उप्र के एनकाउंटर के जख्मों को कुरेद कर क्यों हरा कर रही कांग्रेस?

हरियाणा में भाजपा ने रामबिलास शर्मा को बिसराया हुए ब्राह्मण खफा 

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा की सियासत अभी तक जाट और गैर-जाट के बीच बंटी हुई थी, लेकिन विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश के बीच ब्राह्मण दांव भी चला जा रहा है। पहले सोनीपत से रमेश कौशिक टिकट काटने फिर भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री रामविलास शर्मा को जीवन के अंतिम पड़ाव पर बुरी तरह अपमानित करने से प्रदेश का ब्राह्मण समुदाय खपा है। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों में ब्राह्मणों के साथ हुए अत्याचार के मामले को उठाया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में ब्राह्मण समाज का उत्पीड़न हर जिले के दास्तां हैं। योगी सरकार में ब्राह्मणों को चुन-चुनकर करके मारा गया। ब्राह्मण समाज का अपमान बीजेपी का डीएनए बन गया है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि सुरजेवाला आखिर हरियाणा चुनाव में यूपी में एनकाउंटर के जख्मों को कुरेदकर क्यों हरा करने में जुटे हैं?

रणदीप सुरेजावाला ने सोमवार को कैथल के खुरनिया पैलेस में सर्व ब्राह्मण सम्मेलन को संबोधित करते हुए बीजेपी को ब्राह्मण विरोधी कठघरे में खड़ा करने की कवायद करते हुए नजर आए। सुरजेवाला ने कहा कि हरियाणा में तो ब्राह्मण समाज पर अत्याचार हुए ही हैं। हमारे पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के आने के बाद से ब्राह्मणों को चुन-चुनकर निशाना बनाया गया।

कहां है यूपी में भाजपा का ब्राह्मण नेतृत्व

उन्होंने उत्तर प्रदेश में बीजेपी के ब्राह्मण नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या हुआ यूपी के ब्राह्मण नेतृत्व को? कहां है बीजेपी का यूपी का ब्राह्मण नेतृत्व? एक-एक व्यक्ति से जाकर पूछ लीजिए कैसे योगी आदित्यनाथ ने ब्राह्मण नेतृत्व को हाशिए पर पहुंचाने का काम किया है।

सुरेजवाला ने कहा कि कानपुर, वाराणसी, लखनऊ और मेरठ हर शहर में ब्राह्मणों को चुन-चुनकर मारा गया और ब्राह्मण नेतृत्व को खत्म किया गया। ब्राह्मणों को मारकर और राजनीतिक हत्या के बाद योगी आदित्यनाथ का कद बढ़ा हुआ है। इतना ही नहीं कांग्रेस नेता ने कहा कि हरियाणा में भर्ती बोर्ड द्वारा ब्राह्मण समाज को लेकर भद्दे सवाल पूछे जाते हैं। मनोहर लाल खट्टर फरसा लेकर ब्राह्मण समाज से कहते हैं कि तेरी गर्दन काट दूंगा। कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा में समाज की बेटियों और ब्राह्मणों को रंगभेद के आधार पर अपशुकन जैसे आपत्तिजनक सवाल पूछवाते हैं कभी स्टेज से फिंकवाते हैं। कभी फरसे से गर्दन काटने की धमकी देते हैं। बुरे दिनों में प्रदेश में भाजपा की बागडोर संभालने वाले और हरियाणा में सत्ता तक पहुंचने वाले पंडित रामबिलास शर्मा की बेइज्जती पर अब चुनाव में बीजेपी को जबाब देने का समय आ गया है।

सुरजेवाला की सोची समझी रणनीति!

हरियाणा विधानसभा चुनाव के सियासी तपिश के बीच कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने ऐसे ही ब्राह्मण उत्पीड़न का मामला नहीं उठाया बल्कि सोची-समझी रणनीति के तहत बयान दिया है। सुरजेवाला ने यह बात अपनी परंपरागत कैथल विधानसभा सीट पर कही है, जहां से उनके बेटे आदित्य सुरजेवाला चुनाव लड़ रहे हैं। सुरजेवाला कैथल सीट से 2019 में बीजेपी के लीला राम से चुनाव हार गए थे। बीजेपी ने एक बार फिर से लीला राम को उतारा है।

ऐसे में यह सीट रणदीप सुरेजवाला की प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई है। वह ब्राह्मण समाज को साधने की पूरी कोशिश में लगे हैं। इसी के तहत उन्होंने बीजेपी को ब्राह्मण विरोधी कठघरे में खड़ा करने का दांव चला है।

