‘आखिरी दो दिन और दो किरदार.’, जिनकी वजह से कांग्रेस को हरियाणा में मिली हार

हरियाणा कांग्रेस में रार, एक-दूसरे पर खूब चला रहे जुबानी तीर; हार के क्या-क्या गिनाए कारण

हार के बाद कांग्रेस की तिलमिलाहट, ईवीएम की जांच के लिए पार्टी बनाएगी तकनीकी टीम

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा में विधानसभा चुनाव के नतीजों ने कांग्रेस पार्टी और उसके समर्थकों को चौंकाकर रख दिया। पार्टी को उम्मीद थी कि प्रदेश में उसे बहुमत हासिल होगी। एग्जिट पोल्स में भी यही संभावना जताई गई थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हरियाणा में हार कांग्रेस को लगातार साल रही है। पार्टी हार से सदमे में है। आरोप-प्रत्यारोप का भी दौर चल रहा है। पार्टी आलाकमान हार के कारणों को जानने के लिए समीक्षा बैठक कर रही है। दरअसल, कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को हरियाणा में अपने उम्मीदवारों द्वारा उठाई गई ईवीएम से संबंधित शिकायतों के लिए एक तकनीकी टीम गठित करने का फैसला लिया। जिसके बाद हरियाणा की राजनीति में हलचल तेज हो गई है।

राजनीतिक जानकारों ने इसके पीछे का कारण पार्टी के भीतर के आपसी कलह को बताया। पार्टी के भीतर हुड्डा, सुरजेवाला और कुमारी शैलजा के आपसी तालमेल की कमी की खबरें भी चुनाव के दौरान सुर्ख़ियों में रही। हालांकि कांग्रेस के साथ ऐसा पहली बार नहीं हुआ, इससे पहले भी मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी के साथ ऐसा ही कुछ हुआ था। कांग्रेस की हार का मुख्य कारण उसके क्षत्रप रहे हैं।

टिकट बंटवारे में गड़बड़ी और अति आत्मविश्वास का शिकार

हरियाणा चुनाव पर नजदीक से नजर बनाए हुए कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी को इस बार कांग्रेस को टिकट बंटवारे में गड़बड़ी और अति आत्मविश्वास का शिकार होना पड़ा है। अगर कुछ कोर पाइंट की बात करें तो सबसे पहला बिंदु यह है कि जहां कांग्रेस ने आखिरी वक्त पर अपने प्रत्याशियों की सूची जारी की थी। उसमें भी पार्टी का टिकट सही उम्मीदवारों को नहीं मिला। हरियाणा के अंदर दल को गुटबाजी का भी शिकार होना पड़ा।

हरियाणा में कांग्रेस दो गुटों में बंट गई

चुनाव से पहले ही हरियाणा में कांग्रेस दो गुटों में बंट गई थी, यहां पर कुमारी शैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच की व्यक्तिगत महत्वकांक्षा से सभी वाकिफ हैं जिसके कारण कुमारी शैलजा ने अपने प्रचार का सिलसिला काफी देरी से शुरू किया। प्रदेश के अंदर एक माहौल बन गया था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो पार्टी को एक नए विवाद मुख्यमंत्री चुनाव से जूझना पड़ेगा।

चुनाव परिणाम वाले दिन कांग्रेस की महासचिव कुमारी शैलजा ने पार्टी की हार को निराशाजनक करार दिया। साथ ही हुड्डा का नाम लिए बगैर कहा कि जैसे अभी चल रहा है, वो नहीं चलेगा। पार्टी नेतृत्व को उन लोगों की पहचान करनी चाहिए, जो इस हार के लिए जिम्मेदार हैं।

चुनाव के दौरान रेवाड़ी से बेटे की हार के बाद पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, दक्षिण हरियाणा की 11 सीटों में से कांग्रेस महज एक सीट जीत पाई है। पार्टी को इस हार के कारणों की जांच करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दक्षिण हरियाणा में गुरुग्राम, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और फरीदाबाद में सिर्फ एक सीट पार्टी के खाते में आई। कांग्रेस की तरफ से अहीरवाल में कांग्रेस वर्किंग कमेटी, ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी, महासचिव और हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी में कोई प्रतिनिधित्व करने वाला नहीं है। ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी ने ओबीसी का चेयरमैन बनाकर सिर्फ कोरम पूरा किया है।

‘मामन खान को बयान पर माफी मांगनी चाहिए’

