पराली की गांठे बनाकर प्रोत्साहन राशि का उठाए लाभ।

खेतों में अवशेषों को जलाएं नहीं बल्कि उसका कृषि यंत्रों से करवाए निस्तारण: प्रगतिशील किसान राजीव गोयल।

प्रगतिशील किसान ने किया बेहतर कार्य प्रशंसा के पात्र : उपनिदेशक डा. कर्मचंद।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र 22 अक्टूबर : खेतों में पड़े अवशेष (पराली) ना जलाकार बल्कि खेतों में उसका कृषि यंत्रों के माध्यम से निस्तारण करके भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ाई जा सकती है व फसल की पैदावार भी अच्छी हो सकती है। यह कार्य गांव सिरसमा के किसान राजीव गोयल ने करके दिखाया है, अन्य दूसरे किसानों को उनसे प्रेरणा लेते हुए खेतों में पड़े अवशेष जलाने की बजाए उसका कृषि यंत्रों के माध्यम से उसका निस्तारण करना चाहिए।

गांव सिरसमा के रहने वाले एवं प्रगतिशील किसान राजीव गोयल से जब बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि उन्होंने सभी किसान भाईयों से आह्वान किया कि वह पराली को जलाए नहीं बल्कि खेतों में कृषि यंत्रों के माध्यम से उसका निस्तारण करे। ऐसा करके हम जहां अपनी भूमि की उपजाऊ शक्ति को बढ़ा सकते है वही फसल की पैदावार को बढ़ा सकते है। उन्होंने बताया कि उनकी गांव सिरसमा मे 14 एकड़ भूमि है। जिसमें एक साथ साढ़े बारह एकड़ भूमि है तथा उसके पास ही डेढ़ एकड़ भूमि है। पिछले वर्ष उसने कृषि विभाग द्वारा सबसिडी के माध्यम से उपलब्ध करवाए गए सुपर सीडर के माध्यम से साढ़े बारह एकड़ भूमि पर खेतों में ही पराली का निस्तारण करवाया और उसके पश्चात खेतों में पानी दिया इसका फायदा यह हुआ कि पराली यानि खेतों में जो अवशेष थे वो गल गए और खाद के रूप में भूमि में मिल गए। उन्होंने बताया कि ऐसा करके उसे काफी फायदा हुआ उसकी इस भूमि से साढ़े छह ट्राली जीरी की निकली।

प्रगतिशील किसान ने यह भी बताया कि जहां उसके खेत की भूमि नरम हो गई खेत बढिय़ा हो गए और अब खेत पानी भी पीने लगे है यानि बरसात को जो पानी होता है उसे खेत आसानी से पी लेते है और अब बोर के पानी की जरूरत भी पड़ती। उन्होंने बताया कि खेतों में कृषि यंत्रों के माध्यम से पराली का निस्तारण करने से वह अवशेष खाद के रूप में प्रयोग होते है। उन्होंने कृिष विभाग द्वारा जो यंत्र उपलब्ध करवाए जा रहे है इसके लिए कृषि विभाग के साथ-साथ जिला प्रशासन का आभार व्यक्त किया है। सरकार द्वारा पराली की गांठे बाधाने पर 1 हजार रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है जिसका उसने लाभ भी उठाया है। पिछले वर्ष भी उसे इस योजना के तहत 14 हजार रूपए की राशि प्रोत्साहन के रूप में मिली थी और इस बार भी उसने खेतो में ही पराली का कृषि यंत्रों के माध्यम से निस्तारण करवाया है और इस बार भी उसे प्रोत्साहन राशि मिलेगी जिसके लिए उसने पोटर्ल के माध्यम से आवदेन किया हुआ है।

प्रगतिशील किसान ने सभी किसान भाईयों से अपील कि आधुनिक युग में वह इस तकनीक का प्रयोग करे और वातारण को स्वच्छ एवं सुंदर बनाए रखने में अपना अहम योगदान दे। वातावरण जितना स्वच्छ एवं सुंदर होगा उतना ही हम सबके लिए बेहतर होगा। उन्होंने यह भी कहा कि गेहूं एवं जीरी की फसल की बिजाई करने वाले किसान खेतों में पड़े अवशेषों को बिल्कुल भी नहीं जलाएं। उन्होंने कहा कि ऐसा करके जहां भूमि की उपजाऊ शक्ति कमजोर होती है वहीं भूमि में जो मित्र कीट होते है वह भी नष्ट्र जो जाते है।

प्रगतिशील किसान राजीव गोयल ने यह भी बताया कि आधुनिक तकनीक का प्रयोग करके जहां भूमि की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाया जा सकता है वही फसल का उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है जिसका वह साक्षात प्रमाण है। सुपर सीडर के माध्यम से पराली का निस्तारण करने से फसल की पैदावार करने में यूरिया की खपत कम होती है वही जब फसल पैदा होती है उस रंग भी बेहतर होता है। सभी किसान इस तकनीक को अपनाकर अपनी फसलों की पैदवार को बढ़ाए और कृषि विभाग द्वारा जो प्रोत्साहन राशि दी जा रही है उसका लाभ उठाए।

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