आज पराली जलाने के बहाने किसानों को एमएसपी से वंचित किया जा रहा है, कल और किसी बहाने से एमएसपी को ही रोक दिया जायेगा : विद्रोही

क्या सरकार ने आज तक प्रदूषण फैलाने वाले किसी उद्योग के मालिक को गिरफ्तार किया है? ऐसे उद्योगों को मिलने वाली किसी भी प्रकार कीे सरकारीे सुविधा रोकी है? विद्रोही

21 अक्टूबर 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने पराली जलाने के नाम पर किसानों की फसले दो सीजन तक एमएसपी पर न खरीदने के हरियाणा भाजपा सरकार केे फरमान को किसान विरोधी मानसिकता की पराकाष्ठा बताया। विद्रोही ने कहा कि पराली न जले और पर्यावरण प्रदूषित न हो, इस पर किसीे को आपत्ति नही लेकिन जिन किसानों के पराली जलाने पर एफआईआर होगी, उन्हे रेड जोन में डालकर दो सीजन तक उनकी फसलों को एमएसपी पर नही खरीदने का फरमान किसी भी हालत में स्वीकार्य नही किया जा सकता। यह किसानों को फसल एमएसपी से वंचित करने का षडयंत्र है। आज पराली जलाने के बहाने किसानों को एमएसपी से वंचित किया जा रहा है, कल और किसी बहाने से एमएसपी को ही रोक दिया जायेगा। सवाल उठता है कि जब भाजपा सरकार किसानों के खेत से पराली उठाने, गलाने कीे समुचित व्यवस्था नही करेगी और किसान पराली जलायेगा नही तो क्या करेगा?  

विद्रोही ने कहा कि पराली जलाने के पीक समय पर भी पराली जलाने से केवल 10 से 15 प्रतिशत प्रदूषण होता है। फिर प्रदूषण का सारा ठीकरा किसानों पर फोडकर केवल उन्हे ही दंडित क्यों किया जा रहा है? वहीं 85 से 90 प्रतिशत प्रदूषण फैलाने वाले अन्य कारणों पर ध्यान न देकर उनके खिलाफ कठोर कदम क्यों नही उठाये जाते? किसानों को ही साफ्ट टारगेट बनाकर एमएसपी से वंचित करना कहां तक उचित है? क्या सरकार ने आज तक प्रदूषण फैलाने वाले किसी उद्योग के मालिक को गिरफ्तार किया है? ऐसे उद्योगों को मिलने वाली किसी भी प्रकार कीे सरकारीे सुविधा रोकी है? यदि नही तो पराली जलाने के नाम पर किसानों को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है? विद्रोही ने पूछा कि क्या एमएसपी पर अपनी फसल बेचना किसान का संवैद्यानिक अधिकार नही है? भाजपा सरकार का यह रवैया क्या किसान आंदोलन के कारण किसानों से बदले की कार्रवाई तो नही है। जब भाजपा सरकार किसीे मुद्दे पर सरकार के खिलाफ आंदोलन करने वाले नागरिकों में इस तरह सत्ता दुरूपयोग से बदला लेगी तो फिर भारत में लोकतंत्र व संविधान का राज कहां है? विद्रोही ने कहा कि समानता के अधिकार की तरह प्रदूषण फैलाने वाले अन्य लोगों पर भी किसानों की तर्ज पर सरकार कार्रवाई क्यों नही करती? उद्योगपतियों, धन्नसेठों व किसानों के बीच यह फर्क क्या भेदभाव नही है। क्या सरकार इस यक्ष प्रश्न का जवाब देगी? 

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