कैप्टन अजय सिंह यादव ने कहा कि फिरोजपुर झिरका से कांग्रेस के विधायक मामन खान के द्वारा चुनाव प्रचार के दौरान दिया गया भाषण दुर्भाग्यपूर्ण था। उनको जनता से माफी मांगनी चाहिए। उनको सांप्रदायिक बात नहीं करनी चाहिए थी। वह खुद चुनाव जीत रहे थे। इसमें कोई शंका नहीं थी। उनके संबोधन का असर चुनाव में कांग्रेस पार्टी पर पड़ा। चुनाव के दौरान उम्मीदवार को एक-एक शब्द काफी सोच-समझकर बोलना चाहिए। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को देखना होगा कि एक दशक से पार्टी के पास संगठन नहीं है। जिले में और ब्लॉक में अध्यक्ष नहीं है। चुनाव में बड़ी कमजोरी रही कि कांग्रेस के पास संगठन नहीं था। पार्टी के संगठन को मजबूत करने के लिए आत्मचिंतन की बात है। वहीं मामन खान पर टिप्प्णी करने के बाद उनके समर्थकों ने भी विरोधाभास दिखाते हुए टिप्पणी करनी शुरू कर दी है।

चेयरमैन पद सिर्फ झुनझुना

कैंप्टन अजय सिंह यादव कांग्रेस पार्टी में ओबीसी के चेयरमैन हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी की ओर से चुनाव के दौरान चेयरमैन का दिया गया पद सिर्फ एक झुनझुना है। पार्टी को दक्षिण हरियाणा की अनदेखी करना महंगा पड़ा। पार्टी ने जहां भी वर्किंग कमेटी चेयरमैन बनाएं हैं, वहां पर चुनाव के नतीजे बेहतर आए हैं। यमुनानगर, कैथल, सिरसा और रोहतक में नतीजे बेहतर आए हैं।

चुनाव के बीच मुख्यमंत्री को लेकर खींचतान ठीक नहीं

पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव ने कहा कि चुनाव के दौरान सबसे बड़ा लक्ष्य जीत का होता हैं। उस दौरान मुख्यमंत्री को लेकर खींचतान सार्वजनिक होना पार्टी के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। जीत हासिल करने के बाद ही मुख्यमंत्री बनने का फैसला होना चाहिए। चुनाव में काफी मुद्दे होते हैं और एक मुद्दा ईवीएम का भी है। ईवीएम में 12 घंटे के बाद भी बैट्री 99 प्रतिशत रही थी और सभी वोट भाजपा के हित में थी। इससे गड़बड़ी की आशंका है।

नेताओं के बिगड़े बोल ने पार्टी का समीकरण बिगाड़ा

चुनाव के दौरान रेवाड़ी, बादशाहपुर और फरीदाबाद की एनआईटी सीट से कांग्रेस की टिकट से चुनाव में उतरे उम्मीदवारों ने चुनाव प्रचार में बिगड़े बोल ने उनके समीकरण को ही बदल दिया। एनआईटी से चुनाव लड़ रहे नीरज शर्मा ने प्रचार के दौरान कहा कि कांग्रेस की सरकार आने पर वह डिप्टी सीएम बनेंगे। इसके अलावा वोट के साथ नौकरी में कोटा देने की बात के बाद से वह विवादों में आ गए थे। इसके अलावा चुनाव की घोषणा होते ही रेवाड़ी से कैप्टन अजय सिंह यादव के बेटे चिंरजीव राव ने कहा था कि वह चुनाव जीतेंगे और सरकार में डिप्टी सीएम बनेंगे। इसके अलावा बादशाहपुर से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे वर्धन यादव ने भी डिप्टी सीएम बनने की इच्छा जताई थी। चुनाव परिणाम आने के बाद तीनों विधायक हार गए।

अब कांग्रेस के पूर्व विधायक शमशेर सिंह गोगी ने भी पार्टी की हार के लिए 2 लोगों को जिम्मेदार भी ठहराया। उनका कहना है कि कांग्रेस की हार के लिए 2 लोग जिम्मेदार हैं और अंतिम 2 दिनों में चुनाव पूरी तरह से पलट गया। उन्होंने पार्टी में संवादहीनता पैदा करने के लिए “हुड्डा कांग्रेस” पर निशाना साधा, उनका दावा है कि संवादहीनता की वजह से कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।

‘बापू-बेटे पर हार का दोष’

असंध विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी नेता योगिंदर सिंह राणा से हारने वाले शमशेर सिंह गोगी ने अप्रत्यक्ष रूप से पिता और बेटे भूपेंदर सिंह हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा की आलोचना करते हुए कहा कि हार की जिम्मेदारी “बापू-बेटे” पर है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा का स्पष्ट संदर्भ देते हुए गोगी ने दावा किया कि राज्य नेतृत्व राहुल गांधी के असंध के सीधे दौरे से खुश नहीं था।

पार्टी की हार पर पूर्व विधायक गोगी ने कहा, “कोई मुद्दा नहीं था, लेकिन पिछले दो दिनों में ध्रुवीकरण हो गया। राहुल गांधी के असंध दौरे से राज्य का पार्टी नेतृत्व खुश नहीं था। (भूपेंदर सिंह) हुड्डा ने तो मंच से मेरा नाम तक नहीं लिया। कांग्रेस चुनाव नहीं हारी, बल्कि ‘हुड्डा कांग्रेस’ चुनाव लड़ रही थी और वे हार गए।”

