जुलाई से सितम्बर के बीच भारत की जीडीपी दर 5.4 प्रतिशत ही रही है जबकि आरबीआई का दावा 7 प्रतिशत जीडीपी का था और भाजपा मंत्री-संतरी 8 प्रतिशत जीडीपी का दावा कर रहे थे : विद्रोही
सरकारी आंकडों के अनुसार 201़9-20 में जहां पूरे देश में आमजनों के बचत बैंक खातों में जो 11.61 लाख करोड़ रूपये जमा था, वह नवम्बर 2024 में घटकर 6.52 लाख करोड़ रूपये रह गया है : विद्रोही
डाक्टर मनमोहन सिंह कांग्रेस-यूपीए सरकार ने जब सत्ता छोडीे थी, तब जून 2014 में एक डालर के मुकाबले में रूपये की कीमत 59.13 रूपये थी जो अब 30 नवम्बर 2024 को एक डालर के मुकाबले 84.50 रूपये हो गई : विद्रोही

1 दिसम्बर 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही आरोप लगाया कि मोदी-भाजपा-एनडीए सरकार आंकडा हेराफेरी करके सुहानी अर्थव्यवस्था दिखाकर देश की जनता को ठग रही है लेकिन हेराफेरी करने के बाद भी दूसरीे तिमाही की जीडीपी के जो आंकडे आये है, उसके अनुसार ही जुलाई से सितम्बर के बीच भारत की जीडीपी दर 5.4 प्रतिशत ही रही है जबकि आरबीआई का दावा 7 प्रतिशत जीडीपी का था और भाजपा मंत्री-संतरी 8 प्रतिशत जीडीपी का दावा कर रहे थे। विद्रोही ने कहा कि जीडीपी गणना के आंकडों में हेराफरी करने के बाद भी जीडीपी दर का गिरना बताता है कि अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। यदि किसानों ने मेहनत करके जीडीपी दर को बढने में योगदान नही दिया होता तो जीडीपी दर और भी गिर जाती। कृषि क्षेत्र को छोडकर हर क्षेत्र में जीडीपी दर में भारी गिरावट आई है। इसमें भी मैन्यूफक्चरिंग क्षेत्र में आई गिरावट के चलते रोजगार के अवसर और भी कम होने से बेरोजगारी व महंगाई दोनो बढने की संभावना और बढ़ गई है। महंगाई दर पहले ही 6.3 प्रतिशत से ज्यादा होने के कारण आमजन का जीना दूभर होता जा रहा है।
विद्रोही ने कहा कि गिरती अर्थव्यवस्था से आर्थिक बदहाली, बेरोजगारी, बेकारी की यह हालत है कि आमजनों को अपनी बचत के पैसों से अपना गुजारा करने को मजबूर होना पड रहा है। सरकारी आंकडों के अनुसार 201़9-20 में जहां पूरे देश में आमजनों के बचत बैंक खातों में जो 11.61 लाख करोड़ रूपये जमा था, वह नवम्बर 2024 में घटकर 6.52 लाख करोड़ रूपये रह गया है। इसका सीधा अर्थ है कि आमजन को अपना पेट भरने व घर खर्च चलाने के लिए अपनी बचत राशी में से 5.09 लाख करोड़ रूपये अर्थात 44 प्रतिशत पैसा निकालकर खर्च करना पडा है जो देश व आमजन की कमजोर होती आर्थिक स्थिति का जीवंत प्रमाण है। वहीं मोदी-भाजपा राज में डालर के मुकाबले रूपये की कीमत कम होती जा रही है। डाक्टर मनमोहन सिंह कांग्रेस-यूपीए सरकार ने जब सत्ता छोडीे थी, तब जून 2014 में एक डालर के मुकाबले में रूपये की कीमत 59.13 रूपये थी जो अब 30 नवम्बर 2024 को एक डालर के मुकाबले 84.50 रूपये हो गई अर्थात मोदी राज में डालर के मुकाबले रूपये कीे कीमत 40 प्रतिशत घट गई है जिसके चलते रूपये की कीमत और घट गई है।
विद्रोही ने कहा कि कमजोर जीडीपी, गिरता रूपया, बढती बेरोजगारी व महंगाई आमजन के लिए जी का जंजाल बन गई है। एक ओर देश की अर्थव्यवस्था खस्ता होने से महंगाई, बेरोजगारी बढ रही है, जिसके चलते गरीबी बढ़ रही है और 83 करोड़ नागरिक अपना पेट भरने सरकार द्वारा मिलने वाले 5 किलो राशन पर निर्भर रह गए। एक ओर मोदी जी भारत को दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनाने का राग अलापकर जनता को ठग रहे है, वहीं दूसरी ओर दुनिया में प्रति व्यक्ति आय में भारत का नम्बर 142वां है। भूखमरी में भारत का नम्बर 110वां है। विद्रोही ने कहा कि हरियाणा की अर्थव्यवस्था भी कर्ज पर टिकी है। कैग रिपोर्ट अनुसार हरियाणा पर 4.10 लाख करोड़ रूपये का कर्ज है जो 2024-25 में 4.50 लाख करोड़ रूपये होने की संभावना है। वहीं देशे पर 2014 में जो कर्ज 53 लाख करोड़ रूपये था, वह मोदी राज के दस सालों में बढकर 210 लाख करोड़ रूपये हो चुका है।