वानप्रस्थ संस्था में ‘ख़ुद हँसो, औरों को हँसाओं ‘ का अनूठा आयोजन हिसार – आज की भाग दौङ भरी जिंदगी, ऊपर से काम का दबाव, हम में से कई लोगों को तो याद भी न होगा कि पिछली बार कब खिलखिला कर हँसे थे।हम लोग हँसना ही भूलते जा रहे हैं। एकल परिवार होने से और डिजिटल दुनिया में व्यस्त रहने से लोग कई बीमारियों के शिकार हो रहे हैं । करोना त्रासदी के बाद मिलना जुलना भी कम हो गया। इस एकांकी जीवन में सीनियर सिटीज़न उब जाते हैं और घर उदास पड़े रहते हैं। किसी को रुलाना आसान है , पर हँसाना अति कठिन ।हँसाना एक कला है। आज वानप्रस्थ संस्था ने प्रयास किया कि वरिष्ठ नागरिक खुल कर हँसे और साथियों को हँसाएँ । वानप्रस्थ सीनियर सिटीज़न क्लब में सदस्यों द्वारा एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसका विषय था “हँसों-हँसाओ”, जो विशुद्ध रूप से एक हास्य व्यंग का ही कार्यक्रम था । क्लब के सचिव डॉ जे के डांग ने सदस्यों का स्वागत करते हुए कहा आजकल लोग हँसना भूल गए हैं और तनाव में रहते है जिससे निपटने के लिए हँसना एक बहुत ही प्रभावी उपाय है । उन्होंने हंसी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हँसने से हद्रय में रक्त का संचार अच्छी तरह से होता है। हँसने से हार्ट-अटैक की संभावना कम हो जाती है।हँसने से हमें आक्सीजन अधिक मात्रा में मिलती है और शरीर का प्रतिरक्षातंत्र भी मजबूत हो जाता है। हास्य योग से हमारे शरीर में कई प्रकार के हरमोनाज़ का स्राव होता है, जिससे मधुमेह, पीठ-दर्द एवं तनाव ठीक हो जाता है । हँसने से हमारी सकारत्मक ऊर्जा भी बढती है । उन्होंने कहा कि आज कल कई हास्य क्लब खोले जा रहे हैं जहाँ लोग खुल कर हँस सकें । मंच संचालन करते हुए श्री बलवंत जांगड़ा ने कुछ स्वरचित पंक्तियाँ “ असाँ नहीं है यूँ ही किसी का जोकर बन जाना..यूँ ही कोई नहीं बन जाता जोकर”* पेश की। योगा शिक्षक एवं टीवी/फ़िल्म कलाकार श्रीमती सरोज ग्रेवाल ने एक कविता“ हँसना भूल गए क्यों भाई ,हँस हँस कर जिया करें ।हा-हा , हा – हा करके हम सब ,तन- मन को प्रफुल्लित करें …” प्रस्तुत की और हास्य योगा द्वारा सब को खूब हंसाया । वहीं श्रीमती वीना अग्रवाल ने अपने अन्दाज़ में प्राणनाथ, साजन एवं स्वामीनाथन से भी परिचय करवाया । उन्होंने नई दुल्हन की अपने दूल्हे से अपनी माँग हास्य कविता द्वारा कुछ इस प्रकार रखी…“ बन्ने से बन्नी जगमाला पे झगड़ी ,क्यूँ नहीं ला के दीमुझे सोने की तगड़ी.बन्ने का जवाब ज़रा सुनिए-ज़रा धीरे- धीरे बोलबराती सुन लेंगे, मेरे साथी सुन लेंगे , फेरों पे दे दूँगा तुझे सोने की तगड़ी….” यह मज़ेदार तकरार दोनों में कई साल चलती रही । आख़िर में जब बन्नी पीहर जाने की धमकी देती है तो बन्ना बन्नी को तगड़ी ला ही देता है । वीना जी के इस हास्य भरपूर संवाद पर सदस्य ठहाके ही लगाते रहे । मंच संचालन के बीच – बीच में श्री बलवंत जांगड़ा भी अपनी चिरपरिचित हंसोड़ प्रवृति का परिचय देते रहे और हंसी से भरपूर शेरो-शायरी करते रहे – जैसे: कितना शरीफ़ है वो शख्श जो बीवी पे फ़िदा है,..