मानव अधिकार संरक्षण कानून, 1993 की धारा 22(1) का हवाला देकर एडवोकेट ने राज्यपाल को भेजा ज्ञापन 

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति सम्बन्धी  केंद्र सरकार नहीं प्रकाशित करती नोटिफिकेशन — हेमंत 

 चंडीगढ़ — सोमवार 25 नवम्बर को हरियाणा सरकार के गृह विभाग द्वारा प्रदेश के राजपत्र (गजट) में प्रकाशित  जारी एक नोटिफिकेशन जिस पर प्रदेश के गृह विभाग के मौजूदा  अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी के  हस्ताक्षर मुद्रित   हैं  द्वारा  पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस (जज) ललित बत्रा को हरियाणा मानवाधिकार आयोग का चेयरमैन  जबकि सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायधीश कुलदीप जैन को आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया. वहीं आयोग के एक अन्य  सदस्य के तौर पर एडवोकेट दीप भाटिया, जो   सितम्बर,2018 से सितम्बर, 2023 तक भी इसी  आयोग में सदस्य रहे थे, उन्हें एक बार पुन: सदस्य नियुक्त किया  गया है. नियुक्ति से पूर्व आयोग के  सदस्य कुलदीप जैन इसी आयोग में बतौर रजिस्ट्रार (लॉ एवं लीगल) के पद पर  कार्यरत थे. बुधवार 27 नवम्बर को उपरोक्त तीनों नव-नियुक्त  पदाधिकारियों  द्वारा अपना अपना पदग्रहण भी कर लिया गया. 

इस बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट  के एडवोकेट हेमंत कुमार ने गुरूवार 28 नवंबर को  को प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, मुख्यमंत्री नायब सिंह, विधानसभा स्पीकर हरविंद्र कल्याण, प्रदेश के मुख्य सचिव, गृह सचिव, एडवोकेट जनरल, विधि परामर्शी (एल.आर.) को एक ज्ञापन भेजकर मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम (कानून), 1993 जिसके अंतर्गत ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और सभी प्रदेशों में  राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन किया जाता है की धारा 22(1) का हवाला देकर कानूनी पॉइंट उठाया है कि इस कानूनी प्रावधान के अनुसार प्रदेश के राज्यपाल द्वारा अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र (वारंट ) द्वारा राज्य मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति करने का स्पष्ट उल्लेख है. उन्होंने अपने भेजे  ज्ञापन में  राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एन.एच.आर.सी.) का  उल्लेख करते हुए लिखा है कि जब भी वहां  

चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति की जाती है, तो  केंद्रीय गृह मंत्रालय, जो कि एन.एच.आर.सी. का प्रशासनिक मंत्रालय है, द्वारा इस सम्बन्ध में भारत सरकार के गजट में नोटिफिकेशन (अधिसूचना) नहीं प्रकाशित की जाती है.हेमंत ने बताया कि हालांकि इसमें कोई संदेह नहीं कि हमारे देश में लागू आधिकारिक  प्रशासनिक व्यवस्था में 

प्रदेश  सरकार द्वारा ही राज्यपाल के नाम से दैनिक तौर पर आदेश और निर्देश आदि जारी किए जाते हैं. परन्तु यहाँ  ध्यान देने योग्य यह है कि अगर भारतीय संविधान में अथवा संसद या राज्य विधानमंडल द्वारा अधिनियमित किसी कानून में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि किसी अमुक पद पर नियुक्त होने वाले पदाधिकारी की नियुक्ति राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र (वारंट) द्वारा की जाएगी, तो ऐसी परिस्थिति में केंद्र या प्रदेश सरकार में किसी आईएएस  अधिकारी के हस्ताक्षर से नहीं बल्कि राष्ट्रपति अथवा  राज्यपाल द्वारा हस्ताक्षरित वारंट ऑफ़ अपॉइंटमेंट (नियुक्ति के  अधिपत्र) से ही उस पदाधिकारी की  नियुक्ति को पूर्णतया  वैध माना जाएगा. मसलन सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति के वारंट देश के राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से ही जारी होते हैं. 

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