैर नहीं हो सकता है। बुद्धि और शक्ति ईश्वर की कृपा व आराधना के बगैर प्राप्त नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि मंदिर में श्रद्धा और भक्ति के साथ ही परमात्मा का साक्षात्कार हो सकता है। हमारा मन शुद्ध होगा तभी परमात्मा की कृपा होगी। जहां भक्त है वहीं सिद्ध है। उन्होंने कथा में भक्त ध्रुव चरित्र, भक्त प्रहलाद एवं वामन भगवान के प्रसंगों पर चर्चा की। कथा में राजा परीक्षित के जीवन का वर्णन करते हुए धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की महत्ता पर प्रकाश डाला। कथावाचक संजीव कृष्ण ठाकुर ने बताया कि 84 लाख योनियां भुगतने के पश्चात मानव देह की प्राप्ति होती है। इसलिए इस देह को उपयोग व्यर्थ कामों में ना करके जनकल्याण व ईश्वर भक्ति में समर्पित कर दें। कथा में बताया कि भागवत कथा कर्म को महत्व देती है। सात्विक कर्मों से ही मुक्ति संभव है। कथा में संगीतमयी भजनों से श्रोता तथा श्रद्धालु झूम उठे। संजीव कृष्ण ठाकुर ने कथा में कहा कि मोक्ष प्राप्ति का द्वार ही मानव जीवन है, जो हमें परमात्मा मिलन और सत्कर्म करने के लिए प्रभु देते हैं, मानव जीवन मिलने के बाद परमात्मा को मनाने की कोशिश करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह तभी संभव होगा, जब हम संसार की मोह -माया का त्याग कर प्रभु की शरण में जायेंगे। इस अवसर पर तीसरे दिन की कथा के समापन पर व्यासपीठ पर भागवत पुराण की आरती की गई। कथा में सेवानिवृत्त आयुक्त टी के शर्मा, राजेंद्र सिंघल, के.के. कौशिक एडवोकेट, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, डा. संजीव कुमारी, जर्मनी से आई इंजीनियर शिखा कुमारी, कुलवंत सैनी, टेक सिंह लौहार माजरा, सुरेंद्र गुप्ता, पवन गर्ग, खरैती लाल , राजेश सिंगला, सुनील गर्ग, संजीव गर्ग, सुनील गौरी, एस.एन. गुप्ता, हरप्रीत सिंह चीमा, महिला मंडल की संगीता शर्मा व संतोष यादव, रणबीर भारद्वाज, सतबीर कौशिक, रोहित कौशिक इत्यादि भी मौजूद रहे। Post navigation श्रीमद्भगवद्गीता भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व में सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला आध्यात्मिक ग्रन्थ है : शिखा कुमारी प्रेरणा वृद्धाश्रम में गीता जयंती महोत्सव पर चल रहा है गीता ज्ञान यज्ञ