-कमलेश भारतीय

अपने भारत का सबसे बड़ा उत्सव है दीपावली ! ज़ोरशोर से मनाते हैं इसे छोटे से लेकर बड़े ! गरीब से लेकर अमीर ! पूरे पांच दिन उत्सवमय हो जाते हैं। वैसे तो नवरात्रों के साथ ही उत्सव जैसे दिन और माहौल बनने लग जाता है । हम पहले दशहरा मनाकर रावण, मेघनाद और कुम्भकर्ण को जलाते हैं लेकिन ये हर साल फिर सिर उठाकर खड़े मिलते हैं । बचपन से देखता आ रहा हूं ये तीनों कभी नहीं जले, कभी राख नहीं हुए पूरी तरह ! ये हमेशा रहते हैं और सब जगह रहते हैं । निर्भया से लेकर कोलकाता की महिला डाॅक्टर तक का जो शिकार करते हैं, वे कौन होते हैं? क्या दशहरा मनाते रहेंगे या इनका भी नाश करेंगे ?

दशहरे के बाद फिर दीपावली दिन प्रतिदिन निकट आती जाती है । कभी धनतेरस आ गयी, कभी चतुर्दशी आ गयी और आखिरकार दीपावली भी आ गयी, जब दीप जलाकर हम राम, सीता और लक्ष्मण का स्वागत् करते हैं ! यह खुशी अयोध्या से चलकर देश विदेश तक मनाई जाती है ! राम आयेंगे, राम आयेंगे पर जो कल्पना हमने रामराज्य की बना रखी है, वह कब आयेगा ? कहां है रामराज्य ?

महिला कोच से किस बात की मांग होती है एक उच्चस्तर पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा और क्या जवाब मिलता है कि थाने दर थाने जाओ ! बेटी नहीं बचाते, पद पर बैठे व्यक्ति को बचाने में जुट जाते हैं । रामराज कैसा होगा, कल्पना कीजिये न ! अभी आज बड़े स्तर पर हरियाणा में पुलिस अधिकारियों के तबादले हुए हैं और वे पुलिस अधिकारी भी शामिल है, जिस पर महिला पुलिस कर्मियों ने यौन शोषण के आरोप लगाये और उन पर कोई कार्रवाई न कर मात्र तबादला कर दिया गया । यही रामराज है क्या ? क्या जहां तबादला किया, वहां महिला कर्मचारी नहीं ? फिर अधिकारी को बचा लिया, महिला की सुनवाई नहीं हुई !

कितने उदाहरण दिये जा सकते हैं लेकिन दीपावली के रंग में भंग नहीं डालना चाहत ! आप दीपावली मनाइये और अपने अंदर के रावण को जला दीजिये ! मैं निराश नहीं और हरिवंश राय बच्चन के शब्दों में :
है अंधेरी रात
पर दीया जलाना कब मना है !

-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।9416047075

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