भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक गुरुग्राम। आज गुरुग्राम में एक्यूआई 800 के लगभग हो गया। बच्चे, वृद्ध, बीमार व्यक्तियों के लिए यह अत्यंत घातक सिद्ध हो रहा है। वायु प्रदूषण बढऩे के कारणों में मेरे विचार से अनेक कारक हैं जैसे:— सफाई, फैक्ट्रियों का धुआं, वाहनों का धुआं। आजकल पराली का भी नाम लिया जा रहा है। पटाखों का प्रदूषण सर्वविदित है लेकिन मेरे विचार से मौसम भी इसमें अपनी भूमिका अवश्य निभाता है, क्योंकि हर वर्ष लगभग इन्हीं दिनों में प्रदूषण घातक स्थिति पर पहुंचता है। आज हम नजर डालते हैं गुरुग्राम की सफाई व्यवस्था पर। जगह-जगह गंदगी के ढ़ेर नजर आ जाते हैं। सीवर जाम की समस्या भी बड़ी है। टूटी सडक़ें, सडक़ों पर अतिक्रमण जाम का कारण बनते हैं, जिससे वाहनों का प्रदूषण बहुत बढ़ जाता है। इसी प्रकार फैक्ट्रियां जो प्रदूषण फैलाती हैं, उनकी ओर सरकार के अधिकारियों का ध्यान नहीं जाता या इन्हीं कारणों से ध्यान जाने पर भी आंखें मूंद लेते हैं। आज प्राइमरी स्कूल के बच्चों की अनिश्चितकालीन छुट्टियां घोषित करनी पड़ीं। यह केंद्र की ओर से प्रदूषण विभाग के आदेशों द्वारा करना पड़ा। दुखदायी बात यह है कि यह सब होते हुए भी हमारे जनप्रतिनिधि और प्रशासन इससे आंखें मूंदे हुए हैं। और मजेदारी देखिए, आज ही विधायक मुकेश शर्मा गुरुग्राम के अनेक स्थानों पर सफाई के नए आयाम स्थापित करने का दावा कर रहे हैं, जबकि वहां की स्थिति उनकी बातों से मेल नहीं खाती। इसी प्रकार प्रशासन की ओर से फॉगिंग और पानी छिडक़ने के दावे तो बहुत किए जाते हैं लेकिन शायद वह भी आदेश दे इस कार्य पर सजगता से कार्य करने की बजाय औपचारिकता मात्र समझ लेते हैं।प्रशासन का नियमित कार्य है कि सडक़ें अच्छी रहें, अतिक्रमण ऐसा न हो जो यातायात में बाधा बने। सफाई व्यवस्था उचित रहे लेकिन यह होता दिखाई नहीं दे रहा है। प्रशासन की यह लापरवाही जनता के स्वास्थ के साथ खेल बन रही है। आज पर्यावरण मंत्री राव नरबीर सिंह का ब्यान सोशल मीडिया पर सुन रहा था। उसमें वह कह रहे थे कि प्रदूषण से बहुत हानि होती है। मेरी उम्र भी इस प्रदूषण के कारण 10 वर्ष कम हो गई है और इसी प्रकार सभी नागरिकों पर प्रभाव पड़ता है। उन्होंने इसके कारणों में पॉलिथीन को भी बड़ा कारण बताया। उनका कहना था कि हर घर में 4-5 पॉलिथीन रोज लगभग आ ही जाती हैं और पॉलिथीन जलाने से बहुत अधिक प्रदूषण फैलता है। इसी प्रकार उनका कहना था कि शादियों में कार्ड नहीं बांटने चाहिएं, उसमें बहुत कागज लगता है और कागज पेड़ कटने से बनता है। अत: पर्यावरण का नुकसान होता है। इसी प्रकार काफी बातें उनकी सुनने को मिली। इनमें एक प्रश्न उभरकर सामने आया कि जब पॉलिथीन पर सरकार ने रोक लगा रखी है और उसे मालूम है कि पॉलिथीन अति घातक है तो इसके कारखानों को क्या नहीं बंद करती? इस प्रकार कह सकते हैं कि सरकार और जनप्रतिनिधि इस विषय पर गंभीर नहीं हैं। वह केवल समय आने पर बहाने गढ़ अपनी जिम्मेदारी से भागते नजर आ रहे हैं। Post navigation अनुसूचित जाति आरक्षण वर्गीकरण प्रदेश की 70% गरीबी और बेरोजगारी छिपाने का प्रयास बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर डीसी अजय कुमार ने जिला में 12वीं तक कक्षाएं बंद करने के दिए आदेश