हार पर दिल्ली में समीक्षा बैठक

गोगी ने आगे कहा, “उन्होंने किसी को विश्वास में ही नहीं लिया। उन्होंने पार्टी के अंदर संवादहीनता की स्थिति पैदा कर दी। अगर चुनाव सही तरीके से लड़ा गया होता, लोग इस बार कांग्रेस की सरकार चाहते थे। यहां (हार की) जिम्मेदारी ‘बापू-बेटे’ की है।” असंध के पूर्व विधायक गोगी इस सीट से फिर से चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन वे बीजेपी के प्रत्याशी राणा के हाथों 2306 वोटों के अंतर से हार गए।

इस बीच हरियाणा में हार के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर बीते कल गुरुवार को समीक्षा बैठक बुलाई गई, जिसमें चुनाव में अप्रत्याशित हार के कारणों का पता करने के लिए जल्द ही एक फैक्ट फाइडिंग टीम का गठन करने का फैसला लिया गया। सूत्रों ने बताया कि खरगे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक में यह फैसला लिया गया।

चुनाव में बीजेपी का बेस्ट प्रदर्शन

हरियाणा में विधानसभा चुनाव के नतीजों के ऐलान से पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी नेता भूपेंदर हुड्डा ने कहा था कि अगर कांग्रेस चुनाव जीतती है तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसका फैसला आखिरकार हाईकमान पर ही निर्भर करेगा। तब उन्होंने कहा था, “पार्टी के अंदर कोई अंदरूनी कलह नहीं है, कांग्रेस के अपने नियम हैं, पार्टी निर्वाचित प्रतिनिधियों को देखेगी और फिर आलाकमान फैसला लेगा।”

सिरसा से लोकसभा सदस्य शैलजा ने हार के बाद कहा था, “नतीजे बेहद निराशाजनक हैं। हमारे कार्यकर्ता बहुत निराश हैं। उन्होंने पार्टी के लिए खून-पसीना बहाया था। अब नए सिरे से आगे सोचना होगा, क्योंकि जो अभी चल रहा है, वो तो अब नहीं चलेगा।”

राहुल कुछ नेताओं के रवैये से नाराज

हरियाणा चुनाव में पार्टी को मिली शिकस्त के बाद पार्टी हाई कमान की तरफ से एक मीटिंग की गई। सूत्रों के मुताबिक़ इस मीटिंग में राहुल गांधी ने कहा है कि परिणाम उम्मीदों के अनुरूप नहीं हैं, इसे नहीं स्वीकारा जाएगा। सूत्रों के मुताबिक़ राहुल गांधी की तरफ से कहा गया है कि इस हार के पीछे कुछ नेता हैं जो खुद को पार्टी से ऊपर समझ रहे हैं।

क्या राहुल लेंगे कोई बड़ा एक्शन

साथ ही उन्होंने आगे कहा कि पार्टी की प्राथमिकताओं को अपने बाद रखने वाले कुछ नेताओं की ओर से पूरे चुनाव में केवल अपना हित आगे रखा, इसको लेकर फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई जाएगी। वो इस शिकस्त का कारण ढूंढेगी। अब लोगों के जहन में ये सवाल है कि क्या वो पार्टी की लाइन से अलग हटकर चलने वाले नेताओं पर बड़ा एक्शन लेंगे। हालांकि इसके लिए आने वाले समय में ही स्थिति साफ हो जाएगी।

कांग्रेस ने EVM पर उठाए सवाल

इससे पहले कांग्रेस पार्टी ने बुधवार को हरियाणा विधानसभा चुनाव की मतगणना के दौरान कई EVM में पाई गई “विसंगतियों” की जांच की मांग की थी । पार्टी नेताओं ने यह मांग की कि जांच पूरी होने तक इन EVM को सील करके सुरक्षित रखा जाए। वहीं पूर्व मुख्यमंत्रियों भूपेंद्र सिंह हुड्डा और अशोक गहलोत के साथ-साथ AICC सदस्य केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश, अजय माकन और पवन खेड़ा के साथ-साथ हरियाणा कांग्रेस प्रमुख उदय भान सहित वरिष्ठ नेताओं ने इस मामले पर चर्चा करने के लिए चुनाव आयोग के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की।

कांग्रेस ने शिकायत की दर्ज

हार के बाद कांग्रेस ने ईवीएम पर बड़े सवाल उठाए हैं। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा, जिसमें हरियाणा के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों से मिली शिकायतों का ब्यौरा दिया गया। वहीं इस बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेता अभिषेक सिंघवी ने ऑनलाइन भाग लिया। इस दौरान कांग्रेस नेताओं ने दावा किया कि कम से कम 20 शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनमें अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से प्राप्त सात औपचारिक लिखित शिकायतें भी शामिल हैं।

हरियाणा में 48 सीटों पर जीत हासिल करने के बाद बीजेपी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। विधानसभा चुनाव में बीजेपी की यह सबसे बड़ी जीत है। कांग्रेस को 37 सीटें जीत मिली जबकि इंडियन नेशनल लोकदल के खाते में दो सीटें गईं और 3 निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी यहां से जीत हासिल की।

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