–नवीन गोयल के जहन में हर कालोनी के नाम -एक साथ सेंकड़ों लोगों, कालोनियों के ले देते हैं नाम गुरुग्राम। सामान्यत: कोई नेता, अभिनेता सेंकड़ों, हजारों लोगों की भीड़ में कुछ लोगों को जानता हो या नहीं, लेकिन वह जानने का नाटक जरूर करता है, ताकि पब्लिक में यह संदेश जाए कि उस व्यक्ति को सब कुछ याद है। हालांकि ऐसा बहुत कम होता है कि भीड़ में कोई व्यक्ति 10-20 से या इससे अधिक जानता हो। गुरुग्राम में नेता हैं नवीन गोयल, जिनकी मैमोरी का हर कोई कायल है। हम कह सकते हैं कि नवीन गोयल चलते-फिरते डिक्शनरी हैं। निर्दलीय प्रत्याशी नवीन गोयल की खूबियों की जितनी सराहना की जाए, उतनी कम हैं। काम का जुनून तो नवीन गोयल में जबरदस्त है ही, साथ में उनकी मैमोरी भी जबरदस्त है। उनकी मैमोरी से भी सब लोग उनके कायल हैं। उनके प्रशंसक बने हुए हैं। नवीन गोयल को गुरुग्राम की हर कालोनी के नाम इतने कंठस्थ हैं कि वे जब नाम लेना शुरू कर देते हैं तो रुकते ही नहीं हैं। ऐसे ही लोगों के नाम भी उन्हें कंठस्थ हैं। किसी भी सभा में बैठे लोगों के और बाहर लोगों के भी नाम उन्हें याद रहते हैं। कालोनियों, लोगों के नाम तो उन्हें याद रहते ही हैं, साथ में लोगों के घरों के पते भी नवीन गोयल को याद रहते हैं। किस कालोनी में कौन संस्था चलाता है। कौन वर्तमान पार्षद है कौन पूर्व पार्षद है। किस कालोनी में कौन सा मंदिर है। कौन सा सैलून, डांस एकेडमी फेमस है। किस कालोनी में क्या समस्या है। किस कालोनी में क्या जरूरत है। किस कालोनी में क्या काम करवाए हैं। किस कालोनी में क्या काम चल रहे हैं। किस कालोनी में क्या काम होने हैं। कौन सी किरयाणा की दुकान फेमस है। कौन सी कालोनी में कौन-कौन से खिलाड़ी रहते हैं। कौन सी कालोनी में कौन पत्रकार, कौन डॉक्टर, कौन इंजीनियर, कौन से वकील रहते हैं। कौन कितना बड़ा कलाकार है और कहां रहता है। यह बस नवीन गोयल झटके में बता देते हैं। उनकी मैमोरी की जब मजाक-मजाक में पत्रकारों ने परीक्षा दी गई तो वे इसमें सफल रहे। पत्रकारों के बीच बैठे नवीन गोयल ने हर पत्रकार का नाम और उसके घर का पता बारी-बारी से बता दिया। जो गुडग़ांव विधानसभा से बाहर भी रहते हैं, उनके बारे में भी नवीन गोयल के पास जानकारी मिली। चंद मिनटों में नवीन गोयल एक के बाद एक कालोनी के नाम लेकर पूरे गुरुग्राम शहर में घुमा देते हैं। अपनी मैमोरी को लेकर पूछे गए सवाल पर नवीन गोयल कहते हैं कि यह कोई जादू, करिश्मा नहीं है साहब। हर कालोनी, हर घर, हर दर तक वे पहुंचे हैं। हर चीज को बारीकी से जाना और समझा है। हर व्यक्ति का दुख-दर्द महसूस किया है। सबके सुख-दुख में शामिल हुआ हूं। गुडग़ांव में मैनें तपस्या की है। तभी यह सब याद हुआ है। उन्होंने कहा कि उन्हें 5 साल दे दो। पांच साल से समस्या ढूंढने से भी नहीं मिलेगी। Post navigation वजीराबाद गांव ने नवीन गोयल के समर्थन में दिखा दी अपनी ताकत नवीन गोयल के समर्थन में भीम नगर में जुटी ऐतिहासिक भीड़