हरियाणा की हर एक ईंट के नीचे छिपी है विरासत : राजबीर देशवाल

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र : विरासत हेरिटेज विलेज उत्तर भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आने वाले दिनों में विरासत कुरुक्षेत्र ही नहीं अपितु पूरे उत्तर भारत के लिए एक ऐसा सांस्कृतिक केन्द्र बनेगा जहां पर लोक पारंपरिक विरासत के दर्शन होंगे। यह उद्गार पद्मश्री एवं आईसीएचआर के अध्यक्ष प्रो. रघुवेन्द्र तंवर ने हरियाणा कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित विरासत सांझी उत्सव के अवसर पर बतौर मुख्यातिथि लोक कला प्रेमियों को संबोधित करते हुए अभिव्यक्त किए। उन्होंने कहा कि विरासत को उसके पारंपरिक स्वरूप में संजोने की आवश्यकता है ताकि युवा पीढ़ी उससे रूबरू हो सके। सांझी उत्सव समापन समारोह के अवसर पर पद्मश्री महाबीर गुड्डू ने कहा कि हरियाणा का इतिहास लोक सांस्कृतिक परंपराओं का इतिहास है। विरासत के माध्यम से हरियाणा एवं उत्तर भारत की जो सांस्कृतिक विरासत यहां पर दर्शाई गई है आने वाले दिनों में उसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।

इस अवसर पर हरियाणा के पूर्व एडीजीपी एवं प्रख्यात साहित्यकार राजबीर देशवाल ने कहा कि हरियाणा की सांस्कृतिक विरासत गांव में रची-बसी हुई है। यहां का इतिहास अत्यंत समृद्ध है। आवश्यकता है इसको विरासत जैसे संस्थान के माध्यम से नये स्वरूप में प्रस्तुत करने की। मुझे विश्वास है कि सांझी उत्सव के माध्यम से यहां पर लोक संस्कृति का जो स्वरूप देखने को मिला है वह काबिले तारीफ है। सांझी उत्सव के अवसर पर प्रो. रिचा तंवर ने कहा कि कुरुक्षेत्र आने वाले दिनों में पर्यटन हब के रूप में प्रसिद्ध होगा। इस कड़ी में विरासत हेरिटेज विलेज का पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए महत्वपूर्ण योगदान होगा। विरासत सांझी उत्सव में आयुष विभाग की निदेशक डॉ. संगीता नेहरा ने कहा कि विरासत में मुझे अनेकों बार आने का अवसर प्राप्त हुआ है। जिस स्वरूप से लुप्त होती लोककला सांझी को विरासत ने संजोया है इतिहास इसका साक्षी है। भविष्य में विरासत लोक सांस्कृतिक संरक्षण के माध्यम से और अधिक उन्नति करेगा।

इस मौके पर नगर परिषद के उपाध्यक्ष धर्मपाल चौधरी ने कहा कि हरियाणा कि वर्तमान पीढ़ी विदेशों में जा रही है। आवश्यकता है उनको लोक सांस्कृतिक विरासत से जोडक़र अपनी परम्पराओं से जोडऩे की। इससे पूर्व सभी मेहमानों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम के संयोजक प्रो. महासिंह पूनिया ने कहा कि युवा पीढ़ी के साथ लोक सांस्कृतिक परंपराओं को जोडक़र विरासत आने वाले दिनों में उत्तर भारत का सांस्कृतिक केन्द्र, कला ग्राम, फिल्म सिटी स्वरूप में स्थापित किया जायेगा। इस अवसर पर हरियाणा कला परिषद की ओर से भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। कला परिषद के निदेशक नगेन्द्र शर्मा को विरासत की ओर सम्मानित किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हरविन्द्र राणा, प्रकाश मलिक एवं कमलेश मोर के सांस्कृतिक दलों द्वारा सांझी के गीत एवं हरियाणवी नृत्य प्रस्तुत किए गए। महाबीर गुड्डू द्वारा गाई गई रागनी विशेष आकर्षण का केन्द्र रही। सांझी उत्सव के अवसर पर लगी सांस्कृतिक प्रदर्शनी विशेष आकर्षण का केन्द्र रही।

इस मौके पर सभी मेहमानों को विरासत की ओर से पीढ़ा स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ. आबिद अली ने किया। उत्सव के समापन अवसर पर श्रीमती कल्पना पूनिया ने लुप्त होती लोककला सांझी को बचाने के लिए एसोसिएशन ऑफ हरियाणवीज इन ऑस्ट्रेलिया सहित सभी संस्थाओं एवं विभागों के लिए धन्यवाद ज्ञापन श्रीमती कल्पना पूनिया ने किया। इस अवसर पर प्रो. अनिल गुप्ता, प्रो. ज्ञान चहल, प्रो. नवनीत बहल, प्रो. विवेक चावला, डॉ. सुशील टाया, डॉ. नीरज मित्तल, कुलदीप चोपड़ा, डॉ. रामनिवास, डॉ. जगमेन्द्र मलिक, डॉ. संतोष सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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