लोगों के बीच विशेष रूप से देहात में लोगों को दिखा नया अंदाज चुनाव प्रचार में जहां दिखे बच्चे गोद में ले लुटा दिया अपना मातृत्व अपना मातृत्व को लूटाकर बटोर लिया अपने लिए वोट का भरोसा फतह सिंह उजाला पटौदी ग्राउंड रिपोर्ट । कहा गया है, जैसा करोगे वैसा भरोगे और जैसा बाटोगे, वैसा ही वापस भी मिलता चला जाएगा। इस प्रक्रिया को प्रकृति का नियम बताया गया है। इसीलिए अनादि काल से कहा जाता आ रहा है जैसा बोया जाएगा, वैसा ही काटा जाएगा। प्रकृति में बहुत कुछ अलग भी है लेकिन मौसम हाल टी और समय के अनुकूल जो कुछ किया जाता है। उसका प्रतिफल भी उसी अंदाज में या उससे कहीं अधिक बढ़कर प्राप्त होने से इनकार नहीं किया जा सकता। राजनीति का क्षेत्र और चुनाव प्रचार का मैदान सहित मंच पर विभिन्न प्रकार के सामान्य सोच के विपरीत भी घटनाएं देखने के लिए मिल जाती हैं। कहीं नेताओं को दंडवत होते हुए देखा जाता है, कही चरण वंदन करते हुए , कमर झुका कर, आपस में गले मिलकर अभिवादन करते जैसे विभिन्न स्वरूप में देखने के लिए मिल ही जाता है । संभवत ऐसा पहली बार देखने के लिए मिला जब चुनाव प्रचार के दौरान महिला उम्मीदवार के द्वारा अपना सारा मातृत्व बच्चों पर ही लूटाने का सिलसिला अनवरत चलता हुआ देखने के लिए मिला। यह किसी की अनावश्यक प्रशंसा का विषय नहीं और ना ही ऐसा किया जा रहा है । अभी तक के चुनाव प्रचार जहां महिलाएं चुनाव मैदान में है , अनेकों अनेक चित्र और चलचित्र भी सामने आए होंगे । लेकिन ऐसा दावा नहीं किया जा सकता की महिला उम्मीदवारों के द्वारा अपना मातृत्व और मातृत्व का दुलार बच्चों को गोद में लेकर लुटाया जा रहा हो। हां कथित रूप से नेताओं के विशेष फोटो सेशन से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। छोटे बच्चे मन के सच्चे, निश्चल, निर्मल, भोले भाले और सभी को प्यार भी लगते हैं । साइबर सिटी में भी कई महिलाएं भी चुनावी मैदान में अपने-अपने प्रचार में पहुंची हुई है। लेकिन साइबर सिटी से बाहर देहात कहे वाले पटौदी क्षेत्र में सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट कांग्रेस नेत्री श्रीमती पर्ल चौधरी को सुबह से शाम तक या देर रात तक अपने जनसंपर्क में जहां कहीं भी महिलाओं की गोद में बच्चे दिखाई देते हैं। बिना किसी संकोच और झिझक के अपनी गोद में लेकर मातृत्व लूटाना आरंभ कर देती है । कई जगह तो यह भी देखा गया है कि उनके द्वारा जब अचानक या अनायास किसी बच्चों को अपनी गोद में ले तो सामने वाली महिला को भी हैरानी होती है । बच्चों का नाम , उम्र , उसकी सेहत सहित संभावित पढ़ाई के विषय में जैसे ही सवाल किया जाता है , तो बच्चे की माता को भी लगता है जैसे कोई अपने घर परिवार का ही सदस्य यह सवाल जवाब कर रहा है । पिछले 10 – 12 दिन से चुनाव प्रचार के दौरान बच्चों को गोद में लेकर उनके विषय में जानकारी विशेष रूप से लड़कियों के विषय में उनकी माता या परिवार के सदस्यों से चर्चा करना एक पॉलीटिशियन से अधिक आने वाली पीढ़ी के भविष्य की चिंता वाले के व्यक्ति का परिचय करवाता आ रहा है। विशेष रूप से जब यह कहा जाता है की लड़कियों को शिक्षा जुलाई और उनकी सेहत का विशेष रूप से ध्यान रखा जाए । ऐसा निस्वार्थ मातृत्व लूटने का सिलसिला धीरे-धीरे देहात में महिलाओं के दिलों में जगह बनाता हुआ अब वोट के समर्थन में मजबूत होता हुआ निर्णायक भूमिका में भी महसूस किया जा रहा है। Post navigation आंखों सुनी और कानों देखी …….. लो जी, समझ आए तो पढ़ लीजिए पटौदी का चुनाव परिणाम ! अपनी बहन ‘ बेटी पर्ल चौधरी की झोली वोटो से ढाडी भर दें – दीपेन्द्र हुड्डा