हरियाणा का ब्राह्मण समाज अब भाजपा के साथ

हरियाणा में लंबे समय तक ब्राह्मण समुदाय कांग्रेस का परंपरागत वोटर रहा है, लेकिन 2014 से वह बीजेपी के साथ मजबूती से जुड़ा रहा। पंडित रामबिलास शर्मा के अपमान के बाद ब्राह्मण भाजपा से छिटके हैं। हरियाणा में करीब 8 फीसदी वोट ब्राह्मण समुदाय के हैं। ब्राह्मण समाज प्रदेश की करीब 15 विधानसभा सीट पर अच्छा खासा असर रखते हैं और तीन लोकसभा सीटों पर उनकी अहम भूमिका है। इसके बाद भी हरियाणा की सियासत में ब्राह्मण समाज कभी भी जाट से आगे नहीं निकल पाया है। सियासी इतिहास में महज एक बार ब्राह्मण चेहरे के तौर पर भगवत दयाल शर्मा संयुक्त हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे हैं।

हरियाणा की सियासत में ब्राह्मण बिरादरी की अहमियत आजादी से पहले से ही रही है। पंडित श्रीराम शर्मा राष्ट्रीय आंदोलन के बड़े चेहरे के रूप में उभरे थे। श्रीराम शर्मा के बढ़ते सियासी प्रभाव के चलते ही सर छोटू राम ने अपनी सियासी धारा बदल ली थी और गांधी की अलोचना करने लगे थे। इसके बाद के सियासी इतिहास पर नजर डालें तो पाएंगे कि प्रदेश में पंडित श्रीराम शर्मा बनाम चौधरी छोटू राम की राजनीति चलती रही है। इसी तरह हरियाणा की सियासत में श्रीराम शर्मा और भगवत दयाल शर्मा, चिरंजीलाल शर्मा के बाद विनोद शर्मा से लेकर राम बिलास शर्मा तक कई ब्राह्मण नेता आए, लेकिन सत्ता के सिंहासन तक नहीं पहुंच सके। हरियाणा में ब्राह्मणों को अपने साथ जोड़ने के लिए भाजपा ने विनोद शर्मा के बेटे कार्तिकेय शर्मा को राज्यसभा में पहुंचा तथा उसके बाद प्रदेश की बागडोर मोहनलाल बडोली को दी।

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से आगे भाजपा 

लोकसभा चुनाव 2019 में जाट समुदाय के ‘मक्का’ कहे जाने वाले रोहतक संसदीय क्षेत्र से बीजेपी के ब्राह्मण चेहरे के तौर पर अरविंद शर्मा को जीत मिली थी, लेकिन 2024 में वह अपनी जीत दोहरा नहीं सके। बीजेपी ने सोनीपत और रोहतक में ब्राह्मण चेहरे उतारे थे। कांग्रेस ने सोनीपत में सतपाल ब्रह्मचारी को बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक मोहन लाल बड़ौली के खिलाफ उतारा और जीत दिलाई। यहीं से कांग्रेस को ब्राह्मण वोटों को वापस आने की उम्मीद जगी है, लेकिन 2024 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस से ज्यादा ब्राह्मण उम्मीदवार उतारकर ब्राह्मण समुदाय पर अपनी पकड़ बनाए रखने का दांव चला है।

बीजेपी ने हरियाणा में ब्राह्मण समाज के 12 नेताओं को उतारा है, उनमें सफीदों से रामकुमार गौतम, कालका से शक्तिरानी शर्मा, गोहाना से डॉ. अरविंद शर्मा, गन्नौर से देवेंद्र कौशिक, पिहोवा से जयभगवान शर्मा, बल्लभगढ़ से पंडित मूलचंद शर्मा, गुरुग्राम से पहलवान मुकेश शर्मा, पृथला से टेकचंद शर्मा, बहादुरगढ़ से दिनेश कौशिक, जुलाना से कैप्टन योगेश योगेश बैरागी और उचाना कलां से देवेंद्र अत्री हैं। जबकि कांग्रेस ने सिर्फ चार ब्राह्मणों को ही टिकट दिए हैं, जिनमें बादली से कुलदीप वत्स, फरीदाबाद एनआईटी से नीरज शर्मा, गन्नौर से कुलदीप शर्मा और बल्लभगढ़ से पराग शर्मा पर भरोसा जताया है।

हरियाणा में यूपी की चर्चा आखिर क्यों?

हरियाणा की सियासत में ब्राह्मण समुदाय के वोटों को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच शह-मात का खेल जारी है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा से लेकर रणदीप सुरजेवाला तक खुलकर ब्राह्मणों को साधने में लगे हैं। विधानसभा चुनाव से पहले हुड्डा ने ब्राह्मण समाज से किसी नेता को डिप्टी सीएम बनाने की वकालत तक कर रहे हैं। अब सुरजेवाला ब्राह्मण कार्ड खुलकर खेल रहे हैं और बीजेपी को ब्राह्मण विरोधी कठघरे में खड़े करने का दांव चल रहे हैं। इसके लिए यूपी का हवाला दे रहे हैं, जहां पर लंबे समय तक ब्राह्मण समुदाय के लोग सीएम बनते रहे हैं। कांग्रेस इसीलिए भी यूपी का उदाहरण दे रही है, क्योंकि ज्यादातर सीएम कांग्रेस के बने हैं। बीजेपी ने किसी भी ब्राह्मण को यूपी में सीएम नहीं बनाया है, जिसे लेकर कांग्रेस नैरेटिव सेट कर रही है।

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