और इसपे कमाल ये कि अपनी पे फ़िदा है व चुटकुले सुना कर सभी सदस्यों को हँसने पर मज़बूर करते रहे । क्लब की जानी मानी कवियत्री श्रीमती राज गर्ग ने अपनी स्वरचित हास्य कविता “ हँस लो, चाहे किसी भी बात पर हँस लो , चाहे ऐसे हँस लो चाहे वैसे हँस लो, बस हँस लो …,सुना कर खूब तालियां बटोरी । डा: सुदेश गांधी ने अपने कॉलेज के दिनों को याद करते हुए हरियाणवी हंसी के ठहाके और किलकियाँ लगाई और सदस्य हँसी में लोट – पोट हो गए । रागनियो के माहिर डा: आर. पी. एस . खरब ने हरियाणवी शैली में चुटुकले पेश कर सदस्यों को खूब हंसाया और प्रस्तुत की मशहूर रागनी “ सत्यवान कै घरां चाल दुःख भरया करैगी साँवतरी हे रै कहया मान …,” का भी सदस्यों ने खूब आनंद लिया। कार्यक्रम में विविधता लाते हुए श्रीमती पुष्पा शर्मा ने ग्रामीण आँचल के बच्चों एवं महिलाओं की बहुत ही रोचक व प्रभावी नक़ल (मिमिक्री) करके उनके कृत्रिम रुदन की पोल खोली, जिस पर सभी सदस्यों की तालियों व ठहाकों से हाल कई देर तक गूँजता रहा । हँसो और हँसाओ के अंतिम पड़ाव पर श्रीमती शशि आर्य ने सपने में आए यमदूत की एक काल्पनिक व स्वरचित कविता सुना कर श्रोताओं का मन मोह लिया। सदस्यों के अनुरोध पर दूरदर्शन के भूतपूर्व निदेशक श्री अजीत सिंह ने एक पंजाबी कविता … “ अम्बी दे बूटे थले , इक बूटा अम्बी दाघर साडे लगा नी,जिस थले बहिणा नींसुरगा विच रहिणा नी…” पेश कर खूब वाह वाह लूटी । इस अवसर पर क्लब के तीन वरिष्ठ सदस्यों क्रमश: श्री अजीत सिंह , श्रीमती वीना अग्रवाल एवं श्रीमती सरोज ग्रेवाल ने अपना जन्मदिन धूमधाम से मनाया । क्लब की ओर से इन सबको एक एक पौधा भेंट किया गया। तीनों ने अपने जीवन के अनुभव एवं यादें सब के साथ साँझा की । क्लब के महासचिव डा: डाँग ने बताया कि आज का हँसो – हँसाओ कार्यक्रम बहुत पसंद किया गया । सदस्यों ने कहा कि ऐसे मनोरंजन के कार्यक्रम होते रहना चाहिएँ ताकि वरिष्ठ नागरिक अपने इस आयु में ऊबें नहीं और मिलजुल कर हंसते रहें और साथियों को हंसाते रहें । डा: डाँग ने विश्वास दिलाया कि समय – समय पर ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा । उन्होंने सभी सदस्यों एवं प्रतिभागियों का इस प्रोग्राम को सफल बनाने के लिए धन्यवाद किया । सब ने मिलकर जलपान का मज़ा लिया। हँसो- हँसाओ प्रोग्राम में 55- से अधिक सदस्यों ने भाग लिया । Post navigation किसानों को खाद तो मिलनी ही चाहिए और सरकार दे भी रही : सावित्री जिंदल कुंभ मेले में अनुराधा पौडवाल व सद्गुरु मां उषा पर्यावरण बचाने की जगाएंगी अलख