जातिगत जनगणना के बिना अनुसूचित जाति आरक्षण में वर्गीकरण असंवैधानिक एवं अव्यवहारिक

अनुसूचित जाति आरक्षण में वर्गीकरण भारतीय जनता पार्टी की बिभाजानकारी राजनीती का प्रत्यक्ष प्रमाण

मणिपुर में विगत तीन वर्षों से जारी जातीय संघर्ष और हिंसा विभाजनकारी राजनीती का निकृष्टतम उदाहरण

गुरुग्राम। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सुखबीर तंवर ने हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति आरक्षण में किये गये वर्गीकरण को भारतीय संविधान की मूल भावना एवं उच्चतम न्यायलय के उप-वर्गीकरण के निर्णय के विरुद्ध बताया है। नवगठित हरियाणा सरकार द्वारा पहली कैबिनेट बैठक में अनुसूचित जाति आरक्षण के उप-वर्गीकरण का निर्णय समाज में विखंडन पैदा करके राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास है।

जातिगत जनगणना, सटीक सांख्यिकीय आंकड़ों और आयोग या विशेषज्ञ कमेटी के अभाव में लिया गया निर्णय संविधान के सिद्धांतों और उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन है। उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आरक्षण में किसी भी प्रकार के उप-वर्गीकरण के लिए शर्तें निर्धारित की हैं। सर्वप्रथम सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति का सटीक, सुलभ और प्रमाणिक डेटा होना अनिवार्य है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आरक्षण वर्गीकरण का कोई भी निर्णय राजनीतिक लाभ की बजाय समाज के सबसे वंचित वर्गों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से होना चाहिये।

राष्ट्र में अब तक जातिगत जनगणना नहीं हुई है। केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना कराने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है। स्वभाविक प्रश्न है की जातिगत जनगणना के अभाव में हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जाति आरक्षण के भीतर उप-वर्गीकरण का निर्णय किस आधार पर लिया है? बिना जातिगत जनगणना, सटीक सांख्यिकीय आंकड़ों और किसी आयोग या कमेटी का गठन किये हरियाणा सरकार द्वारा आनन फानन में लिया गया निर्णय भारतीय जनता पार्टी की विभाजनकारी रणनीति का प्रत्यक्ष उदाहरण है। स्पष्ट है की यह निर्णय हरियाणा में समाज को जातीय आधार पर बांटकर राजनीतिक लाभ लेने के उद्देश्य से उठाया गया कदम है।

भारतीय जनता पार्टी की विभाजनकारी नीतियों से अनेक प्रदेशों में जातीय तनाव व्याप्त है। मणिपुर में विगत तीन वर्षों से निरंतर जारी जातीय संघर्ष एवं हिंसा भारतीय जनता पार्टी की विफल एवं विभाजनकारी नीतियों का प्रमाण है। राजनीतिक लाभ के दृष्टिगत भारतीय जनता पार्टी द्वारा जानबूझकर अनुसूचित जाति वर्ग की विभिन्न जातियों के बीच टकराव और असंतोष उत्पन्न कर रही है। अनुसूचित जाति आरक्षण में वर्गीकरण का निर्णय सामाजिक समरसता और बंधुत्व की भावना के विरुद्ध है।

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