कांग्रेस द्वारा जमीनी कार्यकर्ताओं को टिकट देने की बजाय दरबारी कार्यकर्ताओं को उम्मदवार बनाकर भी अपनी जीत का रास्ता खुद रोका : विद्रोही

भाजपा द्वार जाट-गैरजाट की जातिय ध्रुवीकरण की राजनीति को रोकने की प्रभावी रणनीति का अभाव : विद्रोही

9 अक्टूबर 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार व भाजपा की जीत के तीन प्रमुख कारण बताये। पहला कांग्रेस का जीत के प्रति आत्मविश्वास के कारण माईक्रो मैनेजमैंट की कमी, दूसरा अति-आत्मविश्वास के चलते भाजपा द्वार जाट-गैरजाट की जातिय ध्रुवीकरण की राजनीति को रोकने की प्रभावी रणनीति का अभाव तथा तीसरा अहीरवाल क्षेत्र को साधने में असफलता। विद्रोही ने कहा कि भाजपा की तय हार को कांग्रेस ने भाजपा के जाट-गैरजाट कार्ड को रोकने का प्रयास न करना सबसे प्रमुख कारण रहा।

वर्ष 2009 से ही हरियाणा के आमजन जाट-गैरजाट में बंटकर मतदान करते आ रहे है। इस तथ्य को जानते हुए भी भाजपा की इस जातिय धु्रवीकरण की राजनीति को रोकने के लिए कांग्रेस द्वारा गंभीर प्रयास व प्रभावी रणनीति बनाने की बजाय अपने आचरण से जाट-गैरजाट की जातिय धु्रवीकरण की राजनीति को जाने-अनजाने में बढावा देकर अपनी जीत का रास्ता खुद रोका है।  विद्रोही ने कहा कि 2014 से 2024 के बीच तीन विधनानसभा चुनाव परिणामों का गहराई सेे विश्लेषण किया जाये तो यहीं तथ्य सामने आयेगा कि चाहे 2014 या 2019 हो या फिर अब 2024, तीनो बार हरियाणा में भाजपा की सरकार अहीरवाल क्षेत्र के भाजपा को एकतरफा दिये जनसमर्थन का परिणाम है।

इस बार भी अहीरवाल क्षेत्र की अहीर बाहुल्य 11 विधानसभा सीटों में नांगल चौधरी को छोडकर सभी दस सीटों पर भाजपा को सफलता मिली है। वहीं दादरी व बाढड़ा विधानसभा क्षेत्रों बेहद नजदीकी मुकाबले में अहीर मतदाताओं ने भाजपा की जीत का रास्ता साफ किया है। यदि भाजपा को अहीर प्रभाव वाली इन 12 सीटों पर जीत नही मिलती तो तीसरी बार भाजपा किसी भी तरह सत्ता पर काबिज होने में सफल नही होती। यदि कांग्रेस अहीरवाल क्षेत्र मेें अपना खोया जनाधार पाने की प्रभावी रणनीति बनाकर मैदान में उतरती तो भाजपा हरियाणा की सत्ता पर काबिज नही होती। वहीं कांग्रेस केे बागियों ने 10 सीटों पर पार्टी की हार तय की है। यदि कांग्रेस नेतृत्व ईमानदारी से प्रयास करता तो इन क्षेत्रों में कमजोर उम्मीदवारों को टिकट देने की बजाय मजबूत उम्मीदवारों को टिकट देता। कांग्रेस द्वारा जमीनी कार्यकर्ताओं को टिकट देने की बजाय दरबारी कार्यकर्ताओं को उम्मदवार बनाकर भी अपनी जीत का रास्ता खुद रोका है।    

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