पॉलीटिकल पार्टी और नेताओं को क्या महिलाओं की योग्यता पर नहीं भरोसा

1947 से 2024 तक विभिन्न राज्यों में 17 महिला मुख्यमंत्री बन चुकी

हरियाणा के चारों तरफ के राज्यों में भी महिलाएं सीएम की कुर्सी पर बैठी

फतह सिंह उजाला 

गुरुग्राम । युद्ध के मैदान से लेकर आसमान तक हरियाणा प्रदेश की महिलाएं अपनी योग्यता बौद्धिक क्षमता जीवट कुशलता सहित तमाम क्षमताओं को साबित कर चुकी हैं। महिलाओं की यह सब क्षमता, योग्यता और उनकी ताकत इतिहास में भी समाहित है । कहा भी गया है इतिहास अपने आप को अवश्य दोहराता है। हरियाणा प्रदेश में अब विधानसभा चुनाव संपन्न होने के साथ ही इस मुद्दे पर चर्चा क्यों ना हो। क्या यहां भी इतिहास अपने आप को दोहरा सकेगा!

सरल बात, सीधा और कड़वा सवाल यही है कि हरियाणा प्रदेश में महिला मुख्यमंत्री अब नहीं तो फिर कब ? यह भविष्य के गर्भ में है और सवाल कभी मरा नहीं करते , यह भी सत्य कहा गया है। जवाब के लिए सवाल बार-बार बार-बार, निरंतर किसी ने किसी रूप में जन्म लेकर सामने आते ही रहते हैं । राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को लेकर जिला गुरुग्राम से पहली महिला विधायक क्या देश और दुनिया के सामने मंत्री के रूप में गुरुग्राम का नाम रोशन कर सकेगी? यह सवाल और जिज्ञासा भी लोगों के मन में बनी अपना जवाब तलाश रही है। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात अब यह सामने आ गई है कि हरियाणा प्रदेश जहां पर महाभारत युद्ध से लेकर चांद के सफर तक महिलाओं की योग्यता पर सवाल नहीं उठाया जा सकते । तो यह सवाल भी स्वाभाविक रूप से सामने आ गया, हरियाणा प्रदेश में पहली महिला मुख्यमंत्री अब नहीं तो फिर कब ?

1947 से लेकर 2024 तक भारत देश के विभिन्न राज्यों में 17 महिलाएं मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करते हुए अपनी कार्य कुशलता का परिचय देकर जनहित के कार्य कर चुकी है । 2024 के विधानसभा चुनाव की हरियाणा के लिए बात की जाए तो यहां से पांच महिला विधायक भारतीय जनता पार्टी की चुनी गई है । 7 महिला विधायक कांग्रेस पार्टी से चंडीगढ़ विधानसभा पहुंची है और एक महिला आजाद विधायक के रूप में जनता का समर्थन लेकर जन सेवा के संकल्प को पूरा करने के लिए मैदान में है। इस बात में कोई संकोच या फिर किसी प्रकार का संशय नहीं है कि हरियाणा बनने के बाद से अभी तक हुए विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी की सरकार बनी हो। उस सरकार में महिलाओं की भागीदारी अवश्य रही है । राजनीति के जानकार और राजनीति में ही महिलाओं की सक्रियता सहित महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण विधानसभा और लोकसभा में देने के पक्षधर राजनेताओं सहित राजनीतिक पार्टियों का ध्यान भी बेहद गंभीरता के साथ उपरोक्त विषय पर आकर्षित किया गया है।

हरियाणा के साथ लगते हुए उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो वहां पर मायावती 7 वर्ष 5 महीने तक बतौर मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा करने वालों में शामिल है । पड़ोसी राज्य पंजाब की बात की जाए तो वहां भी 83 दिन तक राजेंद्र कौर भट्ठल मुख्यमंत्री रह चुकी है। बिहार प्रदेश की बात की जाए तो 7 वर्ष 190 दिन तक वहीं के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद यादव की धर्मपत्नी रावड़ी देवी अपनी कार्य कुशलता का परिचय दे चुकी है । देश की राजधानी दिल्ली जहां दक्षिणी दिल्ली के साथ हरियाणा का ही जिला गुरुग्राम आरंभ हो जाता है। उसी दिल्ली प्रदेश में भी तीन-तीन महिला मुख्यमंत्री का नाम राजनीतिक इतिहास में लिखा हुआ है। दिल्ली में ही स्वर्गीय सुषमा स्वराज 52 दिन तक वहां के मुख्यमंत्री का दायित्व निभाने वालों में शामिल है। इसके बाद स्वर्गीय शीला दीक्षित 15 वर्ष 25 दिन तक लगातार तीन योजना देश की राजधानी दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में याद की जाती रहेगी। अब आ जाते हैं 2024 में आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के इस्तीफा देने के बाद पार्टी के विधायक दल ने आतिशी को अपना नेता मानकर दिल्ली के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी का बोझ उनको सौंप दिया। हरियाणा के चारों तरफ इन प्रदेशों को देखा जाए तो यह सवाल अपने आप में बेहद गंभीर और चिंतन सहित मंथन का विषय बन गया है ? हरियाणा प्रदेश में क्या किसी भी राजनीतिक दल को  महिला विधायक में क्षमता दिखाई ही नहीं दी या फिर भरोसा नहीं किया गया ? 2024 के विधानसभा चुनाव के बाद हरियाणा प्रदेश में भाजपा की हैट्रिक के बाद इस बात की चर्चाएं अवश्य ठंडा मौसम में गर्म हो रही है कि डिप्टी सीएम किसी महिला विधायक को बनाया जा सकता है । लेकिन इस पर अभी तक कोई दावा भी दिखाई नहीं दे रहा।

लोकतंत्र में नेताओं को चुनकर सरकार बनाने की भागीदारी में महिला वर्ग का 50 प्रतिशत हिस्सा शामिल होने से इनकार नहीं किया जा सकता। इसी कड़ी में हरियाणा प्रदेश में ही पंचायती राज व्यवस्था के तहत महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण की सुविधा उपलब्ध है। नगर निगम, जिला परिषद , नगर परिषद, पंचायत, नगर पालिका, जैसे स्थानीय स्वशासन के चुनाव में अध्यक्ष या अध्यक्ष पद भी महिलाओं के लिए ड्रा के माध्यम से आरक्षित किए जाते हैं । इसी फार्मूले को राजनीतिक पार्टियों, उनके तमाम रणनीतिकार जिन्हें राजनीति के चाणक्य भी कहा जाता है ।  अनुभवी नेता महिला मुख्यमंत्री बनने के लिए इस प्रकार की व्यवस्था को लागू करने की घोषणा का साहसिक फैसला कब करेंगे ? भारत देश में अभी तक जो महिला मुख्यमंत्री बनी है, उनमें सुचेता कृपलानी, नंदिनी सत्पथि, शशि कला काकोडकर, अनवर तैमूर, वीएन जानकी रामचंद्रन, जे जयललिता, मायावती, राजेंद्र कौर भट्ठल, राबड़ी देवी, सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित, उमा भारती, वसुंधरा राजे सिंधिया, ममता बनर्जी, आनंदीबेन पटेल, महबूबा मुफ्ती और आतिशी के नाम शामिल हैं। अब जिज्ञासा इसी बात को लेकर है कि हरियाणा प्रदेश से पहली महिला मुख्यमंत्री का नाम कब और कौन सी पार्टी के द्वारा राजनीति के इतिहास में अंकित किया जा सकेगा ?

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