हरियाणा सहित कुरुक्षेत्र के कलाकारों ने कनाड़ा में दिखाई अपनी प्रतिभा ….. वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक कुरुक्षेत्र, 19 अक्तूबर : आजकल त्यौहारों का भारत में सीजन चल रहा है तो विदेश में रह रहे भारतीयों में भी उत्साह कम नहीं है। इस वर्ष कनाड़ा के टोरेंटो में टीम ढिशुम द्वारा भव्य रामलीला महोत्सव का आयोजन कर सराहनीय प्रतिभा का कलाकारों ने प्रदर्शन किया। इस रामलीला ने न केवल भारतीय मूल के प्रवासी भारतीयों का अपितु अन्य देशों की विभिन्न संस्कृतियों के लोगों का मन मोह लिया। रामलीला में भगवान श्री राम की जीवन गाथा को अद्वितीय नृत्य नाटिका के रूप में प्रस्तुत किया गया। कुरुक्षेत्र पहुंचे कलाकारों ने बताया कि कनाड़ा की सबसे पुरानी और सबसे अधिक देखी जाने वाली इस रामलीला की डायरेक्टर सौम्या मिश्रा अलौकिक कथा को पारंपरिक और नई नाट्य शैली के समिश्रण के साथ प्रस्तुत करती हैं। रामलीला का हर दृश्य ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे दर्शक किसी महाकाव्य फिल्म का आनंद ले रहे हों। भव्य सेट, आकर्षक लाइट, साउन्ड सिस्टम और बेहतरीन स्पेशल इफेक्ट्स अनोखा अनुभव होता है। विदेश की धरती पर रामलीला में आधुनिक तकनीक और विशेष प्रभावों का व्यापक उपयोग किया गया था। जिसने राम-रावण युद्ध, मेघनाथ का मायाजाल और हनुमान जी की लंका यात्रा जैसे दृश्यों को जीवंत और भव्य बना दिया। राम वनवास प्रस्थान,भरत – मिलाप, सीता हरण और लक्ष्मण मूर्छा के दृश्य ने लोगों को भावुक कर दिया। श्री राम भक्त हनुमान और उनकी सेना की चपल क्रीड़ा सबके चेहरे पर एक मुस्कान ले आई। उल्लेखनीय है कि रामलीला भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा रही है, जो प्रेम, साहस और भक्ति की एक शाश्वत गाथा है। कलाकारों के अनुसार करीब 6 साल पहले लखनऊ की सौम्या मिश्रा ने इस महान संस्कृति को कनाड़ा की भूमि पर जीवंत करने का निर्णय लिया। रेडियो ढिशुम की संस्थापक और रामलीला के निर्देशक सौम्या मिश्रा का मानना है कि प्रभु श्री राम के चरित्र को हर वर्ष जीवंत करके समाज को पुनः धर्म के मार्ग से जोड़ने का यह विशिष्ट सौभाग्य कम लोगों को मिलता है। वो स्वयं को इस अवसर के लिए भाग्यशाली मानती हैं। टीम ढिशुम में इंडो- कैनेडियन अभिनेता, फोटोग्राफर और स्वयंसेवक शामिल हैं, जिन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अनगिनत घंटे समर्पित किए हैं। टीम ढिशुम के बच्चों ने तैयारी की इस पूरी यात्रा के दौरान अद्भुत समर्पण और जिज्ञासा दिखाई। इस स्टेज शो का हिस्सा बनने वाले 35 से अधिक बच्चे और 60 वयस्क हैं। जिसमे 74 वर्षीय यशपाल शर्मा और 3 वर्ष की वल्लरी शामिल है। इस वर्ष भगवान राम की भूमिका विक्रम सिंह, लक्ष्मण इवान, हनुमान यश पटेल, रावण कौशिक स्वामीनाथन, कुंभकर्ण सचिन रामपाल ने निभाई। इसके अलावा देव पारिख विभीषण, मेघनाथ हुल्लास दत्त, जनक गौरव शर्मा, शूर्पणखा कुंजिता कपूर, दशरथ संदीप लूंबा और कैकेयी सुरम्या मिश्रा ने निभाई है। युवा कलाकारों में श्रेयस, शौर्य, लक्षा, कृशा, गौरीशा, आविग्ना , निर्विघ्ना, भक्ति, क्रीना नजर आए। इशी, वीर, ईशान, कृशव, वेदांग, अभिमन्यु, वेदांशी जैसे बाल कलाकारों ने पूरे उत्साह के साथ हिस्सा लिया। आचार्य इंदु प्रकाश, आत्मप्रकाश मिश्रा, सरोज ठाकुर, विवेक जादों, श्वेता गुलाटी और दीपक गांधी आदि ने साथ दिया। कानपुर की प्रिया आर्या, दिल्ली की पायल चहल और जयपुर की पूनम कासलीवाल जो टीम ढिशुम का पिछले कई वर्षों से एक प्रमुख हिस्सा हैं, इसे एक महान और सकारात्मक कार्य मानती हैं। कानपुर के क्षितिज आर्या, हरियाणा के महेश चंद और गुजरात की सेजल पांचाल निःस्वार्थ भाव से प्रभु श्रीराम की इस कथा को आगे बढ़ाने में प्रॉप और स्टेज में अपना सम्पूर्ण योगदान देते रहे हैं। ये सभी मानते हैं कि विदेशी धरती पर यही उनकी राम सेवा है। पिछले 6 वर्षों में रामलीला ने कनाड़ा में 5 लाख से अधिक लोगों तक अपनी पहुंच बनाई है और इसे सभी वर्गों द्वारा बेहद पसंद किया जा रहा है। Post navigation हरियाणा सरकार सभी बुजुर्ग पत्रकारों को पेंशन का लाभ प्रदान करे : वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक कुवि की हरियाणवी संस्कृति के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिकाः प्रो. सोमनाथ सचदेवा